
झांसी (शाह टाइम्स) उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में स्थित रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में 14 से 16 फरवरी के बीच भव्य तीन दिवसीय किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें किसानों के साथ-साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 14 संस्थान, छह कृषि विश्वविद्यालय, 50 निजी कंपनियां एवं एनजीओ हिस्सा लेंगे।
10 हजार किसानो के भाग लवणव की है सम्भावना
गुरुवार को विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में इस संबंध में पत्रकारों को विस्तृत जानकारी देते हुए कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने अक्टूबर 2022 में विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार संभाला था और तब से अब तक उनके कार्यकाल में आयोजित होने वाला यह तीसरा किसान मेला है, जो इस बार “जलवायु समावेशी कृषि” थीम पर आयोजित किया जा रहा है, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही भाग लेंगे। विश्वविद्यालय परिसर में तीन दिनों तक आयोजित होने वाले इस भव्य मेले में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से करीब 10 हजार किसानों के भाग लेने की संभावना है।
किसान कर सकगे संस्थानों के वैज्ञानिकों से बात
इसके अलावा मेले में देशभर से किसानों का स्वागत है। उन्होंने बताया कि मेले में ICAR के पशुपालन, मत्स्य पालन और फसल उत्पादन से जुड़े 14 संस्थान आएंगे और इस मेले में किसान सीधे इन संस्थानों के वैज्ञानिकों से बात कर सकेंगे। कृषि विश्वविद्यालय के इस मेले में आने वाले किसानों को न केवल कृषि क्षेत्र में हो रहे अभिनव प्रयोगों की जानकारी मिलेगी बल्कि उन्हें वैज्ञानिकों से संवाद करने, नई तकनीक की जानकारी लेने और नए व उन्नत किस्म के बीज खरीदने की भी सुविधा मिलेगी। डॉ. सिंह ने बताया कि किसान मेले में बुंदेलखंड के किसानों, प्रगतिशील किसानों, पद्मश्री किसानों, उत्पादन संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को आमंत्रित किया गया है।
किसानो को होगा बड़ा लाभ
इस दौरान उन्हें परंपरागत खेती, फल, सब्जी, फूल, मशरूम व अन्य लाभकारी फसलों के उत्पादन के साथ ही कृषि निर्यात की संभावनाओं, दलहन, तिलहन, अनाज की खेती और उसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में भी बताया जाएगा। कृषि तकनीक का प्रदर्शन, प्रक्षेत्र भ्रमण, पशु प्रदर्शनी और किसान संगोष्ठी इस मेले के विशेष आकर्षण होंगे। इसके अलावा अन्ना, प्राकृतिक खेती और जलवायु समावेशी खेती, पशुपालन और मत्स्य पालन पर तकनीकी सत्र भी आयोजित किए जाएंगे, जिससे किसानों को काफी लाभ होगा। मेले में विभिन्न स्टॉल भी लगाए जाएंगे, जिसमें अपने व्यवसाय का विस्तार और विविधीकरण करने के इच्छुक लोग भाग ले सकेंगे। मेले में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के स्टॉल भी होंगे, जिनमें जलवायु समावेशी कृषि प्रणाली और श्रीअन्ना पर दो विषयगत मंडप भी होंगे।
कुलपति ने क्या कहा
“विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बुंदेलखंड क्षेत्र की जलवायु के अनुरूप फसलों को विकसित करने में प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं और इतना ही नहीं, हमारे वैज्ञानिक किसानों को उनके खेत पर ही तकनीक और उन्नत बीज भी उपलब्ध करा रहे हैं। विश्वविद्यालय में पॉलीहाउस खेती सफलतापूर्वक की जा रही है और हमारे वैज्ञानिक क्षेत्र के किसानों को अपने खेत पर ही इस खेती को अपनाने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “इस तीन दिवसीय मेले के माध्यम से विश्वविद्यालय खेती के क्षेत्र में हो रहे नए प्रयोगों और तकनीकों को सीधे किसानों के संपर्क में लाने के लिए एक प्रभावी माध्यम के रूप में काम करेगा।” उन्होंने सभी से इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मेले में बड़ी संख्या में पहुंचने की अपील की।