‘बासमती चावल में कोई समझौता नहीं’

बासमती चावल की सही पहचान, उसके सही उपयोग एवं मिलावटी चावलों से बचाव के लिए विचार विमर्श

जयपुर। विश्व का सबसे बड़ा और बासमती चावल का एकमात्र समेकित निर्माता और निर्यातक केआरबीएल लिमिटेड (KRBL Limited) ने जनहित में एक पहल के रुप में अपने विश्व के नंबर एक बासमती चावल ब्रांड इंडिया गेट बासमती चावल (India Gate Basmati Rice) के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तत्वावधान में ईट राइट इंडिया पहल के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी “बासमती चावल (Basmati Rice) में कोई समझौता नहीं” की पहल को लेकर राजस्थान की राजधानी जयपुर (jaipur) में सम्मेलन का आयोयजन किया गया।

इस सम्मेलन में राजस्थान के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अतिरिक्त आयुक्त दुर्गा प्रसाद सैनी, केआरबीएल की चावल खरीद और धुरी इकाई के प्रमुख श्री कुणाल गुप्ता, कॉलेज ऑफ डेयरी एंड फूड टेक्नोलॉजी (CDFT) बस्सी जयपुर के डीन डा धरम सिंह मीना, कृषि विभाग में संयुक्त निदेशक (ATC) अर्जुन लाल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मुख्य खाद्य विश्लेषक पंकज मिधा, शेफ रतिका भार्गव, राजस्थान खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की सदस्य ज्योति कांडा और भारतीय उपभोक्ता परिसंघ राजस्थान के अध्यक्ष मुकेश वैष्णव आदि ने भाग लिया।

हाल में एफएसएसएआई द्वारा जारी किए गए बासमती चावल (Basmati Rice) के पहचान मानकों पर लोगों में व्यापक स्तर पर जागरुकता फैलाने के लिए ईट राइट इंडिया पहल के साथ मिलकर बुधवार को यहां आयोजित किए गए इस सम्मेलन में बासमती चावल की सही पहचान, उसके सही उपयोग एवं मिलावटी चावलों से कैसे बचा जाये एवं उसके प्रति बरतने वाली सावधनियों के बारे में विचार विमर्श किया गया।

इस अवसर पर राजस्थान के खाद्य सुरक्षा और औषधि नियंत्रण कमिश्नर नकटे शिव प्रसाद मदन ने इस पहल की सराहना करते कहा कि मिश्रण और जुड़ाव के मुद्दे का व्यक्तियों के पोषण और स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव होता है। उन्हें खुशी है कि एफएसएसएआई ने इंडिया गेट बासमती के साथ ‘इट राइट’ पहल के तहत बासमती चावल की पूरीता और मानकों पर जन-उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के लिए पहल की है।

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हाल में जारी किए गए नियम गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने और घटिया उत्पादों को अनियंत्रित न होने देने के लिए एफएसएसएआई की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। हमें मिश्रण के मुद्दों का सक्रिय रूप से समाधान करना चाहिए और इस प्रकार की पहलों के साथ यह संदेश अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में बड़ी मदद करेगा।

सम्मेलन में सैनी ने कहा कि एफएसएसएआई और हमारे विभाग का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करें कि उपभोक्ता जो खाद्य प्राप्त कर रहे है वह खाने के लिए शुद्ध और सुरक्षित है, ताकि वे स्वस्थ जीवन जी सकें। उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए खाद्य उत्पादों की सही मात्रा, अच्छी गुणवत्ता, और सही मूल्य पर होना चाहिए।

निर्माताओं को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उन उत्पादों को उसी तरह बेचे जैसा कि लेबल पर मुद्रित होता है। बासमती चावल के नाम पर मिलावट की बहुत सारी घटनाएँ हो रही हैं। नए नियम यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है कि इस मिलावट पर अंकुश लगाया जाए और उपभोक्ता को उसके द्वारा चुकाई गई कीमत पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिले।

यह पहली बार है कि एफएसएसएआई ने विभिन्न प्रकार के बासमती चावल, जैसे कि ब्राउन बासमती (Brown Basmati), मिल्ड बासमती (Milled Basmati), पारबॉयल्ड ब्राउन बासमती (Parboiled Brown  Basmati), और मिल्ड पारबॉयल्ड बासमती (Basmati) के लिए पहचान मानक तय किए हैं। इन मानकों को जैसा कि खाद्य सुरक्षा और मानक(खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) पहला संशोधन विनियम 2023 में उल्लिखित है और केन्द्र सरकार के गजट ऑफ़ इंडिया में सूचना के रूप में अधिसूचित किया गया है, ये भारतीय बासमती चावल (Basmati Rice) के प्रतिष्ठा और विश्वासनीयता को भारतीय बाजार में बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाते हैं।

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