
रिपोर्ट नदीम सिद्दीकी
मुजफ्फरनगर। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने रामपुर तिराहा (Rampur Tiraha) स्थित शहीद स्मारक (Memorial) को उत्तराखंड (Uttarakhand) की मूल संस्कृति का केंद्र बनाने की घोषणा की है। उन्हाेंने कहा कि यह शहीद स्मारक उत्तर प्रदेश में है, लेकिन मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar ) और उत्तराखंड (Uttarakhand) के बीच सीमाओं का सीमाकंन है, लेकिन दिलों का रेखाकंन नही है। हम प्रतिवर्ष रामपुर तिराहे पर पहुंचकर अपने बालिदानी राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देते हैं। आज ही के दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुरशास्त्री को भी यहीं पर बड़े रूप में श्रद्धाजंलि देने के लिए रूपरेखा बनाई जा रही है। उन्होंने उत्तराखंड के बलिदानियों के नाम लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
दो अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड राज्य को अलग दर्जा दिलाने की मांग के दौरान रामपुर तिराहे पर सात आंदाेलनकारी शहीद हो गए थे। उनकी याद में रामपुर तिराहे पर शहीद स्मारक बनाय गया, जहां सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे। उन्होंने पहले शहीद स्मारक पर सभी बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इसके बाद उन्होंने कहा, उत्तराखंड आंदोलन में आंदोलनकारियों को रामपुर तिराहे कांड का गहरा जख्म मिला है, जो कभी भर नहीं सकता है। हर उत्तराखंडी इस जख्म को याद करता है। मुझे याद है एक सितंबर 1994 को खटीमा में गाेली कांड हुआ। इसके एक महीने बाद रामपुर तिराहे पर यह गोली कांड हुआ, जिसमें हमारी माताएं-बहनों के साथ गलत कृत्य तक हुए थे। इसकी दोषी तत्कालीन सपा सरकार और केंद्र में रही कांग्रेस सरकार है।
उत्तराखंड के लोग वहां सपा का खाता तक नहीं खुलने देते है और भाजपा सरकार ने आंदोलनकारियों का साथ दिया, जिस कारण आज प्रदेश में भाजपा सरकार दोबारा आई है। अन्यथा वहां लगातार एक पार्टी की लगातार दोबार सत्ता नही रही। उन्होंने कहा, उत्तराखंड में आंदोलनकारियों के स्वजनों को पेंशन मिलेगी। उन्हें उद्योग लगाने में प्राथमिका देंगे।हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड को आंदोलनकारियों के सपनों का प्रदेश बनाएं।
मुजफ्फरनगर की धरती का प्रयोग उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर अत्याचार के रूप में किया गया संजीव बलियान
केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बलियान (Dr. Sanjeev Baliyan) ने कहा कि मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) की धरती का प्रयोग पूर्व की सरकार में उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर अत्याचार के रूप में किया गया। मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) से उत्तराखंड की राजधानी दो घंटे की दूरी पर है। इसलिए हमारा उत्तराखंड से गहरा रिश्ता है। हमारे देवी-देवता अधिकतर वहीं पर है।
नैनीताल सांसद एवं पर्यटन-राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हम आज उत्तराखंड में अपने बालिदानी उत्तराखंड आंदोलनकारियों की बदोलत है। अलग राज्य के लिए हमारी बहनों को बेज्जत तक होना पड़ा था, जिसे हमे भूलना नही चाहिए।
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इतिहास नहीं भूलेगा आंदोलनकारियों की शहादत
उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल (Kapil Dev Aggarwal) ने कहा, मैं रामपुर तिराहा कांड का चश्मदीद हूं। निहत्थे आंदोनलाकरियों की गोलीमार कर हत्या की गई थी। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती पर यह कांड हुआ, जिसे इतिहास कभी भूला नही सकता। उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, जिन लोगों ने उत्तराखंड आंदोलनकारियों को दिल्ली जाने से रोकने को अत्याचार किया था। वह अब उत्तराखंड में कभी खडे नहीं हो सकते हैं। आज उत्तराखंड में सड़क पानी से लेकर 5जी तक की सुविधा है।
इस अवसर पर रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, मधु भट्ट, जिला पंचायत अध्यक्ष वीरपाल निर्वाल, जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी, प्रवेंद्र पाल, राजपाल सैनी, बबलू धनगर, जिंप सदस्य प्रवीण कुमार, तरुण पाल, नरेश कोरी, सचिन फौजी यतेंद्र त्यागी, ऋषिपाल मुनि समेत भाजपाई नेतागण और कार्यकर्ताओं के साथ आंदोनकारी मौजूद रहे।