
चंडीगढ़ । हरियाणा (Haryana) के गृह मंत्री अनिल विज (Anil Vij) द्वारा 372 जांच अधिकारियों को सस्पेंड करने के बाद पुलिस विभाग (Police Department) में हंगामा मच गया है।
इतना ही नहीं विज ने कई अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने की बात कही है जो अपने काम के प्रति ढीला रवैया अपनाते हैं और कई मामलों की जांच में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
विज प्रदेश सरकार के ऐसे मंत्री हैं जो अपने बेबाक बयानों और किसी भी स्तर पर काम में लापरवाही होने पर सख्त कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं। उनके ताजा कदम से साफ है कि वह पुलिस की जांच व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं। वैसे भी एक साथ 372 पुलिसकर्मियों का निलंबन राज्य के इतिहास में अपनी तरह का पहला मामला है।
गृह मंत्री के इस सख्त रवैये से वे सभी जांच अधिकारी भी जाग गये हैं जो मामलों की जांच में ढीला रवैया अपनाते हैं और देरी करते हैं। इस कार्रवाई के साथ ही उन्होंने संबंधित क्षेत्रों के पुलिस उपाधीक्षकों को स्थानांतरित कर सभी 3229 दर्ज मामलों की जांच एक माह के भीतर पूरी करने का निर्देश भी दिया है और ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। उनका कहना है कि लोगों को अपनी शिकायतों के निष्पादन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और इसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
जब विज को पता चला कि पिछले एक साल से 3229 ऐसे मामले लंबित हैं जिनमें या तो जांच शुरू नहीं हुई है या फिर जांच लंबित है। ऐसे मामलों में बार-बार जानकारी मांगने के बावजूद जांच अधिकारियों से कोई सही और सटीक स्पष्टीकरण नहीं मिलने से मंत्री नाराज थे और उन्होंने यह कार्रवाई कर पुलिस विभाग को कड़ा संदेश दिया है कि काम में ढिलाई बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
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उन्होंने पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर (Shatrujeet Kapoor) को पत्र लिखकर कहा कि 11 मई को गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर लंबित मामलों की जानकारी मांगी गयी थी।
जिन जांच अधिकारियों को निलंबित किया गया उनमें गुरुग्राम में 60, फरीदाबाद-32, पंचकुला-10, अंबाला-30, यमुनानगर-57, करनाल-31, पानीपत-3, हिसार-14, सिरसा-66, जींद-24, रेवाड़ी- पांच शामिल हैं। इनमें रोहतक-31 और सोनीपत के नौ शामिल हैं।