
नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2023 पारित किया गया।
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि तेलंगाना सरकार की ओर से स्थान निर्धारित नहीं हो पाने के कारण इसमें विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि बार-बार आग्रह किये जाने के बाद तेलंगाना के मुलुगू में यह जगह दी गयी है जहां 900 करोड़ रुपये की लागत से विश्वविद्यालय स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार नारे के माध्यम से शासन व्यवस्था नहीं चलाती बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार करने में विश्वास रखती है।केंद्रीय मंत्री ने ‘ड्रॉप आउट’ को लेकर सदस्यों के आंकडों को आधा सच करार देते हुए कहा कि विभिन्न विकल्पों की तलाश और घर-परिवार की परिस्थितियों के कारण बीच में पढ़ाई छोड़ना भी इसकी महत्वपूर्ण वजह होती है।
उन्होंने कहा कि कोरापुट और अमरकंटक स्थित जनजातीय विश्वविद्यालयों के पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि वहां कभी भी निर्धारित प्रतिशत के नीचे आदिवासी छात्रों की संख्या नहीं रही।उन्होंने कहा कि 2014-15 की तुलना में हाल के वर्षों में महिला पीएचडी शोधार्थियों की संख्या में 106 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय के रोहित बेमुला कांड का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं सभ्य समाज के लिए दु:खद हैं ।श्री प्रधान ने कहा कि सरकार ने विदेशों के गुणात्मक संस्थानों का भारत में परिसर खोलने की अनुमति दी है और इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से कायदे-कानून भी तय किये जा चुके हैं।
Central University Amendment Bill, , Lok Sabha