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राज्य और केंद्र सरकार ने मुफ्त राशन देकर लोगों को गुलाम और मजबूर बना दिया है और इन दिनों देश में धर्म और संस्कृति की राजनीति हो रही है
लखनऊ,(Shah Times)। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को अपने जन्मदिन के मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की इस दौरान उन्होंने साफ लफ्ज़ों में कह दिया कि बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी इतना ही नहीं मायावती ने यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल उनका राजनीति से संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘मेरा जन्मदिन आज जन कल्याणकारी दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है उन्होंने आगे कहा उत्तर प्रदेश में चार बार हमारी सरकार रही, जिसमें हमने सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के लिए काम किया।
आने वाली सरकारें हमारी योजनाओं की नकल करके हमारे लोगों को भूलने की कोशिश कर रही हैं। इसके बावजूद जातिवादी, पूंजीवादी और संकीर्ण मानसिकता की वजह से लोगों को इन योजनाओं का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है।
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, ‘मौजूदा राज्य और केंद्र सरकार ने मुफ्त राशन देकर लोगों को गुलाम और मजबूर बना दिया है और इन दिनों देश में धर्म और संस्कृति की राजनीति हो रही है, इससे लोकतंत्र और संविधान कमजोर होगा, उन्होंने बीजेपी सरकार पर सांप्रदायिक और संकीर्ण मानसिकता का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने महंगाई और बेरोजगारी पर ध्यान नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘जिस तरह से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में विपक्ष के इंडिया एलायंस लेकर बसपा के लोगों को गुमराह करने के मकसद से गिरगिट की तरह रंग बदला है. ‘बहुजन लोगों को उससे सावधान रहना होगा।’ मायावती ने कहा कि गठबंधन से चुनाव लड़ने से पार्टी को ही फायदा होता है, इसलिए बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी।
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती अब मुफ्त में समर्थन नहीं देने वाली’ मायावती ने कहा, ‘गठबंधन में चुनाव लड़ने से हमारी पार्टी को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है. इससे पार्टी का वोट प्रतिशत कम हो जाता है. जिसका हमारी पार्टी से गठबंधन होता है उसे इसका ज्यादा फायदा मिलता है.’ देश की ज्यादातर पार्टियां बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती हैं, जबकि हमारे लिए बसपा के हित का भी ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अब हमारी पार्टी किसी भी चुनाव के बाद केंद्र व राज्य में कमजोर व उपेक्षित वर्ग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी उचित भागीदारी के आधार पर उनके हितों की रक्षा में भी भाग ले सकती है. बसपा अब पहले की तरह बाहर से मुफ्त समर्थन नहीं देगी।