ज्योतिष में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का महत्व होता है और ये व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। कुंडली (Horoscope) में कुछ ग्रहों की स्थिति ऐसी हो सकती है जो अधिक आकर्षण की ओर संकेत करती हैं। वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की इच्छा हर किसी के मन में होती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शादी के बाद भी जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य से सम्बन्ध बन जाते हैं, जो वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। कुंडली में अफेयर्स का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं होता है, लेकिन कुछ ग्रहों, योगों और दृष्टियों के माध्यम से इस प्रकार के संबंधों के लिए विशेष योग या योगफल हो सकता है।
ज्योतिषी रजत सिंगल जी के अनुसार कुंडली में उपस्थित ग्रहों, नक्षत्रों, भावों, और योगों के विवरण से एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स (Extra Marital Affairs) और दूसरी शादी के बारे में पता लगाया जा सकता है. हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष संकेत (Astrological signs) का ठीक से अवलोकन हो अन्यथा यह भी देखा गया है की कुंडली का ठीक से अध्यन न किया गया हो तो भ्रम में गलत आरोप के चलते भी जीवनसाथी के साथ अनबन हो जाती है।
कैसे देखे कुंडली में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स?
जन्म कुंडली में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स (Extra Marital Affairs) की जाँच करने के लिए, आपको अपनी कुंडली के 5वें भाव को देखना होगा। 5वां भाव कुंडली में प्रेम, संबंध, लव अफेयर्स और अन्य यौन संबंधों से संबंधित होता है। अधिकतम ग्रह जो 5वें भाव को प्रभावित करते हैं, – सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र और मंगल। इन ग्रहों की स्थिति और उनकी दृष्टि ज्योतिषीय एक्स्ट्रा-मैरिटल संबंधों को बताती है।
जब किसी व्यक्ति के 5वें भाव में कोई मालेफिक ग्रह होता है और उसकी स्थिति विशेष रूप से शुभ नहीं होती है, तब व्यक्ति के संबंधों में कुछ संकेत हो सकते हैं। यदि 5वें भाव में बुध और शुक्र उपस्थित होते हैं तो यह एक संकेत हो सकता है कि व्यक्ति विपरीत सेक्स में बहुत अधिक रुचि रखता है। इसके अलावा, अगर 5वें भाव में कोई उत्तम ग्रह होता, तो व्यक्ति वैवाहिक संबंधों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
शुक्र और जीवनसाथी
सातवें घर को ज्योतिष में “जीवनसाथी का घर” भी कहा जाता है और इस घर में शुक्र ग्रह का प्रभाव सामान्यतः शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव देता है। शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, संगीत, कला, संतान और सुख-शांति से जुड़ा होता है। जब शुक्र ग्रह सातवें भाव में स्थित होता है, तो इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं:
शुक्र ग्रह सातवें भाव में स्थित होने से पारिवारिक संबंधों में सुख और समंदरी तालमेल की क्षमता में वृद्धि होती है। पर कुंडली में सातवें घर का अशुभ शुक्र अत्यधिक कामुक स्वभाव का बना सकता है, यह पत्नी और पति के बीच में सद्भाव, प्रेम और समझौते की भावना को भी दर्शाता हैं। शुक्र ग्रह सातवें भाव में स्थित होने से आपके मन में रोमांटिक और विपरीत सुंदर विचार उतपन्न होते है शुक्र की राहु के साथ उपस्तिथि आपको भ्रमित कर सकती है और ऐसे में जीवनसाथी का भरोसा डगमगा जाता है और एक दूसरे पर झूठे आरोप लग जाते हैं।
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यदि केतु सप्तम अथवा द्वादश भाव में स्थित हो और उसे चंद्र, शुक्र, मंगल, अथवा शनि का सहयोग प्राप्त हो, तो ऐसा व्यक्ति एक पत्नी के रहते हुए केवल सुविधा के लिए दूसरा सम्भन्ध या विवाह कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शुक्र अत्यंत सशक्त भूमिका में युति में हों तो यह शुभ संकेत नहीं होता। इसका अर्थ होता है कि जातक एक से अधिक विवाह करेगा। इसके अलावा यदि लग्नेश और सप्तमेश की युति हो या फिर इनकी दृष्टि पड़ रही हो तो यह भी बहुविवाह का योग बनाता है। शुक्र अगर मंगल के साथ हो या फिर मंगल की मेष या वृश्चिक राशि में बैठा हो तब तो परायी स्त्री से निकटता की संभावना काफी ज्यादा रहती है। अगर आप को पहले से ही आशंका है या आप इस बात से अवगत है की आपकी कुंडली (Horoscope) में कोई ऐसा योग या दोष है जिससे आपका वैवाहिक जीवन खराब हो सकता है तो ऐसे में ज्योतिषी रजत जी के अनुसार विवाह से पूर्व उचित उपाय कर आप उस दोष को कम कर सकते है, यह बहुत ही आसान है आपको बस अपनी और अपने जीवनसाथी की जन्म कुंडली किसी भी कुशल ज्योतिशास्त्री को दिखा कर उनकी सलाह लेनी है और अगर आपकी कुंडली में कोई दोष मिलता है तो विधि विधान शादी एवं अन्य उपाय कर आप दोष से मुक्ति पा सकते है।