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G-7 सात देशों का समूह है, जो दुनिया की सात सबसे उन्नत और विकसित अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह समूह आर्थिक और राजनीतिक मामलों में सहयोग और समन्वय के लिए बनाया गया है।
~ Sanna Rajput
नई दिल्ली (Shah Times) । आपको पता है G7 में भारत का हिस्सा नहीं,फिर भी PM मोदी G7 में शामिल होने के लिए इटली पहुंचे क्यों?
•पहले जान लेते हैं G7 क्या है?
जी7 (G7) एक ग्रुप ऑफ़ सेवन (Group of Seven) नेशन्स हैं, जो दुनिया के सात सबसे उन्नत और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को दर्शाता है। यह समूह आर्थिक और राजनीतिक मामलों में सहयोग और समन्वय के लिए बनाया गया है।
•जी7 के सदस्य देश:
1 अमेरिका
2कनाडा
3फ्रांस
3 जर्मनी
4इटली
5जापान
6यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन)
यह समूह आर्थिक नीतियों, ग्लोबल निवेश, व्यापार, और वित्तीय मामलों में सहयोग करता है, ताकि वे वृद्धि, स्थिरता, और विकास के क्षेत्रों में साझा स्वार्थपूर्ण मानकों को समायोजित कर सकें। इस समूह का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
•13 से 15 जून के बीच इटली के पुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन हुआ ,
ये सम्मेलन ऐसे समय हुआ , जब दुनिया एक कठिन दौर से गुजर रही है.ग़ज़ा से लेकर यूक्रेन तक में युद्ध चल रहा है. कई जी7 देश भी घरेलू चुनौतियों से जूझ रहे हैं.अमेरिका, यूके और फ़्रांस में इस इस साल चुनाव होना है. आप को बता दें चले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली गए हैं. बतौर प्रधानमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल शुरू करने के बाद मोदी का ये पहला विदेश दौरा है. इससे पहले जब साल 2023 में जापान के हिरोशिमा में जी7 का सम्मेलन हुआ था तो भी नरेंद्र मोदी उसमें शामिल हुए थे. 2019 में भी भारत को जी7 के लिए आमंत्रित किया गया था. 2020 में भी जो जी7 समिट अमेरिका में होने वाला था, उसके लिए भी भारत को बुलाया गया था. हालांकि कोविड 19 के कारण इसे कैंसिल करना पड़ा था. इस साल भी भारत के साथ कई ऐसे देशों को न्योता दिया गया है, जो जी7 का हिस्सा नहीं हैं.
- भारत को G7 में बुलाने के सही मायने।
2.66 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत की अर्थव्यवस्था जी-7 के तीन सदस्य देशों – फ्रांस, इटली और कनाडा से भी बड़ी है. अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. भारत की आर्थिक वृद्धि पश्चिमी देशों से अलग है, जहां अधिकतर देशों में विकास की संभावनाएं स्थिर हैं लेकिन भारत में ये संभावनाएं काफ़ी ज़्यादा हैं.
दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत बाजार क्षमता, कम लागत, व्यापार सुधार और अनुकूल औद्योगिक माहौल होने के कारण निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह है.
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एक वजह ये भी है कि 1980 के दशक में जी7 देशों की जीडीपी विश्व के कुल जीडीपी का लगभग 60 प्रतिशत था. अब यह घटकर लगभग 40 फ़ीसदी हो गया है.
हडसन इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कहती है कि प्रभावशाली देश होने के वाबजूद भविष्य में इसके दबदबे में और कमी आने की संभावना है. इसके सदस्य बनने को लेकर अटकलें दुनिया के गई वैश्विक राजनीतिक थिंक टैंक लगाते हैं और भारत के पक्ष में तर्क दिया जाता है कि रक्षा बजट के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है.
भारत की जीडीपी ब्रिटेन के बराबर है और फ्रांस, इटली और कनाडा से ज़्यादा है. साथ ही, भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए जी7 हर साल भारत को आमंत्रित करता है और उससे संवाद करना चाहता है.
PM मोदी इटली के जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने गए क्योंकि भारत को ग्लोबल राजनीतिक मंच पर अपनी बढ़ती हुई भूमिका दर्शाने का उद्देश्य था। इससे भारत को ग्लोबल स्तर पर महत्वपूर्ण रोल दिखाने का मौका मिला। भारत की आर्थिक, सामर्थ्यिक और राजनीतिक महत्वता को दर्शाने के साथ-साथ, विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी के विदेशी दौरों से भारत के बीच नए संबंध और नेतृत्व की भूमिका में माध्यम बना। जी7 में भाग लेने से भारत को एक प्लेयर के रूप में मान्यता मिलती है और यह संदेश भेजता है कि भारत ने अपनी ग्लोबल प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। इसके अलावा, इस सम्मेलन में भारत को अन्य ग्लोबल नेताओं से मिलने का भी मौका मिलता है, जिससे साथ में काम करने और विभिन्न राष्ट्रों के साथ रिश्तों को मजबूत करने की संभावना होती है।
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