
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने लोकतांत्रिक चुनावों की निष्पक्षता को प्रभावित करने वाले फर्जी आख्यानों और गलत सूचनाओं पर सतर्कता बरतने का आग्रह किया। उन्होंने इनकी रोकथाम के लिए वैश्विक सहयोग और तकनीकी नवाचारों की आवश्यकता पर जोर दिया।
New Delhi, (Shah Times)। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने लोकतांत्रिक देशों में चुनाव प्रबंधन करने वाले निकायों को चुनावी प्रक्रियाओं में विश्वास को खत्म करने वाले फर्जी बातों के प्रति सावधानी बरतने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि ऐसी बातें चुनाव की महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं को ही आहत करने के लिए फैलायी जाती हैं। कुमार ने कहा कि इन फर्जी बातों का मुख्य उद्देश्य चुनाव के मर्मस्थल को बेधना होता है। उन्होंने यह बात गुरुवार को राजधानी में चुनाव प्रबंधन करने वाले राष्ट्रीय निकायों और लोकतांत्रिक चुनाव पद्धतियों के क्षेत्र में काम करने वाले वैश्विक संगठनों के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही।
चुनाव प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने मुख्य भाषण में श्री कुमार ने दक्षता, पारदर्शिता और मतदाता विश्वास बढ़ाने में प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, लेकिन यह साइबर सुरक्षा खतरों और गलत सूचना जैसी चुनौतियां भी लाती है। श्री कुमार ने चुनाव प्रबंध करने वाले निकायों से इन तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियों को कारगर बनाने का आग्रह किया, ताकि चुनाव प्रक्रिया में जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके।
वैश्विक चुनाव वर्ष 2024: लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पुनरावृत्ति
इस सम्मेलन का आयोजन ‘वैश्विक चुनाव वर्ष 2024: लोकतांत्रिक स्थानों की पुनरावृत्ति, ईएमबी के लिए सीख’ विषय पर किया गया है, जिसका उद्देश्य 2024 में चुनावों के आयोजन में चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के अनुभवों को साझा करना था। सम्मेलन में विभिन्न देशों के चुनाव आयुक्तों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें मॉरीशस, भूटान, कजाकिस्तान, नेपाल और अन्य देशों के सीईसी शामिल थे।
चुनाव प्रबंधन में प्रौद्योगिकी: अवसर और चुनौतियाँ
चुनाव प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विशेष सत्र में भूटान के सीईसी दाशो सोनम टोपगे ने भारत को उसके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि कैसे चुनाव प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ रही है और इसके साथ ही चुनौतियां भी उत्पन्न हो रही हैं। विशेष रूप से सोशल मीडिया और फर्जी खबरों के प्रसार ने चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित किया है। इन मुद्दों से निपटने के लिए देशों के चुनाव आयुक्तों ने साझा रणनीतियाँ और समाधान पेश किए।