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2025 का बजट सत्र भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने जा रहा है, खासकर बजट और सरकार के विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के सवालों के कारण। इस सत्र की शुरुआत आज राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी, जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश करेंगी। हालांकि, इस सत्र में विपक्ष का आक्रामक रुख और सरकार के साथ तीव्र टकराव की संभावना है। आइए इस सत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं पर एक विश्लेषण करें:
1. राजनीतिक तनाव और विपक्ष की आक्रामकता
बजट सत्र में सबसे ज्यादा राजनीतिक तनाव और आक्रामकता विपक्षी दलों की ओर से देखने को मिल सकती है। खासकर महाकुंभ हादसे पर विपक्ष ने सरकार से सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह सरकार की अव्यवस्था और खामियों का परिणाम है, और इसे संसद में उठाना चाहिए। हालांकि सरकार ने इसे राज्य का विषय बताते हुए इसे नकारा है, लेकिन विपक्ष इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी में है।
विपक्ष के लिए यह मुद्दा वीआईपी संस्कृति और सार्वजनिक सुरक्षा की अवहेलना का प्रतीक बन सकता है, जिसका फायदा वे सरकार के खिलाफ उठा सकते हैं। कांग्रेस और सपा ने इस मुद्दे पर पहले ही सरकार को घेरने का प्रयास किया है, और यह अगले कुछ दिनों में और उग्र हो सकता है।
2. आर्थिक मुद्दों और बजट पर उम्मीदें
आर्थिक सर्वेक्षण और बजट 2025-26 को लेकर सरकार पर गंभीर दबाव है। भारत की आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों के बीच, यह बजट आर्थिक सुधार की दिशा में सरकार की प्राथमिकता को दर्शाएगा। बजट में घरेलू मांग को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन करने और कृषि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के उपायों पर जोर दिया जा सकता है।
विपक्ष यह दावा करेगा कि सरकार की नीतियां बेरोजगारी और कृषि संकट पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही हैं। यदि सरकार बजट में इन मुद्दों पर प्रभावी कदम नहीं उठाती, तो विपक्ष इसे एक बड़ा राजनीतिक हथियार बना सकता है।
3. विधायी रणनीति और सरकार का दृष्टिकोण
सरकार ने इस सत्र के दौरान 16 विधेयकों को पेश करने की योजना बनाई है, जिनमें वक्फ और इमिग्रेशन जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं। ये विधेयक विवादास्पद हो सकते हैं और विपक्ष का इन्हें लेकर विरोध हो सकता है।
सरकार का मुख्य लक्ष्य आर्थिक बजट को प्रस्तुत करते हुए अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना होगा, जबकि विपक्ष इसे लेकर विधायी प्रक्रियाओं पर सवाल उठा सकता है। यह सत्र सरकार के लिए विधायी सफलता को साबित करने का एक मौका होगा, लेकिन यदि विपक्ष इसे रुकवाने में सफल होता है, तो यह सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका हो सकता है।
4. क्षेत्रीय और छोटे दलों की भूमिका
क्षेत्रीय दलों का इस सत्र में महत्वपूर्ण योगदान होगा। ये दल कृषि, रोजगार और विकास के मुद्दों पर सरकार से अपने पक्ष में फैसले लेने की कोशिश करेंगे। यदि विपक्ष इन दलों को अपने साथ लाने में सफल हो जाता है, तो सरकार को विधायी सफलता हासिल करने में मुश्किलें आ सकती हैं।
5. संभावित परिणाम और प्रभाव
2025 का बजट सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, जहां उसे आर्थिक सुधारों और राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। अगर सरकार इस बजट में अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के प्रभावी उपायों को लागू करती है, तो यह उसकी स्थिति को मजबूत कर सकता है। लेकिन अगर बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता और सत्र में विरोध प्रदर्शन बढ़ते हैं, तो विपक्ष को सरकार के खिलाफ और अधिक मुद्दे मिल सकते हैं।
2025 का बजट सत्र निश्चित ही एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा, जो भारत की आर्थिक नीति और राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा। सरकार के लिए यह समय दोनों आर्थिक सुधार और राजनीतिक स्थिरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, जबकि विपक्ष इसके खिलाफ लगातार सवाल उठाने के लिए तैयार है। यह सत्र आगामी चुनावों से पहले सरकार के लिए एक परीक्षण साबित हो सकता है।