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क्या नुपूर शर्मा बिना चुनाव लड़े दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकती हैं? जानिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4), योग्यता मानदंड और भारत में ऐसे राजनीतिक उदाहरणों के बारे में।
नुपूर शर्मा, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निलंबित कर दिया था, क्या बिना चुनाव लड़े दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकती हैं? यह सवाल कई लोगों के मन में आ सकता है। भारतीय संविधान में मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि कोई व्यक्ति बिना चुनाव लड़े इस पद को कैसे हासिल कर सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि संविधान इस पर क्या कहता है और इस प्रक्रिया में किन शर्तों का पालन करना होता है।
संविधान क्या कहता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (4) स्पष्ट रूप से यह प्रावधान करता है कि अगर किसी राज्य में किसी राजनीतिक दल के पास बहुमत है और वह किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित करता है, तो राज्यपाल उस व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं, चाहे उसने चुनाव लड़ा हो या नहीं।
इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति, जो वर्तमान में विधायक नहीं है, फिर भी मुख्यमंत्री बन सकता है। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री बनने के लिए बिना चुनाव लड़े किन शर्तों का पालन करना जरूरी?
यदि कोई व्यक्ति बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बनता है, तो उसे 6 महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया में दो तरीके शामिल हो सकते हैं:
उपचुनाव लड़कर जीत दर्ज करना:
अगर कोई विधायक इस्तीफा देता है और वह सीट खाली हो जाती है, तो मुख्यमंत्री बने व्यक्ति को उस सीट से चुनाव लड़ना और जीतना होगा।
विधान परिषद के माध्यम से प्रवेश:
कुछ राज्यों में विधान परिषद (Upper House) होती है, जहां से किसी व्यक्ति को मनोनीत किया जा सकता है। दिल्ली में विधान परिषद नहीं है, इसलिए यह विकल्प उपलब्ध नहीं होगा।
अगर छह महीने के भीतर मुख्यमंत्री बने व्यक्ति को विधानसभा में एंट्री नहीं मिलती, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा।
भारत में ऐसे कौन से नेता हैं, जो बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बने?
भारत में कई नेता बिना सीधे चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बने हैं। आइए कुछ प्रमुख उदाहरणों पर नजर डालते हैं:
योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश, 2017)
जब योगी आदित्यनाथ को 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, तब वे गोरखपुर से सांसद थे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और विधान परिषद के सदस्य बने।
पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड, 2022)
पुष्कर सिंह धामी 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव हार गए थे।
फिर भी भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंपा और बाद में उन्होंने उपचुनाव में जीत हासिल की।
नीतीश कुमार (बिहार)
नीतीश कुमार कई बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन कई मौकों पर वे विधान परिषद के सदस्य रहते हुए इस पद पर बने रहे।
इन उदाहरणों से साफ है कि बिना चुनाव लड़े भी कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है, बशर्ते वह संवैधानिक शर्तों को पूरा करे।
क्या नुपूर शर्मा के लिए यह रास्ता खुल सकता है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या नुपूर शर्मा भी बिना चुनाव लड़े दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकती हैं?
दिल्ली में भाजपा को पहले बहुमत हासिल करना होगा।
अगर पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित करती है, तो उन्हें राज्यपाल से शपथ मिल सकती है।
लेकिन उन्हें 6 महीने के भीतर दिल्ली विधानसभा की किसी सीट से उपचुनाव जीतना होगा।
दिल्ली में विधान परिषद नहीं है, इसलिए वे उस रास्ते से मुख्यमंत्री नहीं बन सकतीं।
इसलिए, यदि भाजपा दिल्ली में सत्ता में आती है और नुपूर शर्मा को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित करती है, तो संवैधानिक रूप से यह संभव है। लेकिन विधानसभा चुनाव जीतना उनके लिए अनिवार्य होगा।
संविधान के अनुसार, बिना चुनाव लड़े कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है, लेकिन उसे छह महीने के भीतर विधानसभा सदस्य बनना होगा। योगी आदित्यनाथ, पुष्कर सिंह धामी और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने इसी प्रक्रिया का पालन किया है।
अगर भाजपा दिल्ली में सत्ता में आती है और नुपूर शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लेती है, तो संवैधानिक रूप से यह संभव है। लेकिन उन्हें या तो उपचुनाव जीतना होगा या अन्य किसी तरीके से विधानसभा में अपनी जगह बनानी होगी।
तो क्या नुपूर शर्मा बिना चुनाव लड़े दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकती हैं? हां, लेकिन यह आसान नहीं होगा और इसके लिए उन्हें राजनीतिक और संवैधानिक चुनौतियों का सामना करना होगा।