
राजनीति में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता कुछ ऐसा ही बीजेपी में भी देखने को मिल रहा है भगवा पार्टी में दो दिग्गज नेताओं की राय अलग-अलग नजर आ रही है हम बात कर रहे हैं यूपी के CM योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की, जानिए उन्होंने ऐसा क्या कहा जिससे सियासी बहस शुरू हो गई
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ की बात करती है. खुद पीएम मोदी कई मोर्चों पर इसका जिक्र कर चुके हैं. बीजेपी नेतृत्व ने भी सभी वर्गों के बीच यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की हालांकि पिछले दो दिनों में बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के जिस तरह के बयान आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि पार्टी में अलग-अलग हालात बन रहे हैं सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की, जिन्होंने विधानसभा चुनाव 2027 के लिए अपनी योजना साफ कर दी। उन्होंने दो टूक कहा कि 2027 की लड़ाई 80 बनाम 20 होने जा रही है।
जातिवाद के संदर्भ में की अहम टिप्पणी
एक तरफ जहां योगी आदित्यनाथ ने 80-20 का नारा बुलंद किया, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जातिवाद के संदर्भ में अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जो भी जाति की बात करेगा, मैं उसे जोरदार लात मारूंगा। गडकरी अक्सर पार्टी लाइन से अलग बयान देते रहे हैं। ऐसे में उनकी हालिया टिप्पणियों ने एक नई बहस छेड़ दी है।
जाति आधारित राजनीति के खिलाफ की सख्त टिप्पणी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान जाति आधारित राजनीति के खिलाफ सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। जो भी जाति की बात करेगा, मैं उसे जोरदार लात मारूंगा। केंद्रीय मंत्री के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी जाति, धर्म, भाषा या संप्रदाय से महान नहीं बनता, बल्कि वह अपने गुणों से महान बनता है। इसलिए हम किसी के साथ उसकी जाति, धर्म, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करते नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि मैं राजनीति में हूं और कई चीजें होती हैं लेकिन मैं अपने तरीके से चलता हूं। अगर कोई मुझे वोट देना चाहता है तो दे सकता है और अगर कोई वोट नहीं देना चाहता है तो वह भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। मेरे दोस्त मुझसे पूछते हैं कि आपने ऐसा क्यों कहा या आपने ऐसा स्टैंड क्यों लिया। मैं उनसे कहता हूं कि चुनाव हारने से कोई खत्म नहीं होता।
शिक्षा के महत्व पर दिया जोर
गडकरी ने आगे कहा कि मैं अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा और निजी जीवन में उनका पालन करता रहूंगा। गडकरी ने समाज और देश के विकास के लिए शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कई साल पहले जब वे विधायक थे तो उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक मुस्लिम शिक्षण संस्थान को इंजीनियरिंग कॉलेज दिलाने में मदद की थी। उन्होंने आगे कहा कि जिस वर्ग को शिक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है, वह मुस्लिम समुदाय है।
विपक्षी दलों ने भी की है तारीफ
नितिन गडकरी ने जिस तरह से अपनी बात रखी है, वह हैरान करने वाला है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है। गडकरी अक्सर पार्टी लाइन से हटकर टिप्पणी करते रहे हैं। यही वजह है कि बीजेपी के इस दिग्गज नेता की तारीफ विपक्षी दलों ने भी की है। कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी या फिर अन्य दल, इनके नेता गडकरी की तारीफ करते नहीं थकते। गडकरी ने जिस तरह से मुसलमानों को लेकर बात की, उससे बीजेपी में असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है। कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी खुलकर उनके समर्थन में उतर आई हैं।
पार्टी ‘बांटोगे तो कटोगे’
अगर बीजेपी के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात करें तो उन्होंने 80-20 फॉर्मूले का जिक्र किया है। यूपी में विधानसभा चुनाव भले ही दो साल बाद 2027 में हों, लेकिन सीएम योगी ने तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी ‘बांटोगे तो कटोगे’ और ‘हम एक हैं तो सुरक्षित हैं’ जैसे नारों के जरिए अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी है। ऐसे में अब सीएम योगी ने 80-20 की राजनीति पर जोर दिया है। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा कि 2027 में मुकाबला 80 बनाम 20 होने वाला है. सीएम योगी 2022 के चुनाव में भी कुछ ऐसा ही दावा करते नजर आए अब उनके ताजा कदम से सियासी पारा चढ़ने लगा है
योगी आदित्यनाथ दे रहे 80-20 का फॉर्मूला
सवाल उठ रहा है कि बीजेपी में बड़े नेताओं की राय अलग-अलग क्यों है गडकरी जहां कह रहे हैं कि जाति, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए, वहीं योगी आदित्यनाथ 80-20 का फॉर्मूला दे रहे हैं इसकी वजह भी है नितिन गडकरी पार्टी में सौम्य चेहरे के प्रतीक हैं वह हमेशा हर वर्ग को साथ लेकर चलने की बात करते रहे हैं वहीं, योगी आदित्यनाथ कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते रहे हैं. उनके बयानों को देखकर समझा जा सकता है कि वह किस तरह से ऐसे मामलों पर बेबाकी से अपनी प्रतिक्रिया देते रहे हैं