
प्रियंका गांधी को 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर आधी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी थी।
यूसुफ़ अंसारी
दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) की नई टीम में प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। बड़ी जिम्मेदारी क्या होगी इसे लेकर के की तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। प्रियंका के करीबी उन्हें पार्टी में उपाध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं एक धड़े से प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग उठ रही है। खासकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर लटकी जेल जाने की तलवार को देखते हुए पार्टी में प्रियंका गांधी को आगे बढ़ाने की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है।
कांग्रेस में क्या होती है बड़ी जिम्मेदारी?
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को क्या जिम्मेदारी मिल सकती है, इस पर चर्चा करने से पहले इस बात को समझ लेना जरूरी है कि कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी क्या होती है। कांग्रेस (Congress) संविधान के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष के बाद सबसे बड़ा पद कोषाध्यक्ष का होता है। ये पद एक ही होता है। पार्टी संविधान में उपाध्यक्ष का पद अध्यक्ष के बाद सबसे अहम माना जाता है। लेकिन कांग्रेस में बहुत कम उपाध्यक्ष रहे हैं। 2013 में राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी संगठन में सबसे महत्वपूर्ण पद राष्ट्रीय महासचिव का होता है। कांग्रेस में 10 से 12 राष्ट्रीय महासचिव होते हैं। जरूरत के हिसाब से यह संख्या घटाई या बढ़ाई जा सकती है। महासचिवों में संगठन के प्रभारी महासचिव को सबसे प्रभावशाली माना जाता है। यह कांग्रेस अध्यक्ष और बाकी महासचिव के बीच सेतु की तरह काम करता है। उसके बाद उन्हें प्रभावी राष्ट्रीय महासचिव माना जाता है जिनके पास बड़े राज्यों की जिम्मेदारी होती है।
अभी क्या है प्रियंका की जिम्मेदारी?
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर आधी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी थी। प्रियंका के पास पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी। आधे उत्तर प्रदेश में जिम्मेदारी उन्हीं के साथ राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गई थी। सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई थी। साल 2020 में सिंधिया के पार्टी छोड़कर जाने के बाद प्रियंका गांधी पूरे उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जिंदा करने के लिए प्रियंका गांधी ने जीतोड़ मेहनत की। कई आंदोलन चलाए। संगठन में कई प्रयोग किए। कई बड़े फेरबदल किए। लेकिन वो कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा करने में नाकाम रहीं। उन्हीं के प्रभारी रहते कांग्रेस ने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा। इसमें कांग्रेस महज़ दो सीटें ही जीत पाई।
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प्रियंका को लेकर क्या है मांग?
पार्टी में प्रियंका के कट्टर समर्थक लोकसभा चुनाव में उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से लेकर उपाध्यक्ष या फिर संगठन महामंत्री या महासचिव बनाने की मांग कर रहे हैं। प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के करीबी माने जाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम तो खुलेआम कह चुके हैं कि अगले चुनाव के लिए यादव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए। किसी गैर कांग्रेसी नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। पार्टी में चर्चा है प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को उपाध्यक्ष बनाया जाता है तो आरोप लगेगा कि गांधी परिवार पार्टी पर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहता है। लिहाजा यह भी चर्चा है कि प्रियंका के साथ पार्टी एक और वरिष्ठ नेता को उपाध्यक्ष बनाकर संतुलन बनाना चाहिए।
लगातार बढ़ी प्रियंका की सक्रियता
पार्टी में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। भले ही लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कोई सफलता ना मिली हो। बल्कि उनके प्रभारी रहते राहुल गांधी अमेठी से अपना चुनाव हार गए हों। विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को 2 सीटें मिली हों, इसके बावजूद पार्टी में प्रियंका गांधी की सक्रियता लगातार बढ़ी है। लगातार बढ़ती ही जा रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश की प्रचार की कमान संभाली थी। हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला थे लेकिन वहां प्रचार प्रसार की कमान पूरी तरह प्रियंका गांधी ने संभाली थी। उन्होंने पुरानी पेंशन बहाल करने और महिलाओं को भत्ता देने समेत पांच गारंटी देकर हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीतने में अहम भूमिका निभाई थी।
विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका
इस साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी प्रियंका गांधी को अहम जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने करीब 30-35 विधानसभा सीटों का सघन दौरा करके महिला वोटरों को लुभाने में अहम भूमिका निभाई। इस साल के आखिर में होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में भी प्रियंका गांधी अहम भूमिका निभा रही हैं। हर राज्य में महिलाओं के लिए भत्ता और उनके लिए रोजगार की गारंटी का प्रियंका का फॉर्मूला असर दिखा रहा है। पार्टी को लगता है कि इससे उसे कई राज्यों के चुनाव जीतने में मदद मिल सकती है। महिला वोटरों को कांग्रेस की तरफ खींचने में प्रियंका गांधी एक बड़ी चुंबक की तरह काम कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में यह बात साबित हुई है। इसे देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी प्रियंका गांधी के कामकाज का दायरा बढ़ाना चाहते हैं।
क्या जिम्मेदारी मिल सकती है?
कांग्रेस के सूत्र दावा करते हैं कि प्रियंका गांधी को उनके करीबी उत्तर प्रदेश का प्रभार छोड़कर संगठन का प्रभारी महासचिव बनने की सलाह दे रहे हैं। इससे वो कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के करीब रहेंगी और बाकी महासचिवों के बीच सेतु की तरह काम कर सकेंगी। फिलहाल केसी वेणुगोपाल संगठन प्रभारी महासचिव है। उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। महासचिवों में सबसे ताकतवर उन्हीं को माना जाता है। प्रियंका गांधी के करीबी चाहते हैं कि वेणुगोपाल की जगह पार्टी में अब प्रियंका गांधी ये भूमिका निभाएं। मल्लिकार्जुन खरगे के करीबी सूत्रों का दावा है कि प्रियंका गांधी को नई जिम्मेदारी देने को लेकर कई विकल्पों पर विचार मंथन चल रहा है। इनमें उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी महासचिव की जिम्मेदारी भी शामिल है। जल्द ही इस पर आखिरी फैसला हो जाएगा।
गुजरात हाईकोर्ट के राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद कांग्रेस में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल गांधी को कोई राहत नहीं दी तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस को भी वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार करना चाहिए। इन हालात को देखते हुए ही कांग्रेस में प्रियंका गांधी को बड़ी भूमिका निभाने के लिए बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग उठ रही है। बताया जाता है कि राहुल गांधी प्रियंका को उपाध्यक्ष बनाए जाने के विचार के खिलाफ हैं। लेकिन संगठन प्रभारी महासचिव बनाए जाने को लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव को मोदी बनाम राहुल बनाना चाहती है। लेकिन वहीं राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करके उन्हें अगला लोकसभा चुनाव लड़ने से रोकने की हरसंभव कोशिश कर रही है। ऐसे में कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं का मानना है कि अगर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) नहीं लड़ पाएंगे तो उनकी जगह प्रियंका गांधी को मोदी से मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए।