
Rising political heat before Bihar Assembly Elections 2025 as Rahul Gandhi attacks Election Commission -Shah Times
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए बिहार चुनाव से पहले नया सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। क्या यह हार की आशंका है या रणनीतिक चाल? जेपी नड्डा और एनडीए ने पलटवार कर इसे फर्जी विमर्श बताया। जानिए पूरी सियासी तस्वीर Shah Times के विश्लेषण में।
🔎क्या यह बिहार में हार की आशंका है या रणनीतिक चतुराई?
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते जा रहे हैं, राजनीतिक बयानबाज़ी और रणनीति का स्तर चरम पर पहुंचता दिख रहा है। इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को घेरते हुए विपक्षी राजनीति को एक नई धार देने की कोशिश की है। महाराष्ट्र में मतदाता सूची में कथित विसंगतियों को आधार बनाकर उन्होंने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या यही ब्लूप्रिंट बिहार में भी दोहराया जाएगा?
📌 राहुल गांधी का आरोप और उद्देश्य: वोटर अविश्वास या दबाव की राजनीति?
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि महाराष्ट्र में पांच महीनों में 41 लाख मतदाताओं की असामान्य वृद्धि हुई है। उन्होंने इसे फर्जी मतदाता वृद्धि करार दिया और इसे बिहार चुनाव से जोड़कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाया।
क्या यह बयान जनता को सतर्क करने की कोशिश है या बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति?
यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एनडीए राज्य में एकजुट है और हाल के उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर चुका है।
🔥 जेपी नड्डा का तीखा पलटवार: “फर्जी विमर्श का ब्लूप्रिंट”
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी के आरोपों को “झूठ का चार-चरणीय मॉडल” करार देते हुए तीखा हमला किया:
- हार मानना
- आत्मविश्लेषण के बजाय षड्यंत्र रचना
- तथ्यों की अनदेखी
- संस्थाओं को बिना सबूत बदनाम करना
जेपी नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी ‘बेशर्मी से झूठ फैलाते हैं’ और लोकतंत्र को ‘नाटक’ बना रहे हैं।
🧩 महागठबंधन की रणनीति: मजबूती या उलझन?
राहुल गांधी के बयान को जहां आरजेडी और वाम दलों ने लोकतंत्र के पक्ष में बताया, वहीं कुछ विश्लेषक इसे दोधारी तलवार मानते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा के अनुसार यह बयान एक ओर युवाओं और अल्पसंख्यकों में चुनाव आयोग पर अविश्वास को जन्म दे सकता है, वहीं दूसरी ओर एनडीए इसे महागठबंधन की हार की स्वीकारोक्ति के तौर पर भुना सकता है।
⚖️ 2024 के नतीजे और वर्तमान समीकरण
- एनडीए ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में 29 सीटें जीतीं।
- महागठबंधन केवल 11 सीटों पर सिमट गया।
- उपचुनाव में भी एनडीए ने चारों सीटें अपने नाम कीं।
इन आंकड़ों की रोशनी में राहुल गांधी का बयान कहीं न कहीं नुकसानदायक हो सकता है, खासकर तब जब महागठबंधन पहले ही बैकफुट पर नजर आ रहा हो।
🧠 रणनीति या राजनीतिक चूक?
यदि राहुल गांधी का उद्देश्य चुनावी धांधली की ओर ध्यान दिलाना था, तो इसमें कुछ हद तक सफलता मिल सकती है — बशर्ते इसे सही तरीके से जनता के बीच पहुंचाया जाए। कांग्रेस ‘न्याय संवाद’ और ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ जैसे अभियानों से जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन यदि यह विमर्श “हार की तैयारी” के रूप में देखा गया, तो यह महागठबंधन की संभावनाओं को और कमजोर कर सकता है।
✅ निष्कर्ष: लोकतंत्र का युद्ध, लेकिन किसके पक्ष में?
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला बिहार चुनाव से पहले सियासी माहौल को और गरमा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह दांव महागठबंधन को जनता के बीच एकजुट करता है या एनडीए को अपनी स्थिरता और आत्मविश्वास के दम पर और मजबूत बनाता है। राजनीतिक शतरंज की इस चाल में अगली चाल जनता के हाथ में है।