
"Tehran burns under Israel's Rising Lion Operation – Shah Times exclusive visual"
इजरायल ने शुरू किया ईरान के खिलाफ सैन्य युद्ध, मारे गए परमाणु वैज्ञानिक | Shah Times
इजरायल ने शुरू किया ऑपरेशन ‘राइजिंग लॉयन’, ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले, दो प्रमुख वैज्ञानिकों की हत्या, भारी तबाही। क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है?
✍️ एक टकराव, जो अब ‘रणनीतिक अस्तित्व’ का प्रश्न बन गया है
13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान पर “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” नाम से एक अभूतपूर्व सैन्य अभियान की शुरुआत की। इस ऑपरेशन के अंतर्गत ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों, सामरिक ठिकानों और मिसाइल निर्माण इकाइयों पर सटीक और आक्रामक हमले किए गए। यह कोई सामान्य सीमावर्ती संघर्ष नहीं है, बल्कि यह वैश्विक सामरिक स्थिरता को प्रभावित करने वाला घटनाक्रम है, जिसकी गूंज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर तेल अवीव, तेहरान, वाशिंगटन और नई दिल्ली तक सुनाई दे रही है।
🧨 ऑपरेशन की रणनीति: हमले नहीं, एक निर्णायक ‘मॉडल वॉरफेयर’
इजरायल द्वारा शुरू किया गया यह ऑपरेशन पूरी तरह रणनीतिक और इंटेलिजेंस-ड्रिवन था। इसमें मोसाद की अहम भूमिका रही, जिसने न सिर्फ ईरान के कई रक्षा ढांचे को भेदने की योजना बनाई, बल्कि परमाणु वैज्ञानिकों की गतिविधियों पर महीनों से निगरानी भी रखी।
प्रमुख लक्ष्य थे:
- परमाणु संवर्धन केंद्र (जैसे – नतांज)
- बैलिस्टिक मिसाइल संयंत्र
- IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के शीर्ष अधिकारी
- परमाणु वैज्ञानिक: मोहम्मद मेहदी तेहरानची, फेरेयदून अब्बासी
- सैन्य कमांड बेस और रहवासी ठिकाने
⚠️ परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या: सैन्य टारगेट या रणनीतिक संदेश?
ईरान की तस्नीम समाचार एजेंसी और तेहरान टाइम्स की पुष्टि के अनुसार, इस ऑपरेशन में कम से कम दो प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। यह इजरायल द्वारा ईरान को दिया गया स्पष्ट संदेश है: “हमें पता है कि कौन लोग बम बना रहे हैं और हम उन तक पहुँच सकते हैं।” इससे वैश्विक सुरक्षा संतुलन में एक भयावह मोड़ आ सकता है।
🛡️ इजरायल की तीन-स्तरीय रणनीति: हमला नहीं, सुरक्षा नीति
इजरायल के वरिष्ठ सैन्य प्रवक्ता के अनुसार, ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के पीछे तीन प्रमुख उद्देश्य हैं:
- न्यूक्लियर ट्रिगर को निष्क्रिय करना – ईरान अब बम बनाने की कगार पर है, जिससे इजरायल को तात्कालिक खतरा है।
- बैलिस्टिक मिसाइल शक्ति का खात्मा – हज़ारों मिसाइलों का जखीरा, जिसमें कोई भी सिरजमीन बदल सकता है।
- प्रॉक्सी वॉर नेटवर्क को पंगु बनाना – हिज़्बुल्लाह, हूती जैसे संगठनों को हथियार और फंडिंग रोकना।
🌍 अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: अमेरिका की दूरी और एशियाई चिंता
इस ऑपरेशन को लेकर अमेरिका ने खुद को इससे अलग रखते हुए साफ किया कि यह इजरायल का एकतरफा कदम था। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
भारत, जो ईरान और इजरायल दोनों से रणनीतिक रूप से जुड़ा है, ने अपने नागरिकों के लिए तेहरान में एडवाइजरी जारी की है और अनावश्यक गतिविधियों से बचने की अपील की है।
🧪 ईरान की प्रतिक्रिया और विश्व अस्थिरता की आशंका
ईरान ने अभी तक आधिकारिक रूप से जवाबी कार्रवाई की घोषणा नहीं की है, लेकिन जिस तरह उसके प्रमुख वैज्ञानिक और IRGC प्रमुख मारे गए हैं, यह एक ‘घाव’ है जो चुप नहीं रहेगा। ईरान द्वारा प्रॉक्सी हमलों, साइबर हमलों या प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई की आशंका अब सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने खड़ी है।
प्रेस टीवी द्वारा जारी किए गए वीडियो दर्शाते हैं कि हमले रिहायशी इलाकों तक सीमित नहीं रहे, जो आने वाले समय में ईरानी जनमानस को उकसा सकते हैं।
🔴 ईरान-इसराइल तनाव के बीच भारतीय दूतावास की एडवाइजरी: सतर्क रहने की अपील
ईरान और इसराइल के बीच जारी संघर्ष के बीच भारतीय दूतावास ने तेहरान में मौजूद भारतीय नागरिकों के लिए अहम एडवाइजरी जारी की है। दूतावास ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि, “ईरान की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सभी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों से अनुरोध है कि वे अत्यधिक सतर्क रहें।” दूतावास ने नागरिकों को अनावश्यक गतिविधियों से बचने, स्थानीय प्रशासन की सलाहों का पालन करने और दूतावास के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नियमित अपडेट देखने की सिफारिश की है। क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
🔎 भारत के लिए सबक: सुरक्षा, संतुलन और रणनीतिक चुप्पी
भारत जैसी उभरती शक्ति के लिए यह टकराव कई सबक छोड़ता है:
- रणनीतिक संयम: भारत को अपने पड़ोसी देशों से जुड़ी संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर रणनीति बनानी होगी।
- साइबर सुरक्षा और इंटेलिजेंस: इजरायल की शैली से प्रेरणा लेते हुए भारत को अपनी एजेंसियों को सशक्त करना होगा।
- ऊर्जा आपूर्ति की वैकल्पिक योजना: ईरान से तेल आपूर्ति बाधित होने पर भारत को दूसरे विकल्प पहले से सुनिश्चित करने होंगे।
🎯 निष्कर्ष: क्या यह तीसरे विश्व युद्ध का प्रारंभ है?
‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के जरिए इजरायल ने दुनिया को दो बातें स्पष्ट कर दी हैं:
- उसका अस्तित्व किसी भी कीमत पर गैर-मोल है।
- परमाणु शक्ति बनने की दिशा में कोई भी देश, इजरायल के लिए ‘सीधी चुनौती’ है।
अब दुनिया की नजरें ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। यदि यह बदला लाता है तो दुनिया को एक नए सैन्य और कूटनीतिक संकट का सामना करना पड़ेगा, जिसकी जड़ें सिर्फ पश्चिम एशिया नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन को भी हिला सकती हैं।
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