
Iran Nuclear Facility After US-Israel Airstrikes - Missing Enriched Uranium @ Shah Times
IAEA की चेतावनी और भारत की चिंता: क्या मध्य पूर्व तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज पर है?
परमाणु संकट के बीच लापता यूरेनियम ने बढ़ाया तनाव
ईरान पर अमेरिका-इजरायल के हमलों के बाद 400 किलो संवर्धित यूरेनियम लापता। IAEA चिंतित, भारत ने संयम की अपील की। परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा है।
Shah Times International Desk 1
परमाणु संकट की वापसी:
ईरान-इजरायल संघर्ष की आग में अब परमाणु ईंधन भी घुल चुका है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नताज और इस्फाहान – पर किए गए बड़े हवाई हमलों के बाद जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है, वह है 400 किलो उच्च संवर्धित यूरेनियम का गायब होना। यह वही यूरेनियम है जो 60% तक संवर्धित किया गया था और जिसे 90% तक लेकर बम-ग्रेड यूरेनियम में बदला जा सकता है।
क्या अमेरिका की रणनीति विफल हुई?
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने खुद ABC न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया कि उन्हें इस संवर्धित यूरेनियम का कोई अता-पता नहीं है। इस बयान ने अमेरिका की सैन्य खुफिया और रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर यह यूरेनियम ईरान के हाथ में है, तो वह कम से कम 9 परमाणु हथियारों के निर्माण की स्थिति में है।
इजरायल की भूमिका और उपग्रह छवियां:
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इजरायली अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि हमले से पहले भारी मात्रा में उपकरण और यूरेनियम को स्थानांतरित कर दिया गया था। उपग्रह छवियों में ईरान के फोर्डो संयंत्र के आसपास ट्रकों की भारी मूवमेंट देखी गई, जिससे साफ होता है कि ईरान इस हमले की आशंका पहले से कर रहा था।
ईरान की सफाई और IAEA की चिंता:
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने पुष्टि की है कि ईरान ने हमले वाले दिन ही IAEA को सूचित कर दिया था कि वह अपने परमाणु संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। इसका सीधा संकेत यह है कि ईरान ने एक “स्ट्रैटेजिक रिट्रीट” किया है।
शांति की उम्मीद में छलावा:
जून 2025 की सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा की, लेकिन शाम होते-होते ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें दाग दीं। इजरायल ने जवाब में फिर बड़े हमले की धमकी दी। इससे पहले ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी बेस पर मिसाइल हमले किए थे।
भारत की चिंता और राजनयिक संतुलन:
ऑस्ट्रिया स्थित भारतीय राजदूत शंभू एस कुमारन ने IAEA की विशेष बैठक में भारत की ओर से चिंता जताई और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की। भारत ने परमाणु सुरक्षा, आम नागरिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरे पर ज़ोर देते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
IAEA की चेतावनी:
IAEA के महानिदेशक ने कहा कि यह संघर्ष वैश्विक परमाणु सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है जिससे हिंसा रोकी जा सकती है, वरना परिणाम अकल्पनीय होंगे।
क्या है आगे का रास्ता?
- राजनयिक दबाव: भारत, रूस, चीन और यूरोपीय संघ को मिलकर शांति की पहल करनी चाहिए।
- IAEA की भूमिका: IAEA को फोर्डो, नताज और इस्फाहान पर विशेष रिपोर्ट जारी करनी चाहिए।
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT) को और कठोर बनाना चाहिए, खासकर संकट के समय।
- ईरान के साथ बातचीत: केवल सैन्य कार्रवाई समाधान नहीं, वार्ता के लिए दरवाजे खुले रखने होंगे।
🔚 निष्कर्ष:
ईरान-इजरायल संघर्ष अब केवल एक सीमित युद्ध नहीं रहा, बल्कि यह वैश्विक परमाणु व्यवस्था की नींव को हिला देने वाला घटनाक्रम बन चुका है। अमेरिका का एकतरफा सैन्य दृष्टिकोण और ईरान की गुप्त तैयारी इस संकट को और गहरा बना रही है। ऐसे में भारत जैसे जिम्मेदार लोकतंत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है – जो ना सिर्फ शांति का संदेश दे, बल्कि उसे लागू करवाने में अग्रणी भूमिका निभाए।
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