
Donald Trump and Iran’s Supreme Leader Ayatollah Ali Khamenei featured against a military backdrop showing explosions at an Iranian nuclear facility during Operation Midnight Hammer. | Shah Times
ईरान के जवाबी हमले को कतर ने कैसे किया नाकाम? अमेरिकी एयरबेस पर टली तबाही
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डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के B-2 स्टील्थ फाइटर ने ईरान की फोर्डो परमाणु साइट को ‘मक्खन की तरह’ चीर दिया। जानिए ऑपरेशन मिडनाइट हैमर की पूरी कहानी और कतर ने अल उदैद एअरबेस पर ईरान के मिसाइल हमले को कैसे नाकाम किया।
ईरान में ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर‘: ट्रंप की बमबारी का दावा और कतर की निर्णायक भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप का विस्फोटक दावा: ‘बम पहाड़ को मक्खन की तरह चीर गया’
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि अमेरिका ने ईरान की सबसे सुरक्षित माने जाने वाली परमाणु सुविधा – फोर्डो को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। ट्रंप के अनुसार, अमेरिकी B-2 स्टील्थ फाइटर विमानों ने ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर’ के तहत बंकर-बस्टर बम गिराए, जो इतनी ताकतवर थी कि पहाड़ी सुरंगों को भी भेद गईं।
उन्होंने कहा कि यह हमला यूरेनियम संवर्धन न रोकने की ईरानी ज़िद के जवाब में किया गया और इसमें GBU-57 बमों तथा टॉमहॉक मिसाइलों का प्रयोग हुआ। इस हमले में फोर्डो के साथ-साथ नतांज और इस्फहान जैसे परमाणु केंद्र भी निशाने पर थे।
फोर्डो पर सटीक हमले से ‘दशकों पीछे’ गया ईरानी न्यूक्लियर प्रोग्राम
फोर्डो परमाणु सुविधा को ईरान ने एक पहाड़ के भीतर बनवाया था ताकि कोई भी बाहरी हवाई हमला इसे नष्ट न कर सके। लेकिन अमेरिकी हमले ने इस रणनीति को विफल कर दिया। ट्रंप ने कहा कि बमों ने सुरंगों को ऐसे चीर दिया जैसे गर्म चाकू मक्खन को काटता है।
उनके अनुसार, सैटेलाइट इमेज में यह स्पष्ट दिखा कि फोर्डो का इन्फ्रास्ट्रक्चर चट्टानों में बदल चुका था और नतांज-इस्फहान जैसे ठिकानों पर भी गंभीर असर पड़ा।
ईरान की चेतावनी की अनदेखी बनी हमले की वजह
ट्रंप ने बताया कि ईरान को पहले ही चेतावनी दी गई थी कि अगर वह परमाणु संवर्धन नहीं रोकेगा तो हमला होगा। लेकिन जब ईरान नहीं माना, तो अमेरिका ने तेज़ और गुप्त रणनीति के तहत हमला कर दिया। अमेरिकी प्रशासन ने यह ऑपरेशन सिर्फ कुछ घंटों में प्लान किया ताकि कोई लीक न हो।
संयुक्त राष्ट्र की आशंका: ईरान फिर से संवर्धन शुरू कर सकता है
हालांकि ट्रंप ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को “खत्म” बताया, लेकिन IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि ईरान कुछ महीनों में फिर से संवर्धन शुरू कर सकता है। यह संकेत देता है कि हमले से स्थायी समाधान नहीं हुआ है।
ईरान ने किया जवाबी हमला, लेकिन कतर-अमेरिका की सतर्कता से बच गई तबाही
22 जून के इस हमले के ठीक बाद, 23 जून को ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदैद एयरबेस को निशाना बनाकर मिसाइलें दागीं। कतर की निगरानी प्रणाली और अमेरिकी बलों की त्वरित प्रतिक्रिया के चलते कुल 19 में से 18 मिसाइलें हवा में ही नष्ट कर दी गईं। केवल एक मिसाइल एयरबेस के खाली हिस्से में गिरी जिससे मामूली नुकसान हुआ।
कतर की अगुवाई में चला बचाव अभियान: 300 सैनिक सक्रिय
सीएनएन रिपोर्ट के मुताबिक, शाम 7 बजे कतर की निगरानी प्रणाली ने मिसाइलों की पहचान की। ब्रिगेडियर जनरल जासिम अल अंसारी ने बताया कि 300 सैनिकों को तुरंत सक्रिय किया गया। दो जगहों पर पैट्रियट मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया। दोहा के ऊपर 11 और फारस की खाड़ी के ऊपर 7 मिसाइलें नष्ट की गईं।
कतर ने जताई नाराजगी, ट्रंप ने बताया ‘कमजोर जवाब’
ईरानी विदेश मंत्री ने दावा किया कि हमला सिर्फ प्रतीकात्मक था और नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाने की पूरी कोशिश की गई। लेकिन कतर ने इसे “संप्रभुता का उल्लंघन” बताते हुए कड़ा विरोध जताया। ट्रंप ने कतर की प्रतिक्रिया को “बहुत कमजोर” करार दिया और कहा कि किसी भी मित्र राष्ट्र को इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी।
क्या ईरान-अमेरिका संघर्ष बढ़ेगा?
अमेरिका और ईरान के बीच यह घटना एक नए मोड़ की शुरुआत मानी जा रही है। ट्रंप के दावे और कतर की भूमिका ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका किसी भी परमाणु खतरे को सीधे जवाब देने को तैयार है। लेकिन ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा, संयुक्त राष्ट्र की चेतावनियों और कतर जैसे देशों की जटिल कूटनीति इस संकट को और उलझा सकती है।
यह घटना न सिर्फ अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है बल्कि पश्चिम एशिया में छोटे देशों की सैन्य भूमिका और रणनीतिक संतुलन को भी सामने लाती है। कतर की सतर्कता और अमेरिका की सैन्य क्षमता ने इस बार संकट को टाल दिया, लेकिन भविष्य में यदि कूटनीति का रास्ता नहीं अपनाया गया, तो बड़ा युद्ध टलना मुश्किल हो सकता है।