
अहमदाबाद विमान हादसा: टेकऑफ के सेकंड्स बाद दोनों इंजन बंद, कॉकपिट बातचीत से खुलासा
260 मौतों वाले विमान हादसे में फ्यूल कटऑफ बनी वजह, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
12 में जून को अहमदाबाद विमान हादसे की रिपोर्ट में दोनों इंजनों की असामान्य विफलता और कॉकपिट संवादों से नए सवाल उठे हैं। जांच अभी जारी है।
✈️ Ahmedabad Plane Crash 2025: हादसे की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे, सवालों के घेरे में पायलट का फैसला
12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अब सार्वजनिक कर दी गई है। यह रिपोर्ट उस त्रासदी का तकनीकी और मानवीय विश्लेषण प्रस्तुत करती है जिसने 260 जिंदगियां लील लीं। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा शनिवार देर रात जारी की गई 15-पृष्ठीय रिपोर्ट कई गंभीर पहलुओं की ओर इशारा करती है – जिनमें सबसे प्रमुख है विमान के दोनों इंजनों का एक साथ बंद हो जाना और कॉकपिट में अंतिम क्षणों में पायलट्स के बीच हुआ संवाद।
🛫 टेकऑफ के तुरंत बाद बंद हुए दोनों इंजन
रिपोर्ट के मुताबिक, टेकऑफ के मात्र कुछ ही सेकंड बाद विमान के दोनों इंजन बंद हो गए। 13:38:42 पर फ्यूल कटऑफ स्विच ‘Run’ से ‘Cutoff’ हो गए, जिससे इंजन फ्यूल सप्लाई से कट गए। दिलचस्प बात यह रही कि इस समय विमान लगभग 180 नॉट की रफ्तार से उड़ रहा था और दोनों पायलट के बीच यह संवाद रिकॉर्ड हुआ:
👨✈️ पायलट 1: “तुमने ईंधन क्यों काटा?”
👨✈️ पायलट 2: “मैंने ऐसा नहीं किया।”
यह संवाद इस बात की ओर इशारा करता है कि दोनों इंजन का बंद होना जानबूझकर नहीं किया गया था, बल्कि संभवतः किसी तकनीकी गड़बड़ी या फ्लाइट सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी का परिणाम हो सकता है।
Download & Read Shah Times E-Paper – 12/07/2025
🔥 इंजन 1 ने रिकवर किया, लेकिन काफी देर हो चुकी थी
रिपोर्ट यह भी बताती है कि इंजन 1 को 13:38:52 पर दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की गई, और EGT (Exhaust Gas Temperature) में वृद्धि भी दर्ज हुई – जो स्टार्टिंग का संकेत है। इंजन 2 भी 13:38:56 पर दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश में था। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। N2 वैल्यू (कोर रोटर स्पीड) बहुत नीचे गिर चुकी थी, जिससे रिस्टार्ट असफल रहा।
13:39:11 पर विमान ज़मीन से टकरा गया – बी जे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर पर।
☠️ 260 मौतें, केवल एक जीवित बचा
इस भयावह दुर्घटना में कुल 260 लोगों की जान गई – जिनमें 241 यात्री, क्रू और 19 ज़मीनी नागरिक शामिल थे। भारत में बीते दशकों की यह सबसे बड़ी एविएशन त्रासदी बन गई। एकमात्र यात्री चमत्कारिक रूप से बच गया, लेकिन गंभीर रूप से घायल हुआ।
🧩 क्यों था को-पायलट के हाथों में कंट्रोल?
रिपोर्ट का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि टेकऑफ से लेकर क्रैश तक विमान का कंट्रोल को-पायलट क्लाइव कुंदर के पास था, जबकि अनुभवी कैप्टन सुमीत सभरवाल सिर्फ मॉनिटरिंग कर रहे थे। यहां सवाल उठता है – क्यों?
- कैप्टन सुमीत सभरवाल: 8600 फ्लाइट आवर्स
- क्लाइव कुंदर: मात्र 1100 फ्लाइट आवर्स
हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि पायलट इन कमांड की भूमिका में होने के बावजूद कैप्टन का को-पायलट को उड़ान का जिम्मा देना नियमों के तहत है – बशर्ते तीन शर्तें पूरी हों:
- PIC के तौर पर 1000+ घंटे
- कुल 3000+ फ्लाइट आवर्स
- संबंधित विमान मॉडल पर 300+ PIC आवर्स
कैप्टन सभरवाल इन सभी शर्तों पर खरे उतरते थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है, लेकिन परिस्थितियां बताती हैं कि अधिक अनुभवी कैप्टन की जगह कम अनुभवी को-पायलट के पास कंट्रोल रहना एक असाधारण निर्णय था।
💥 मलबा, इंजन और ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण जारी
AAIB ने बताया कि दोनों इंजन घटनास्थल से बरामद कर लिए गए हैं और एयरपोर्ट पर क्वारंटीन किए गए हैं। फ्लाइट रिकॉर्डर का पिछला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त था और उसे पारंपरिक तरीके से डाउनलोड करना संभव नहीं हो सका।
इस कारण, जांच में अब भी कई पेंच बाकी हैं, जिनका खुलासा फाइनल रिपोर्ट में होगा।
⚠️ टेक्निकल फॉल्ट या ह्यूमन एरर?
अब सवाल यह उठता है कि:
- क्या दोनों इंजन का अचानक बंद हो जाना महज़ एक सिस्टम गड़बड़ी थी?
- या किसी मानवीय गलती (जैसे गलत स्विच हैंडलिंग) का नतीजा?
AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह dual engine flameout जैसी दुर्लभ घटना हो सकती है – लेकिन टेकऑफ के दौरान ऐसा होना बेहद असामान्य है। विशेषज्ञों की टीम, जिसमें एविएशन साइकोलॉजिस्ट, इंजीनियर और पायलट्स शामिल हैं, जांच में जुटी है।
🇮🇳 नागरिक उड्डयन मंत्रालय की प्रतिक्रिया
मंत्रालय ने रिपोर्ट को बेहद गंभीरता से लिया है और बताया है कि अंतिम रिपोर्ट विस्तृत तकनीकी परीक्षण और विश्लेषण के बाद ही जारी की जाएगी। रिपोर्ट से जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा होगी, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे टाले जा सकें।
🔍 निष्कर्ष: पायलट निर्णय, तकनीकी विफलता और सिस्टम सेफ्टी पर फिर बहस
यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी या ह्यूमन एरर नहीं था, बल्कि यह एविएशन सेफ्टी सिस्टम, ट्रेनिंग, और SOP (Standard Operating Procedure) की गंभीर परीक्षा है। टेकऑफ जैसी क्रिटिकल फेज में ईंधन सप्लाई कट जाना और फिर दोनों इंजन का फेल होना इस बात को दर्शाता है कि हमारी विमानन प्रणाली में अब भी सुधार की आवश्यकता है।
यह हादसा हम सभी के लिए एक चेतावनी है – कि तकनीक के भरोसे पूरी तरह निर्भर नहीं हुआ जा सकता, और हर स्तर पर सतर्कता और ज़िम्मेदारी अनिवार्य है।




