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अमेरिका-रूस संबंधों में नई दरार: डोनाल्ड ट्रंप की धमकी से मचा भूचाल
डोनाल्ड ट्रंप का यू-टर्न: अमन की जगह जंग को बढ़ावा देने की रणनीति?
डोनाल्ड ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को मॉस्को पर हमला करने को कहा, पुतिन को 50 दिन की चेतावनी दी—क्या रूस-यूक्रेन जंग अब और तेज होगी?
डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी और बदला हुआ रुख: क्या जंग को भड़काने की ओर अमेरिका बढ़ रहा है?
रूस और यूक्रेन के दरमियान जारी जंग ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में अमेरिका को ला खड़ा किया है। खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ताजा बयान इस बात का संकेत दे रहा है कि वे यूक्रेन संकट को लेकर आक्रामक नीति अपनाने को तैयार हैं।
British Newspaper Financial Times की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 जुलाई को ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के बीच एक फोन वार्ता हुई थी। इस बातचीत में ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से सीधे तौर पर पूछा कि यदि उन्हें लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार दिए जाएं, तो क्या वह मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे रूसी शहरों पर हमला करने के लिए तैयार हैं।
ज़ेलेंस्की का जवाब भी उतना ही स्पष्ट था—”बिल्कुल। यदि आप हमें हथियार देंगे तो हम हमला कर सकते हैं।”
ट्रंप का दोहरा रुख: शांति प्रस्ताव या हमले की तैयारी?
डोनाल्ड ट्रंप पहले यह दावा कर चुके हैं कि अगर वे राष्ट्रपति बने तो 24 घंटे में रूस-यूक्रेन युद्ध को रोक सकते हैं। लेकिन अब जब पुतिन ने अमेरिका की शांति वार्ता की पेशकश को खारिज कर दिया है, ट्रंप का रुख पूरी तरह आक्रामक होता दिख रहा है।
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14 जुलाई 2025 को ट्रंप ने फिर एक बयान में साफ कर दिया कि यदि रूस 50 दिनों के भीतर युद्धविराम पर सहमत नहीं होता, तो अमेरिका रूस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लागू कर देगा। साथ ही, उन्होंने यूक्रेन को नई हथियार प्रणालियां उपलब्ध कराने की बात भी कही है।
ज़ेलेंस्की को मिली आक्रामक छूट: क्या यह नया सैन्य अध्याय होगा?
इस फोन बातचीत से यह स्पष्ट है कि ट्रंप अब यूक्रेन को एक ऐसे मोर्चे पर ले जाना चाहते हैं जहां वह रूस के भीतर हमले कर सके। यह रणनीति न केवल युद्ध को खींच सकती है, बल्कि रूस के साथ अमेरिका के संबंधों में नई दरार भी पैदा कर सकती है।
विशेष रूप से, नाटो देशों के ज़रिए हथियारों का हस्तांतरण कर ट्रंप परोक्ष रूप से एक सैन्य गठबंधन को रूस के खिलाफ सक्रिय करना चाहते हैं।
पुतिन-ट्रंप संबंधों में आया तीखा मोड़
यह वही ट्रंप हैं जिन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान पुतिन की काफी तारीफ की थी। लेकिन मौजूदा स्थिति में ट्रंप का गुस्सा और झल्लाहट साफ दिखाई दे रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन और ट्रंप के बीच हाल में एक तनावपूर्ण बातचीत हुई थी, जिसके अगले दिन ही ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से मॉस्को पर हमले की बात की।
यह बदला हुआ रुख अमेरिका की विदेश नीति में गंभीर बदलाव का संकेत हो सकता है।
क्या यह बयान वैश्विक कूटनीति को झटका देगा?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम न केवल यूक्रेन-रूस युद्ध को लंबा खींच सकता है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। अगर यूक्रेन मॉस्को या सेंट पीटर्सबर्ग पर हमला करता है, तो रूस की प्रतिक्रिया भी परमाणु या बड़ी सैन्य कार्रवाई के रूप में आ सकती है।
दुनिया पहले से ही इस युद्ध के कारण आर्थिक अस्थिरता, ऊर्जा संकट और वैश्विक महंगाई से जूझ रही है। ऐसे में युद्ध को और भड़काना विश्व शांति के लिए खतरनाक कदम साबित हो सकता है।
ट्रंप की रणनीति: दबाव बनाकर वार्ता की ओर धकेलना?
कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि ट्रंप की धमकी और ज़ेलेंस्की को हमले के लिए प्रेरित करना एक रणनीतिक दांव हो सकता है। इसका उद्देश्य पुतिन को बातचीत की मेज पर लाना है।
100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी, हथियारों की पेशकश और रूस के अंदर हमला करने की योजना के जरिए ट्रंप पुतिन पर ऐसा दबाव बनाना चाहते हैं जिससे वह मजबूर होकर वार्ता के लिए तैयार हों।
ट्रंप की नीति युद्ध विराम की ओर या युद्ध को और बढ़ाने की ओर?
डोनाल्ड ट्रंप की कथनी और करनी के बीच का अंतर एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। एक ओर वे 24 घंटे में युद्ध रोकने की बात करते हैं, दूसरी ओर वे ज़ेलेंस्की को रूस के भीतर हमले के लिए उकसाते हैं।
इस स्थिति में यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप की रणनीति वास्तव में युद्ध को समाप्त करने की है या फिर वह इसे एक निर्णायक मोड़ तक ले जाने की योजना बना रहे हैं।
पुतिन की हठधर्मिता, ज़ेलेंस्की की तत्परता और ट्रंप की आक्रामकता के इस त्रिकोणीय समीकरण में विश्व राजनीति एक बार फिर संकट के मुहाने पर खड़ी है। आने वाले दिनों में यह देखना बेहद अहम होगा कि ट्रंप का यह बदला हुआ रुख शांति की ओर ले जाता है या युद्ध के और विनाशकारी चरण में प्रवेश कराता है।