
Supreme Court refuses to lift stay on the release of Udaipur Files; Next hearing scheduled for July 21 – Shah Times
‘उदयपुर फाइल्स’ पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, फिलहाल नहीं हटेगी रोक
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: ‘उदयपुर फाइल्स’ पर अंतरिम रोक बनी रहेगी, अगली सुनवाई 21 जुलाई को
सुप्रीम कोर्ट ने ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि समिति की रिपोर्ट तक कोई राहत नहीं दी जाएगी। अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।
नई दिल्ली, (Shah Times)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह फिलहाल उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित हिंदी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ पर लगी अंतरिम रोक को हटाने के पक्ष में नहीं है। अदालत ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर देती, तब तक इस मामले में हस्तक्षेप उचित नहीं होगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार फिल्म की समीक्षा के लिए पहले ही एक समिति गठित कर चुकी है, और उन्हें दो दिन का समय दिया जाना चाहिए ताकि वे इस मामले पर निर्णय ले सकें। अदालत ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक को फिलहाल यथावत बनाए रखने का आदेश दिया है।
अदालत की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा:
“हम इस मामले को अभी लंबित रखेंगे। उच्च न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार का दृष्टिकोण सामने आना आवश्यक है। अगर केंद्र फिल्म में कुछ गलत नहीं मानता है, तो हम उसका मूल्यांकन करेंगे। अगर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) फिल्म में कुछ संशोधन करता है, तो हम उसकी समीक्षा करेंगे।”
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पीठ ने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार इस मामले को नहीं लेती, तो फिर स्थिति अलग होगी। लेकिन अभी समिति गठित हो चुकी है और वह इस पर विचार कर रही है, इसलिए दो दिन का समय उचित है।
समिति को शीघ्र निर्णय का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने समिति को निर्देशित किया कि वह बिना किसी देरी के फिल्म के पुनरीक्षण पर निर्णय ले। अदालत ने उम्मीद जताई कि समिति 21 जुलाई 2025 को होने वाली अगली सुनवाई से पहले अपनी राय स्पष्ट कर देगी।
क्या है ‘उदयपुर फाइल्स’?
‘उदयपुर फाइल्स‘ एक हिंदी फिल्म है जो वर्ष 2022 में राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैया लाल हत्या कांड पर आधारित है। कन्हैया लाल एक दर्जी थे, जिनकी दुकान पर दो कट्टरपंथी युवकों ने धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी थी। यह घटना एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हुई, और उसका वीडियो भी व्यापक स्तर पर वायरल हुआ था।
फिल्म निर्माता इस फिल्म को एक तथ्यात्मक पुनरावृत्ति बता रहे हैं, जिसमें समाज के सामने सच्चाई लाने का प्रयास किया गया है। वहीं दूसरी ओर, कुछ संगठनों का आरोप है कि फिल्म का उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना है।
हाईकोर्ट ने क्यों लगाई थी रोक?
यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज़ होनी थी, लेकिन 10 जुलाई 2025 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी। यह आदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और अन्य की याचिकाओं के आधार पर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिल्म समुदाय विशेष के खिलाफ नफ़रत और हिंसा को प्रोत्साहित कर सकती है।
फिल्म निर्माता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
फिल्म निर्माता कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी दलील है कि फिल्म किसी भी धर्म, समुदाय या जाति के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह एक प्रामाणिक सामाजिक विषय पर आधारित है, जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है।
एक आरोपी की याचिका से नया मोड़
इस पूरे घटनाक्रम में एक नया मोड़ तब आया जब कन्हैया लाल हत्या कांड के एक आरोपी, मोहम्मद जावेद, ने भी फिल्म पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उसका दावा है कि फिल्म के कारण न्यायिक प्रक्रिया और मुकदमे की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
सेंसर बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण
फिल्म के कंटेंट की प्रकृति को देखते हुए सेंसर बोर्ड (CBFC) की भूमिका निर्णायक हो जाती है। यदि फिल्म को प्रमाणन दिया जा चुका है, तो यह देखना आवश्यक है कि क्या उसमें कोई आपत्तिजनक दृश्य या संवाद हैं। समिति की रिपोर्ट और CBFC के निर्णय ही अदालत के अंतिम फैसले की दिशा तय करेंगे।
क्या कहता है कानून?
भारतीय संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मूल अधिकार है, लेकिन यह पूर्णतः निरंकुश नहीं है। यदि कोई फिल्म सामाजिक सौहार्द या सांप्रदायिक शांति को प्रभावित करती है, तो उस पर संवैधानिक प्रतिबंध लगाया जा सकता है। अदालत इसी संतुलन को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने की प्रक्रिया में है।
निष्कर्ष
फिलहाल ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक ओर जहां केंद्र सरकार को दो दिन में समिति की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है, वहीं दूसरी ओर यह स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल कोई राहत नहीं दी जाएगी।
अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार की समिति की रिपोर्ट और 21 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ‘उदयपुर फाइल्स’ को अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत रिलीज़ की अनुमति मिलती है या इसे सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा मानते हुए स्थायी रूप से प्रतिबंधित किया जाएगा।






