
NCERT Class 8 History Book 2025 Changes on Delhi Sultanate and Mughals
क्या NCERT इतिहास को दोबारा लिख रहा है या सच दिखा रहा है?
NCERT की नई किताब: इतिहास के अंधेरे पलों का सच या साजिश?
NCERT की 8वीं कक्षा की नई किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों को लेकर जो बदलाव किए गए हैं, वे क्या इतिहास का साक्ष्य-आधारित पुनर्मूल्यांकन हैं या किसी वैचारिक एजेंडे का हिस्सा? जानिए Shah Times विश्लेषण।
इतिहास में बदलाव का विमर्श
शिक्षा केवल सूचना देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह दृष्टिकोण निर्माण का भी औजार है। इसलिए जब किसी देश के इतिहास को नई पीढ़ी को पढ़ाने के लिए पुनर्लिखा जाता है, तो यह एक शैक्षिक नहीं बल्कि राजनीतिक और वैचारिक निर्णय भी बन जाता है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा जारी की गई कक्षा 8 की नई सामाजिक विज्ञान की किताब ‘Exploring Society: India and Beyond’ उसी विमर्श के केंद्र में है।
दिल्ली सल्तनत और मुगल काल: एक नया दृष्टिकोण या पूर्वाग्रह?
NCERT की इस नई किताब में बाबर को ‘क्रूर विजेता’, अकबर को ‘क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण’, और औरंगजेब को मंदिरों और गुरुद्वारों का विध्वंसक बताया गया है। यह विवरण पहले की किताबों में अपेक्षाकृत संतुलित रूप में प्रस्तुत किया गया था, जहां विजयों और प्रशासनिक सुधारों के साथ धार्मिक दृष्टिकोण को भी समावेशी तरीके से रखा गया था।
इस बदलाव के पीछे NEP 2020 और NCF 2023 की पृष्ठभूमि बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य “वास्तविक और समग्र” इतिहास प्रस्तुत करना है। लेकिन यह भी पूछा जाना चाहिए कि क्या इन बदलावों में ऐतिहासिक संतुलन बना रहा है, या यह किसी वर्तमान वैचारिक सोच को पाठ्यक्रम में थोपने का प्रयास है?
साक्ष्य आधारित या चयनात्मक प्रस्तुति?
NCERT का कहना है कि यह नया पाठ्यक्रम प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों पर आधारित है। लेकिन आलोचकों का तर्क है कि “धार्मिक असहिष्णुता” को जरूरत से ज्यादा उभारा गया है, जबकि मुगलकालीन स्थापत्य, साहित्य, प्रशासनिक नवाचार और धार्मिक समन्वय जैसे पक्षों को दरकिनार कर दिया गया है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि औरंगजेब के दौर में मंदिर विध्वंस हुए, या बाबर ने युद्धों में निर्दयता दिखाई। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह इतिहास का पूर्ण चित्रण है या एक पक्षीय फ्रेमिंग?
इतिहास का उद्देश्य: सीख या सजा?
NCERT ने अपने बचाव में कहा है कि किताब में “डार्क पीरियड” के संदर्भ में एक विशेष नोट जोड़ा गया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि “आज किसी को भी अतीत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता”। यह सराहनीय प्रयास है लेकिन यह भी आवश्यक है कि इतिहास को केवल अपराध और प्रतिशोध के नजरिए से न देखा जाए।
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इतिहास का कार्य किसी समुदाय या शासक वर्ग को कलंकित करना नहीं, बल्कि समझ बढ़ाना होता है – खासकर छात्रों में आलोचनात्मक सोच और ऐतिहासिक चेतना का विकास करना।
शिक्षाशास्त्रीय दृष्टिकोण: छात्रों पर प्रभाव
कक्षा 8 की यह किताब भारत के मध्यकालीन इतिहास को छात्रों के समक्ष रखती है। यह उम्र वह होती है जब छात्रों की सोच और दृष्टिकोण आकार लेते हैं। यदि पाठ्यक्रम केवल विजयों और असहिष्णुता को ही प्रमुखता देता है, तो छात्रों में पूर्वाग्रह और विभाजनकारी सोच पनप सकती है।
NCERT ने यह दावा किया है कि नई किताबें बहु-विषयक और सुगम भाषा में हैं ताकि छात्र अत्यधिक जानकारी के दबाव से मुक्त होकर आलोचनात्मक सोच विकसित कर सकें। यह उद्देश्य तभी पूरा होगा जब सामग्री संतुलित, प्रमाणिक और वैचारिक रूप से निष्पक्ष हो।
राजनीतिक और वैचारिक सवाल
इतिहास लेखन सदैव सत्ता और विचारधाराओं से जुड़ा रहा है। भारत में लंबे समय से इतिहास को लेकर वैचारिक बहस होती रही है – विशेषकर मुगल काल को लेकर।
NCERT की नई किताब को लेकर भी यही आशंका उठ रही है कि क्या यह बदलाव राजनीतिक विचारधारा के अनुरूप इतिहास को पुनर्लिखने की कोशिश है? यदि ऐसा है, तो यह शैक्षिक स्वायत्तता और ज्ञान की वस्तुनिष्ठता दोनों के लिए खतरनाक संकेत है।
NCERT की सफाई: संतुलन की कोशिश या बचाव का बयान?
NCERT ने एक बयान में स्पष्ट किया है कि यह किताब शोध और साक्ष्यों पर आधारित है, और इसका उद्देश्य “भविष्य के लिए सबक” देना है। संस्थान ने यह भी कहा कि इसमें किसी विशेष धर्म या समुदाय को लक्षित करने का इरादा नहीं है।
हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं कि जिस तरह से “धार्मिक असहिष्णुता” और “क्रूरता” को बार-बार रेखांकित किया गया है, वह समाज के ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है।
क्या चाहिए एक आदर्श इतिहास शिक्षा में?
संतुलित दृष्टिकोण: केवल नकारात्मक घटनाओं को दिखाना इतिहास को एकपक्षीय बनाता है। सकारात्मक उपलब्धियों, सांस्कृतिक योगदान और सहिष्णु पहलुओं को भी समान रूप से दिखाना चाहिए।
स्रोतों की पारदर्शिता: छात्रों को यह बताया जाना चाहिए कि कौन से स्रोतों से जानकारी ली गई है, और इतिहास की व्याख्या कैसे की गई है।
समझ बढ़ाने की कोशिश: इतिहास को समझने का उद्देश्य छात्रों में मानवता, विविधता और सहिष्णुता को बढ़ाना होना चाहिए, न कि पूर्वाग्रह और नफरत।
राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाव: इतिहास शिक्षा को सत्ता के विचारों का औजार नहीं बनाना चाहिए।
इतिहास का चेहरा या परछाईं?
NCERT की नई किताब में किया गया बदलाव भारतीय इतिहास के एक पक्ष को सामने लाता है, जो आवश्यक भी है। लेकिन अगर यह बदलाव संपूर्णता और संतुलन के बिना किया गया है, तो यह शिक्षा नहीं बल्कि धारणा निर्माण का उपकरण बन जाता है।
एक लोकतांत्रिक और विविधतापूर्ण समाज के लिए जरूरी है कि उसका इतिहास न केवल सत्यनिष्ठ हो, बल्कि वह समावेशी भी हो। छात्रों को इतिहास से विवेक और विचारशीलता सीखनी चाहिए, न कि विभाजन और वैमनस्य।







