
US Secretary Marco Rubio announces TRF as Foreign Terrorist Organization
भारत की कूटनीति रंग लाई: TRF अब अमेरिका की आतंकी सूची में
पहलगाम हमले के बाद TRF पर अमेरिकी प्रतिबंध, भारत ने सराहा
Shah Times Editorial
अमेरिका द्वारा TRF को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करना भारत की आतंकवाद विरोधी कूटनीति की सफलता है। इससे पाकिस्तान की छवि वैश्विक मंच पर और खराब हुई है।
अमेरिका का बड़ा कदम: टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना क्यों अहम है?
अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकी (SDGT) घोषित कर भारत के पक्ष में एक निर्णायक कूटनीतिक कदम उठाया है। इस फैसले से न केवल भारत की सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला है, बल्कि पाकिस्तान की आतंकवाद पोषक छवि भी वैश्विक स्तर पर बेनकाब हुई है।
TRF कौन है और इसका आगाज़ कैसे हुआ?
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सामने आया आतंकवादी संगठन है। यह लश्कर-ए-तैयबा का ही एक प्रॉक्सी संगठन है जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर खड़ा किया गया था। TRF का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाना, हाइब्रिड आतंकवाद को बढ़ावा देना और सीमावर्ती इलाकों में ड्रग्स व हथियारों की तस्करी करना रहा है।
पहलगाम हमला: TRF की पहचान और अंतरराष्ट्रीय संज्ञान
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए। इस कायराना हरकत की जिम्मेदारी TRF ने सार्वजनिक तौर पर ली। यह हमला 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद लश्कर-प्रॉक्सी द्वारा भारत में किया गया सबसे घातक हमला था।
हालांकि, चार दिन बाद TRF ने इस जिम्मेदारी से इनकार करते हुए वेबसाइट हैक होने की बात कही, लेकिन अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। आतंकवादी संगठनों द्वारा इस तरह के बयान पलट देना कोई नई बात नहीं है।
भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी और आतंकवाद पर समन्वय
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के इस कदम का स्वागत करते हुए इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका साझेदारी की मजबूत पुष्टि बताया। उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि भारत ने अमेरिका को ठोस प्रमाण सौंपे थे, जो ऑपरेशन सिंदूर के तहत TRF और पाकिस्तान की संलिप्तता को दर्शाते थे।
यह सहयोग एक वैश्विक संकेत है कि अब आतंकवाद के खिलाफ ढुलमुल रवैया नहीं चलेगा। भारत की कूटनीति अब केवल शोर तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह ठोस परिणाम ला रही है।
आज का शाह टाइम्स ई-पेपर डाउनलोड करें और पढ़ें
अमेरिका के फैसले के दो अहम परिणाम
1. FTO लिस्टिंग के प्रभाव
विदेशी आतंकी संगठन (FTO) की सूची में TRF का शामिल होना अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के तहत एक गंभीर कदम है। अब कोई भी व्यक्ति या संस्था यदि TRF को सहायता पहुंचाता है—चाहे वह आर्थिक हो, साजो-सामान की या वैचारिक—उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई संभव होगी।
2. SDGT लिस्टिंग के परिणाम
विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकी की सूची में TRF को शामिल किए जाने का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि अमेरिका में इसकी सारी संपत्तियां जब्त होंगी। साथ ही वैश्विक बैंकिंग सिस्टम से इसकी पहुंच लगभग खत्म हो जाएगी। इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य देश भी TRF पर कार्रवाई के लिए प्रेरित होंगे।
पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका
पाकिस्तान की वर्तमान सरकार लगातार यह दिखाने का प्रयास कर रही थी कि वह आतंकवाद के खिलाफ है, लेकिन TRF की वास्तविकता और उसकी पाकिस्तान से संबद्धता अब पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट हो चुकी है। अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान के आतंकवाद पोषण के इतिहास की एक और पुष्टि है।
यह उस समय और भी शर्मनाक बन जाता है जब पाकिस्तान FATF (Financial Action Task Force) की निगरानी सूची से बाहर आने की कोशिश में लगा हो। TRF पर अमेरिकी प्रतिबंध उसकी इन कोशिशों पर पानी फेरने जैसा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की बढ़ती पहल
भारत अब अमेरिका के इस निर्णय के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में TRF पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध की मांग को लेकर और अधिक मुखर होगा। भारत इससे पहले जैश-ए-मोहम्मद और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित करवाने में सफल हो चुका है। अब TRF पर भी वैश्विक एकजुटता बनाने की रणनीति अपनाई जा रही है।
वैश्विक आतंकवाद विरोधी नीति की दिशा में बदलाव
TRF जैसे संगठनों को केवल स्थानीय समस्या समझना अब अतीत की बात हो चुकी है। अमेरिका का यह फैसला बताता है कि विश्व की बड़ी शक्तियाँ अब आतंकवाद को संप्रभुता के अधिकार के चश्मे से नहीं, वैश्विक खतरे के रूप में देखने लगी हैं। इससे भारत जैसे देशों को बड़ी ताकत मिलती है जो वर्षों से आतंकवाद का शिकार हैं।
भारत के लिए यह क्यों कूटनीतिक जीत है?
अंतरराष्ट्रीय मान्यता: TRF को आतंकवादी संगठन घोषित कर भारत की सुरक्षा चिंताओं को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है।
पाकिस्तान पर दबाव: पाकिस्तान की वैश्विक छवि को और नुकसान पहुँचा है।
रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि: अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के साथ भारत की सामरिक भागीदारी और विश्वास बढ़ा है।
UNSC में बढ़त: यह निर्णय TRF पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगाने की दिशा में भारत के लिए महत्वपूर्ण सहारा बनेगा।
आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता
TRF पर अमेरिकी प्रतिबंध भारत की कूटनीति और आतंकवाद विरोधी रणनीति की बड़ी सफलता है। यह केवल एक संगठन को प्रतिबंधित करने का मामला नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक संदेश है कि अब आतंक के खिलाफ नीति में कोई लचीलापन नहीं चलेगा।
अब आवश्यकता है कि अन्य देश भी अमेरिका की तरह ही पाकिस्तान पोषित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं। आतंकवाद के खिलाफ “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति को केवल भाषणों तक सीमित न रखकर कार्रवाई के स्तर पर दिखाना ज़रूरी है।