
ग्राम स्तर पर बनेगी सड़क सुरक्षा की नई नीति
ग्रामीण सड़क हादसों पर लगेगा अंकुश, बनीं ग्राम समितियाँ
~ Irfan Muneem
ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाएं रोकने को ग्राम सड़क सुरक्षा समिति का गठन, ब्लैक स्पॉट पहचान और हेलमेट जागरूकता
ग्राम-ग्राम सड़क सुरक्षा समिति का गठन: ग्रामीण सड़कों पर दुर्घटनाओं पर लगेगा अंकुश
बरेली,(Shah Times) । बरेली मंडल में सड़क सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। ग्रामीण अंचलों में हो रही लगातार सड़क दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए मंडल के कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने ग्राम सड़क सुरक्षा समिति (Village Road Safety Committee) के गठन का निर्देश दिया है। 17 जुलाई को मंडलीय सड़क सुरक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सड़क सुरक्षा सिर्फ शहरी इलाकों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसे गाँवों में भी समान रूप से लागू किया जाएगा।
ग्रामीण सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता
बैठक में यह तथ्य सामने आया कि मंडल के 4 में से 3 जिलों में सड़क हादसे दोपहिया वाहनों की आमने-सामने टक्कर के कारण हो रहे हैं। इनमें से अधिकतर घटनाएं हेलमेट न पहनने, ओवरस्पीडिंग और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी के चलते होती हैं। कमिश्नर ने निर्देश दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में हेलमेट पहनने की जागरूकता पर विशेष ज़ोर दिया जाए और इस अभियान में स्थानीय नेतृत्व की अहम भूमिका सुनिश्चित की जाए।
“सड़क सुरक्षा सिर्फ शहरों की नहीं, अब गाँवों की भी प्राथमिकता बनेगी।” — कमिश्नर सौम्या अग्रवाल
“सड़क सुरक्षा अब गाँव-गाँव” – एक ग्राम सभा-आधारित जागरूकता अभियान
कमिश्नर ने प्रस्तावित किया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सड़क सुरक्षा समिति का गठन किया जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर सड़क सुरक्षा एक जनांदोलन का रूप ले सके। इस समिति के गठन से न केवल ग्रामीणों को सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा, बल्कि ब्लैक स्पॉट की पहचान और रिपोर्टिंग भी संभव हो सकेगी।


समिति की संरचना और कार्यप्रणाली
ग्राम सड़क सुरक्षा समिति में शामिल होंगे:
ग्राम प्रधान
पंचायत सचिव
स्थानीय शिक्षक
आशा कार्यकर्ता
पुलिस बीट प्रभारी
युवा स्वयंसेवक
बैठकें और निर्णय:
त्रैमासिक बैठकें अनिवार्य होंगी।
स्थानीय दुर्घटनाओं की समीक्षा की जाएगी।
सुधारात्मक कार्रवाई तय होगी।
ब्लॉक स्तर पर पहली बैठक में सभी संबंधित अधिकारी मौजूद रहेंगे, जैसे कि परिवहन अधिकारी, SDM, CO, थानाध्यक्ष, खंड विकास अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और पंचायत अधिकारी।
इस बैठक में समिति को उनके कर्तव्यों और कार्यों के विषय में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, उनसे ब्लैक स्पॉट की सूची भी प्राप्त की जाएगी, जिससे आगे की कार्यवाही तय की जा सके।
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प्रमुख जन-जागरूकता गतिविधियाँ
1️⃣ ग्राम सभा में सड़क सुरक्षा का प्रदर्शन:
सड़कों पर ट्रैफिक नियमों और सुरक्षा के महत्व को उजागर करने के लिए ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुतियाँ की जाएँगी।
2️⃣ नुक्कड़ नाटक, गीत और पोस्टर प्रतियोगिता:
स्थानीय भाषा और संदर्भों के ज़रिए ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा। बच्चों, युवाओं और महिलाओं को इसमें शामिल किया जाएगा।
3️⃣ ब्लैक स्पॉट की पहचान और रिपोर्टिंग:
ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटना संभावित स्थलों की पहचान कर उन्हें SANJAYA App के माध्यम से रिपोर्ट किया जाएगा। यह ऐप विशेष रूप से IIT Madras के CoERS द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
4️⃣ विद्यालय आधारित जागरूकता:
बच्चों और किशोरों के बीच सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
5️⃣ वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए विशेष सत्र:
इन वर्गों को प्राथमिकता देते हुए ट्रैफिक नियमों और सुरक्षित चलने की विधियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
तकनीकी और संस्थागत सहयोग
इस व्यापक अभियान में कई संस्थाओं का तकनीकी और प्रशासनिक सहयोग रहेगा:
CoERS, IIT Madras द्वारा SANJAYA App
जिला सड़क सुरक्षा समिति
पंचायती राज विभाग
जिला सूचना कार्यालय
ब्लॉक विकास अधिकारी, थाना प्रभारी और जनप्रतिनिधि
इन सभी के सामूहिक प्रयासों से यह पहल नीति से व्यवहार तक की यात्रा तय करेगी।
हेलमेट पर विशेष ज़ोर
कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में हेलमेट के प्रयोग को अनिवार्य करने की दिशा में जागरूकता और निगरानी दोनों की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में हेलमेट का महत्व पढ़ाया जाए और पंचायतें हेलमेट पहनने को लेकर स्थानीय अभियान चलाएँ।
SANJAYA App: टेक्नोलॉजी के ज़रिए समाधान
SANJAYA App, जो IIT Madras के Center of Excellence for Road Safety (CoERS) द्वारा विकसित किया गया है, ग्रामीणों को उनके क्षेत्र के ब्लैक स्पॉट की पहचान करने और उसे रिपोर्ट करने की सुविधा देगा। इसके माध्यम से सरकार तक दुर्घटनाओं से संबंधित डेटा पहुँचेगा और समाधान की दिशा में त्वरित निर्णय लिए जा सकेंगे।
निष्कर्ष
बरेली मंडल में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए की गई यह पहल न केवल सड़क सुरक्षा की दिशा में एक नवाचारी और सहभागी दृष्टिकोण है, बल्कि यह एक नीतिगत बदलाव की भी बुनियाद रखती है। ग्रामीणों की सहभागिता, तकनीकी सहायता और प्रशासनिक नेतृत्व से यह अभियान निश्चित रूप से ग्रामीण सड़कों को सुरक्षित और दुर्घटनामुक्त बनाने में सफल होगा।





