
Supreme Court halts trial court proceedings against Rahul Gandhi in Army remark defamation case – Shah Times
राहुल गांधी को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने समन पर लगाई अंतरिम रोक
भारतीय सेना पर बयान विवाद में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत
भारतीय सेना पर टिप्पणी को लेकर मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत दी, लेकिन तीखी फटकार भी लगाई। जानिए पूरी कहानी।
New Delhi,(Shah Times)। भारतीय सेना पर कथित टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत तो दी है, लेकिन यह राहत नसीहतों से सजी हुई थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने जहां लखनऊ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगाई, वहीं राहुल गांधी को फटकारते हुए सवाल भी दागे।
मामला क्या है?
9 दिसंबर 2022 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच तवांग में झड़प हुई थी। इसके बाद राहुल गांधी ने बयान दिया था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय मीडिया इस मुद्दे पर सवाल नहीं उठाती और सरकार सैनिकों की शहादत पर चुप है।
इस बयान को लेकर सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की एमपी/एमएलए अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई। अदालत ने फरवरी 2025 में राहुल गांधी को समन भेजा और मार्च 2025 को व्यक्तिगत पेशी का आदेश दिया।
हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक
राहुल गांधी ने इस समन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन मई 2025 में उनकी याचिका खारिज हो गई। कोर्ट ने टिप्पणी दी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए जाएं। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा:
“एक सच्चा भारतीय ऐसा कैसे कह सकता है कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया? आपके पास क्या प्रमाण हैं? जब सीमा पर विवाद हो, तो क्या इस तरह के बयान जरूरी हैं?”
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई नेता विपक्ष में है तो उसे संसद में सवाल पूछने चाहिए, सोशल मीडिया पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किमी पर कब्जा कर लिया है?” और यह बयान सार्वजनिक मंच पर क्यों दिया गया?
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राहुल गांधी की दलील
राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि राहुल विपक्ष के नेता हैं, और सरकार से सवाल पूछना उनका संवैधानिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यह मुकदमा राहुल को परेशान करने के उद्देश्य से दर्ज किया गया है। साथ ही, यह भी कहा गया कि निचली अदालत ने BNSS सेक्शन 223 के तहत राहुल को सुनवाई का अवसर नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सार्वजनिक बयान देने से पहले सावधानी और जिम्मेदारी की जरूरत होती है।
राजनीतिक और संवैधानिक विश्लेषण
1. अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा
राहुल गांधी की याचिका इस बिंदु को सामने लाती है कि क्या किसी सांसद को सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बोलने का अधिकार है? भारत का संविधान अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है, लेकिन जब यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना के सम्मान से टकराने लगे, तो अदालतों को संतुलन साधना पड़ता है।
2. न्यायपालिका का संदेश
सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ है: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि सार्वजनिक मंच से बिना प्रमाण के ऐसे बयान दिए जाएं, जिनसे सेना का मनोबल प्रभावित हो सकता है। यह संदेश केवल राहुल गांधी के लिए नहीं बल्कि समूचे राजनीतिक वर्ग के लिए है।
3. विपक्ष की भूमिका पर बहस
राहुल गांधी की ओर से दी गई दलील – कि विपक्ष का काम सवाल उठाना है – बिल्कुल सही है। लेकिन यह सवाल कहां और कैसे उठाया जाए, इस पर भी विचार जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि संसद में इन मुद्दों को उठाना अधिक उपयुक्त होता।
जिम्मेदार अभिव्यक्ति का समय
इस फैसले ने भारतीय लोकतंत्र की दो महत्वपूर्ण संस्थाओं – न्यायपालिका और संसद – के बीच संतुलन को रेखांकित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि विपक्ष को सरकार से जवाबदेही मांगने का अधिकार है, लेकिन उसे जिम्मेदारी के साथ निभाना चाहिए।
राहुल गांधी को राहत तो मिल गई है, लेकिन यह राहत एक गहरी सीख के साथ आई है – सेना जैसे संवेदनशील विषयों पर टिप्पणी करते समय तथ्यों और प्रमाणों की ज़रूरत होती है।
भविष्य में यह मामला केवल राहुल गांधी के लिए नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य के लिए एक दिशा निर्देश बन सकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल संवेदनशील मुद्दों पर करते समय सावधानी बरती जाए।
भारतीय सेना पर कथित टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। साथ ही, कोर्ट ने राहुल से तीखे सवाल पूछे और फटकार लगाई।
इस मुद्दे पर आपका क्या मत है? क्या विपक्ष को सेना से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक बयान देना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट करें और पोस्ट को शेयर करें।