
Scenes of massive destruction caused by cloudburst in Dharali village of Uttarakhand
उत्तराखंड का धराली गांव देहरादून से 218 किलोमीटर दूर
उत्तराखंड का खीर गंगा गांव बादल फटने से पुरा बह गया
उत्तराखंड के धराली गांव में बादल फटने से खीर गंगा गांव बह गया, अब तक 4 मौतें, 50 से ज्यादा लापता। सेना और SDRF राहत कार्य में जुटी।
5 अगस्त 2025 |
📍उत्तरकाशी, (Shah Times) ।उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार दोपहर बादल फटने की भीषण घटना हुई, जिससे पूरा खीर गंगा गांव कुछ ही सेकेंडों में मलबे और पानी की धारा में बह गया। घटना दोपहर करीब 1:45 बजे की है। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो और तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कैसे भारी बारिश का पानी और पहाड़ी मलबा 34 सेकेंड में पूरे गांव को बहा ले गया।
अब तक की स्थिति: चार की मौत, 50 से अधिक लापता
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्या के अनुसार, अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं। SDRF, NDRF और भारतीय सेना की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। राहत कार्यों में भारी बारिश और ठंड मौसम सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं।
पहाड़ों से आया सैलाब, गांव और बाजार तबाह
धराली गांव देहरादून से 218 किलोमीटर और गंगोत्री धाम से मात्र 10 किलोमीटर दूर है। अचानक आए सैलाब से गांव के कई होटल, दुकानें और घर बह गए हैं। धराली बाजार पूरी तरह से नष्ट हो गया है। दो दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण पूरे क्षेत्र में भय का माहौल है।
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SDRF कमांडेंट: “भारी बारिश से रेस्क्यू में आ रही दिक्कत”
SDRF कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने बताया कि बचाव कार्य में SDRF, ITBP, सेना और पुलिस की टीमें समन्वय के साथ काम कर रही हैं। इलाके की भौगोलिक स्थिति जटिल है और लगातार बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने ली स्थिति की जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर हालात की जानकारी ली और कहा कि राज्य सरकार की निगरानी में राहत और बचाव कार्य प्राथमिकता पर है। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से संपर्क कर स्थिति का जायजा लिया है।
सेना की त्वरित कार्रवाई: 20 लोगों को बचाया
भारतीय सेना ने बताया कि हर्षिल कैंप से मात्र 4 किलोमीटर दूर हुई इस घटना के बाद 150 से अधिक जवानों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। अब तक 15 से 20 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और घायलों को हर्षिल स्थित चिकित्सा केंद्र भेजा गया है।
धराली की भौगोलिक स्थिति और पर्यटन महत्व
धराली गंगोत्री धाम से 10 किलोमीटर पहले एक प्रमुख तीर्थ व पर्यटक स्थल है। यह गांव गंगा नदी के किनारे समुद्र तल से 2,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे माँ गंगा का “मायका” भी कहा जाता है, क्योंकि शीतकाल में गंगोत्री मंदिर बंद होने पर माँ गंगा की मूर्ति मुखबा गांव लाई जाती है, जो धराली के पास है। चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव में से एक होने के कारण यहां भारी संख्या में होटल और होमस्टे हैं।
हर्षिल हेलीपैड में जलभराव, निचले इलाकों में खतरा
खीर गंगा से आए बाढ़ के पानी ने हर्षिल हेलीपैड को भी जलमग्न कर दिया है। भागीरथी नदी के किनारे बसे निचले क्षेत्रों के लिए भी खतरा बना हुआ है। प्रशासन ने सतर्कता बरतने की अपील की है।
प्रशासनिक बयान: नुकसान का आकलन और त्वरित राहत
प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं। प्रारंभिक आकलन के आधार पर नुकसान का आंकलन किया जा रहा है।
गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने बताया कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। सेना और बचाव दल घटनास्थल पर कार्यरत हैं। स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट कर दिया गया है।
ITBP और NDRF की टीमें सक्रिय
ITBP की 16 सदस्यीय टीम पहले ही घटनास्थल पर पहुंच गई है, जबकि SDRF की अतिरिक्त दो टीमें भी भेजी जा रही हैं। SDRF के IG अरुण मोहन जोशी के अनुसार, आसपास की यूनिट्स को भी एक्टिव किया गया है। बचाव उपकरणों को विशेष रूप से भेजा गया है ताकि राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके।
प्रमुख तथ्य एक नजर में:
बिंदु
विवरण
घटना समय
5 अगस्त 2025, दोपहर 1:45 बजे
स्थान
धराली गांव, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
कारण
बादल फटना, भारी बारिश
मौतें
अब तक 4 की पुष्टि
लापता
50 से अधिक
रेस्क्यू टीमें
SDRF, NDRF, सेना, ITBP
प्रशासनिक कार्रवाई
उच्चाधिकारियों की निगरानी में राहत कार्य
खतरा
भागीरथी किनारे के निचले क्षेत्रों में संभावित बाढ़
पर्वतीय आपदाओं से सतर्कता और तैयारी जरूरी
धराली में बादल फटने की यह त्रासदी एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि हिमालयी क्षेत्र में मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मिलकर आपदा प्रबंधन ढांचे को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से जानमाल की हानि को रोका जा सके।






उत्तरकाशी आपदा राहत कार्य हेतु वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं विशेष पुलिस बलों की त्वरित तैनाती
Report -Vivek Verma
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार एवं पुलिस प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के प्रभावी संचालन के लिए त्वरित कार्रवाई की है। इसी क्रम में, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और विशेष पुलिस बलों को तत्काल आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की तैनाती
राहत कार्यों के बेहतर समन्वय और नेतृत्व के लिए पुलिस विभाग ने दो पुलिस महानिरीक्षक (IG), तीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SP), एक कमांडेंट, 11 डिप्टी एसपी, और अन्य अधिकारियों को उत्तरकाशी रवाना किया है।
इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
अरुण मोहन जोशी – पुलिस महानिरीक्षक, एसडीआरएफ
राजीव स्वरूप – पुलिस महानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र
प्रदीप कुमार राय, श्री अमित श्रीवास्तव, श्री सुरजीत सिंह पंवार
श्वेता चौबे – सेनानायक, IRB द्वितीय
1 डिप्टी कमांडेंट
11 डिप्टी एसपी
यह टीम उत्तरकाशी में राहत, बचाव और समन्वय कार्यों का नेतृत्व कर रही है।
विशेष बलों की तैनाती
आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाने के लिए विशेष पुलिस बल भी सक्रिय किए गए हैं:
40वीं वाहिनी पीएसी (ई कंपनी) – सेनानायक श्रीमती श्वेता चौबे के नेतृत्व में
IRB द्वितीय, देहरादून की सी कंपनी
इसके अलावा, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और टिहरी जिलों से कुल 160 पुलिसकर्मी (निरीक्षक से आरक्षी स्तर तक) आपदा राहत उपकरणों के साथ प्रभावित क्षेत्र में भेजे गए हैं। इन सभी को आधुनिक आपदा राहत संसाधनों से सुसज्जित किया गया है ताकि स्थानीय प्रशासन को तत्काल सहयोग मिल सके।
राहत कार्यों को लेकर डीजीपी का बयान
उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ ने कहा –
“उत्तरकाशी में हुई इस प्राकृतिक आपदा से जो पीड़ा और नुकसान हुआ है, वह अत्यंत दुखद है। पुलिस विभाग द्वारा सभी संसाधनों और मानवीय संवेदनाओं के साथ राहत कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। हमारा प्रयास है कि हर प्रभावित व्यक्ति तक शीघ्र सहायता पहुंचे। पुलिस बल को 24×7 अनवरत रूप से राहत एवं बचाव कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।”
उत्तरकाशी में आई आपदा की भयावहता को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस की यह त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया एक साहसिक कदम है। वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में, पुलिस बल राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यों को तेजी से अंजाम देने में जुटे हुए हैं। प्रशासन का उद्देश्य जनहानि को न्यूनतम करना और प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान करना है।


