
गंगोत्री आपदा में राहत अभियान की कमान SDRFआईजी जोशी ने संभाली
गंगोत्री आपदा में SDRF का बड़ा ऑपरेशन, आईजी अरुण मोहन जोशी ने रेस्क्यू की रणनीति बनाई
उत्तरकाशी आपदा के बीच SDRF के आईजी अरुण मोहन जोशी ने गंगोत्री पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व किया। हेलीकॉप्टर से राहत की रणनीति लागू।
Dehradun, (Shah Times)। उत्तराखण्ड के जनपद उत्तरकाशी में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता और आपदा प्रबंधन की गंभीरता को उजागर कर दिया है। गंगोत्री धाम के आसपास के क्षेत्र में हुई इस भीषण तबाही के बीच राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की भूमिका जीवन रक्षक बनकर सामने आई है।
ऐसे संकट के समय में जब लोगों की जान खतरे में हो, वहीं राज्य के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं मोर्चा संभालें, तो यह जनता के मन में विश्वास की भावना पैदा करता है। इसी भावना के साथ एसडीआरएफ के पुलिस महानिरीक्षक श्री अरुण मोहन जोशी स्वयं गंगोत्री पहुंचे और राहत कार्यों की कमान संभाली।
आपदा का प्रकोप: जन-जीवन अस्त-व्यस्त
उत्तरकाशी जिले के धराली, हर्षिल, नेलांग, और गंगोत्री क्षेत्रों में अचानक आई भारी वर्षा और भूस्खलन ने अनेक घरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। कई तीर्थयात्री और स्थानीय निवासी फँस गए, संचार और परिवहन मार्ग बाधित हो गए। धराली गाँव में स्थिति सबसे भयावह बनी रही, जहां कई परिवार बेघर हो गए।
एसडीआरएफ ने तत्परता से मोर्चा संभालते हुए सबसे पहले प्रभावितों को सुरक्षित स्थलों तक पहुंचाना शुरू किया। इस दौरान कई लोगों को प्राथमिक रूप से गंगोत्री पहुंचाया गया।
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आईजी अरुण मोहन जोशी का ग्राउंड पर निरीक्षण
गुरुवार को पुलिस महानिरीक्षक अरुण मोहन जोशी गंगोत्री पहुंचे और वहां की स्थिति का स्थल पर प्रत्यक्ष मूल्यांकन किया। उन्होंने धराली से रेस्क्यू कर लाए गए तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों से सीधा संवाद स्थापित किया। उन्होंने उनकी आवश्यकताओं, स्वास्थ्य स्थिति और राहत सामग्री की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर (हेली) रेस्क्यू ऑपरेशन की रणनीति तैयार कर ली गई है।
हेली रेस्क्यू रणनीति: चरणबद्ध क्रियान्वयन
पुलिस महानिरीक्षक द्वारा प्रस्तुत रणनीति तीन प्रमुख बिंदुओं पर आधारित है:
1. नेलांग से रेस्क्यू – संवेदनशील व्यक्तियों की प्राथमिकता
नेलांग क्षेत्र से केवल सीमित हेलीकॉप्टर उड़ानें (sorties) संभव हैं, इसलिए वहां से सबसे पहले वृद्ध, बीमार, महिलाएं और छोटे बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे लोगों की सूची स्थानीय प्रशासन और राहत टीमों के सहयोग से बनाई जा रही है।
2. हर्षिल से रेस्क्यू – सक्षम लोगों को निकाला जाएगा
जो यात्री या स्थानीय निवासी शारीरिक रूप से सक्षम हैं, उन्हें हर्षिल से हेलीकॉप्टर के माध्यम से निकाला जाएगा। इसका उद्देश्य नेलांग मार्ग को उन लोगों के लिए खाली रखना है जिनकी आवश्यकता सबसे अधिक है।
3. स्थानीय समन्वय – प्रशासनिक तालमेल आवश्यक
आईजी जोशी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि स्थानीय पुलिस, प्रशासन और राहत एजेंसियां पात्र व्यक्तियों की शीघ्र पहचान कर रेस्क्यू प्रक्रिया में तेजी लाएं। सभी विभागों को एकीकृत रूप से कार्य करने को कहा गया है।
गंगोत्री में बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम
राहत और पुनर्वास कार्यों के अंतर्गत गंगोत्री में बुनियादी व्यवस्थाएं जैसे:
अस्थायी आवास
भोजन व पेयजल
प्राथमिक चिकित्सा
मनो-सामाजिक परामर्श
की व्यवस्था की जा रही है। परंतु प्राथमिकता यह सुनिश्चित करने की है कि सभी प्रभावित व्यक्तियों को आज ही ऐसे स्थानों तक पहुँचाया जाए जहाँ उन्हें स्थायित्व, सुरक्षा और सहारा मिल सके।
उत्तराखंड सरकार – आपदा राहत पोर्टल
एसडीआरएफ का दायित्व और तत्परता
राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आपदा के समय वह कितनी कुशलता से कार्य कर सकती है। पूरी टीम लगातार:
भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में राहत
मेडिकल इमरजेंसी रिस्पॉन्स
जरूरतमंदों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना
संकट में फंसे तीर्थयात्रियों के संपर्क में रहना
जैसे कार्यों में दिन-रात लगी हुई है।
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
एसडीआरएफ के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन भी राहत कार्यों में सहयोग कर रहे हैं। सीएम कार्यालय से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि प्रभावित परिवारों की सही सूची बनाएं, शिविर स्थापित करें, और राशन व दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करें।
आईजी की उपस्थिति से जन-विश्वास में वृद्धि
जब कोई उच्चाधिकारी संकट की घड़ी में खुद प्रभावित स्थल पर पहुंचकर लोगों से संवाद करता है, तो वह केवल प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि जन विश्वास का प्रतीक होता है। अरुण मोहन जोशी की इस पहल ने न केवल राहत कार्यों में गति दी, बल्कि लोगों को मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी राहत पहुंचाई।
आगे की योजना: पुनर्वास और पुनर्निर्माण
रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राज्य सरकार द्वारा पुनर्वास और पुनर्निर्माण की कार्ययोजना पर भी विचार हो रहा है:
पूर्ण रूप से ध्वस्त घरों के लिए आवासीय सहायता
स्थानीय स्कूलों व अस्पतालों का पुनर्निर्माण
आपदा प्रभावित परिवारों के लिए विशेष आर्थिक सहायता
आपदा चेतावनी प्रणाली की मजबूती
गंगोत्री क्षेत्र में आई इस त्रासदी ने उत्तराखंड राज्य को एक और बार आपदा प्रबंधन की गहनता का अनुभव कराया। लेकिन साथ ही यह भी प्रमाणित किया कि यदि नेतृत्व में दृढ़ता हो, समन्वय में स्पष्टता हो, और कार्रवाई में तत्परता हो, तो संकट की घड़ी में भी राहत संभव है।
एसडीआरएफ और आईजी अरुण मोहन जोशी की सक्रियता ने इस आपदा में यह सुनिश्चित किया कि हर संभव प्रयास किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति असहाय न रहे।