
Indian Army Chief General Upendra Dwivedi addressing the launch of Operation Sindoor, revealing strategic details of India’s decisive military action against terrorism. (Photo Credit: Shah Times)
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पर किया बड़ा खुलासा
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का ऑपरेशन सिंदूर पर खुलासा — भारत ने कैसे किया पाकिस्तानी ठिकानों का सफाया
ऑपरेशन सिंदूर पर सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने पहली बार किए अहम खुलासे, जिससे भारतीय सैन्य बलों की ताकत और रणनीति उजागर हुई।
ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सेना के एक नायाब रणनीतिक कारनामे का विश्लेषण
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में ऐसी जानकारी साझा की है, जिसने देश ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के सुरक्षा समीकरणों को हिला कर रख दिया है। यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि रणनीतिक खेल की तरह था, जिसमें दुश्मन की हर चाल का जवाब उसी के अंदाज़ में दिया गया।
इस लेख में हम ऑपरेशन सिंदूर के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे, जिसमें सेना प्रमुख के खुलासे, इंडियन एयरफोर्स की भूमिका, और पाकिस्तान के खिलाफ इस कारवाई के असर शामिल हैं। साथ ही हम देखेंगे कि कैसे इस ऑपरेशन ने भारत के सैन्य बलों के मनोबल को बढ़ाया और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर: एक रणनीतिक शतरंज खेल
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर की योजना और अंजाम को शतरंज की एक जटिल चाल से तुलना की। जैसा कि शतरंज में सामने वाले खिलाड़ी की अगली चाल का पता नहीं होता, उसी तरह ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों को भी यह अनुमान नहीं था कि दुश्मन अगला कदम क्या उठाएगा।
यह ऑपरेशन ‘ग्रे ज़ोन’ की कार्रवाई थी, यानी पारंपरिक युद्ध से थोड़ा कम और गुप्त तरीके से की गई कार्रवाई, जिससे दुश्मन को ऐसा झटका लगा जिसे वह आसानी से भुला नहीं सकता। 23 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने मिलकर यह फैसला किया कि अब निर्णायक कदम उठाने का समय आ गया है।
“तब रक्षा मंत्री ने भी कहा था कि अब बहुत हो चुका है। हमें खुली छूट दी गई कि जो जरूरी है, वह करें।” — जनरल उपेंद्र द्विवेदी
मिशन की सफलता: उच्च मूल्य के लक्ष्य और गहरा हमला
जनरल द्विवेदी के अनुसार, उत्तरी कमान ने 9 में से 7 हाई-वैल्यू टार्गेट्स पर सफलतापूर्वक हमले किए। इन लक्ष्यों में आतंकियों के ठिकाने, कम्युनिकेशन हब, रडार इंस्टॉलेशन और एयरफील्ड शामिल थे।
यह मिशन उरी और बालाकोट ऑपरेशन से अलग था। जहां उरी ऑपरेशन में लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया गया था और बालाकोट में पाकिस्तान के आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया गया था, वहीं ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के हार्टलैंड में घुसकर गहरा और व्यापक हमला किया गया।
कोड नाम ‘नर्सरी’ और ‘मास्टर्स’ के तहत कई मिशन को अंजाम दिया गया, जिनमें वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के 5 फाइटर जेट और एक बड़े निगरानी विमान को भी मार गिराने का दावा किया गया है।
वायुसेना की भूमिका: फाइटर जेट्स और निगरानी विमान का सफाया
भारतीय एयरफोर्स के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने बताया कि 7 मई को किए गए हमलों में पाकिस्तानी सेना को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया। पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के अलावा एक AEW&C (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) विमान को भी मार गिराया गया। यह विमान लगभग 300 किलोमीटर दूर था, जो पाकिस्तानी वायु रक्षा के लिए भारी चुनौती साबित हुआ।
इन हमलों के बाद पाकिस्तान ने सीमा पार से गोलाबारी और ड्रोन हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने हर बार कड़ी प्रतिक्रिया दी और अपने एयर डिफेंस तंत्र को पूरी ताकत से काम में लाया।
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ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिक और सैन्य महत्त्व
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने देश के दिल को झकझोर दिया था। इसके तुरंत बाद 23 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई, जिसमें तीनों सेना प्रमुख और राजनीतिक नेतृत्व ने मिलकर जवाबी कार्रवाई का निर्णय लिया।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्हें स्पष्ट राजनीतिक समर्थन और ‘फ्री हैंड’ मिला। इस खुलापन ने कमांडरों को जमीन पर जाकर निर्णय लेने और प्रभावी कार्रवाई करने का मनोबल दिया।
“ऐसा स्पष्ट राजनीतिक समर्थन सैनिकों का मनोबल बढ़ाता है और उन्हें आत्मविश्वास से भर देता है।” — जनरल उपेंद्र द्विवेदी
पाकिस्तान का फील्ड मार्शल प्रमोशन: एक सैन्य नैरेटिव
जनरल द्विवेदी ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल बनने वाले असीम मुनीर पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि युद्ध में नैरेटिव मैनेजमेंट की बड़ी भूमिका होती है। अगर आप किसी पाकिस्तानी सैनिक से पूछें कि वे जीते या हारे, तो वह फील्ड मार्शल बनने का हवाला देगा।
यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान ने अपने सैन्य बल के शीर्ष पदों पर असीम मुनीर को पदोन्नत किया, जो अपने आप में एक तरह का संदेश है कि वे भारत के ऑपरेशनों का जवाब दे रहे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और भारत के सैन्य बलों का मनोबल
यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संदेश था। इसमें दिखाया गया कि भारत के सैनिक हर स्थिति के लिए तैयार हैं, चाहे वह 14 दिन हो, 140 दिन या 1400 दिन तक चलने वाला संघर्ष हो।
इस ऑपरेशन के जरिए भारतीय सेना ने न केवल आतंकियों को जवाब दिया, बल्कि पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों, एयरफील्ड और कम्युनिकेशन नेटवर्क को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया।
यह अभियान सेना, वायुसेना और नौसेना के सामंजस्य और कुशल समन्वय का एक उदाहरण है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद के सियासी और क्षेत्रीय असर
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के अंदर हलचल मची हुई है। भारतीय कार्रवाई से पाकिस्तान की सैन्य ताकत पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं भारत के अंदर इस ऑपरेशन को जनसामान्य ने बड़े उत्साह से लिया।
यह ऑपरेशन दिखाता है कि भारत अब केवल रक्षा पर निर्भर नहीं है, बल्कि आक्रामक और निर्णायक कदम उठाने में भी सक्षम है। इसने भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को नए आयाम पर पहुंचाया है और दुश्मन को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
नतीजा
ऑपरेशन सिंदूर एक ऐतिहासिक और रणनीतिक सैन्य सफलता है, जिसने भारत की सैन्य ताकत और राजनीतिक इच्छाशक्ति को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के खुलासे इस ऑपरेशन की गंभीरता और गहराई को समझने में मदद करते हैं। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत के संकल्प और सुरक्षा बलों की तत्परता का प्रतीक है।
आगे भी ऐसी कार्रवाई भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अहम होगी। भारतीय सेना का यह संदेश है कि वे हर चुनौती के लिए तैयार हैं और देश की सीमा की रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।