
राहुल गांधी और अखिलेश यादव समेतविपक्षी सांसदों ने वोट चोरी और बिहार एसआईआर के खिलाफ चुनाव आयोग के सामने जोरदार प्रदर्शन किया।
राहुल गांधी अखिलेश यादव समेत विपक्षी सांसदों का ECI के खिलाफ प्रदर्शन
वोटर लिस्ट और बिहार SIR को लेकर विपक्षी सांसदों का ECI मार्च
विपक्षी सांसदों ने चुनाव आयोग के खिलाफ वोट चोरी व बिहार एसआईआर पर मार्च किया। पुलिस ने राहुल गांधी समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया।
New Delhi (Shah Times) । सोमवार को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना सामने आई, जब विपक्षी दलों के सांसदों ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) के कार्यालय तक पैदल मार्च किया। इस मार्च का उद्देश्य था वोट चोरी और बिहार में मतदाता सूची में कथित हेरफेर (Special Summary Revision – SIR) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना। मार्च के दौरान पुलिस ने विपक्षी सांसदों को बीच रास्ते में रोककर हिरासत में ले लिया। इस घटनाक्रम ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और चुनाव प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
विरोध प्रदर्शन का संदर्भ और प्रमुख नेता
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में करीब 300 से अधिक सांसद संसद भवन के मकर द्वार से लेकर चुनाव आयोग के दफ्तर तक पैदल मार्च निकाले। इस प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी सहित 25 से अधिक राजनीतिक दलों के नेता शामिल थे।
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विपक्ष ने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की, साथ ही बिहार में चल रहे एसआईआर के दौरान हुए मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों का भी विरोध जताया। राहुल गांधी ने पूर्व में बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में वोट चोरी के उदाहरण प्रस्तुत किए थे, जिसके आधार पर उन्होंने पूरे देश में मतदाता सूची में हेरफेर की बात कही थी।



पुलिस और विपक्षी सांसदों के बीच संघर्ष
मार्च के दौरान पुलिस ने पैदल मार्च को अनुमति न देने का हवाला देते हुए सांसदों को रोकने की कोशिश की। पुलिस ने पीटीआई कार्यालय के सामने बैरिकेडिंग कर मार्च को रोक दिया। हालांकि, सांसदों ने पुलिस के आदेश मानने से इनकार कर दिया। इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बैरिकेडिंग पर छलांग लगाकर सड़क पर आ गए और धरना प्रदर्शन शुरू किया। प्रियंका गांधी ने साथियों का मनोबल बढ़ाने के लिए ताली बजाई और राहुल गांधी ने लगातार हुंकार भरे।
पुलिस ने जब सांसदों को आगे बढ़ने से रोका तो कई सांसद सड़क पर बैठकर ‘वोट चोरी बंद करो’ जैसे नारे लगाने लगे। पुलिस ने अंततः राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए नेताओं को बसों के जरिए संसद मार्ग से बाहर ले जाया गया।



राहुल गांधी का बयान: “यह लड़ाई संविधान की है”
हिरासत में लिए जाने के बाद राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि उनकी लड़ाई राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान को बचाने की है। उन्होंने कहा,
“हम एक साफ़-सुथरी मतदाता सूची चाहते हैं। वन मैन, वन वोट की व्यवस्था लागू होनी चाहिए। यह लड़ाई एक व्यक्ति, एक वोट की है।”
राहुल गांधी ने दावा किया कि पिछले चुनाव में बेंगलुरु के महादेवपुरा क्षेत्र में 1,00,250 वोटों की हेराफेरी हुई, जबकि भाजपा ने केवल 32,707 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। यह आरोप भारतीय चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठाता है।
विपक्षी दलों की मांगें और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
विपक्षी सांसदों का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग चर्चा तो करता है, लेकिन समाधान की ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाता।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने हालांकि बताया कि विपक्षी नेताओं को बातचीत के लिए समय दिया गया था, लेकिन वे कार्यालय में चर्चा करने के बजाय सड़क पर हंगामा कर रहे थे। दिल्ली पुलिस का कहना है कि 30 सांसदों को आयोग के दफ्तर में आने की अनुमति थी, लेकिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचने के कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई। यही वजह थी कि पुलिस ने हिरासत में लेने का फैसला किया।
लोकतंत्र और मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल
वोटर सूची की पारदर्शिता किसी भी लोकतंत्र की सबसे बुनियादी मांग होती है। अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी होती है तो वह चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकती है। विपक्षी सांसदों का यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि देश के चुनावी तंत्र में सुधार की आवश्यकता है।
अखिलेश यादव ने भी बैरिकेड पार करते हुए कहा,
“हमें प्योर वोटर लिस्ट चाहिए। यह लड़ाई संविधान की लड़ाई है।”
वहीं कांग्रेस का कहना है कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है और सरकार चुनावी प्रक्रियाओं को धुंधला कर रही है।
क्या चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संकट?
हालिया प्रदर्शन से यह साफ हो गया है कि चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच गहरी खाई है। विपक्ष आरोप लगाता है कि चुनाव आयोग भाजपा के प्रभाव में काम कर रहा है, जबकि आयोग खुद को स्वतंत्र और निष्पक्ष बताता है।
यह मामला भारतीय लोकतंत्र के लिए चुनौतीपूर्ण समय है। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह मतदाता सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करे और विपक्ष के आरोपों का जवाब दें ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत रहे।