
GST 2.0 सुधार: पीएम मोदी का बड़ा आर्थिक दांव और असर
मोदी का GST 2.0 तोहफ़ा: टैक्स घटेगा, खपत और GDP को बूस्ट
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का जीएसटी 2.0 ऐलान, आम जनता, कारोबार और अर्थव्यवस्था पर असर की गहन पड़ताल।
जीएसटी 2.0 सुधार से दवाओं, बीमा, छोटे वाहनों और आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स कम, खपत बढ़ेगी और GDP ग्रोथ को सहारा मिलेगा।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से जो ऐलान किया, उसने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में बल्कि आर्थिक गलियारों में भी नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी में नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स की बात की। यह वही जीएसटी है जिसे विपक्ष लगातार ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहकर निशाना बनाता रहा, जबकि केंद्र सरकार दावा करती रही है कि यह टैक्स व्यवस्था उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों के लिए लाभकारी साबित हुई है।
पीएम मोदी का ऐलान संकेत देता है कि अब जीएसटी व्यवस्था और सरल होगी। प्रस्तावित जीएसटी 2.0 ढांचे में केवल दो टैक्स स्लैब होंगे – 5% और 18%। बीमा प्रीमियम, दवाइयां, टूथब्रश, शैक्षिक उत्पाद और खाद्य सामग्री जैसी रोज़मर्रा की चीजें या तो टैक्स-फ्री होंगी या 5% की श्रेणी में। वहीं, टीवी, एसी और रेफ्रिजरेटर जैसे उत्पाद 28% से घटकर 18% की श्रेणी में आ सकते हैं। इससे न सिर्फ महंगाई पर नियंत्रण होगा, बल्कि खपत भी बढ़ेगी।
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मिडल क्लास के लिए बड़ा तोहफ़ा
बीमा पॉलिसियों पर टैक्स घटने का सीधा फायदा मिडल क्लास और वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा। छोटे वाहनों, टू-व्हीलर और हाइब्रिड कारों पर टैक्स घटने से ऑटो सेक्टर में बिक्री 15-20% तक बढ़ सकती है। वहीं, तंबाकू और सिगरेट जैसी हानिकारक वस्तुओं को महंगा रखकर सरकार सामाजिक स्वास्थ्य के पक्ष में भी संदेश देना चाहती है।
कारोबार और उद्योग जगत की राहत
कारोबारी वर्ग लंबे समय से शिकायत करता रहा है कि जीएसटी के अलग-अलग स्लैब और जटिल क्लासिफिकेशन से उनका वर्किंग कैपिटल फंस जाता है। अब दो स्लैब आने से न सिर्फ विवाद खत्म होंगे, बल्कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर जैसी समस्याएं भी कम होंगी। कारोबारियों के लिए यह राहत का संदेश है कि उनकी समस्याओं को सरकार गंभीरता से सुन रही है।
अर्थव्यवस्था को सहारा
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज और मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि जीएसटी सुधार से 2.4 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग पैदा हो सकती है। इससे खुदरा महंगाई 0.40% तक गिर सकती है। चप्पल-जूते, सीमेंट, कृषि उत्पाद और ट्रैक्टर जैसे सेक्टर सस्ते होंगे, जिससे ग्रामीण भारत की क्रय शक्ति बढ़ेगी।
इसी तरह सीमेंट और कंस्ट्रक्शन मटेरियल की कीमत घटने से रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को नई गति मिल सकती है। अगर खपत बढ़ती है तो उत्पादन भी बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर सामने आएंगे।
जीडीपी ग्रोथ और वैश्विक चुनौतियां
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2025 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% रही, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है। आईएमएफ भी इसी तरह का अनुमान जता रहा है। भारत का लक्ष्य 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का है, जिसके लिए 8% से अधिक की औसत ग्रोथ दर ज़रूरी है। इस पृष्ठभूमि में जीएसटी सुधार न सिर्फ घरेलू खपत को बढ़ाएंगे, बल्कि निवेश और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी सहारा देंगे।
हालांकि चुनौती यह भी है कि अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ निर्यात उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगा दिया है। अगर निर्यात प्रभावित होता है तो घरेलू खपत ही बैलेंस का काम करेगी। ऐसे में जीएसटी सुधार का ऐलान समयानुकूल और रणनीतिक माना जा रहा है।
राजनीतिक सन्देश
पीएम मोदी ने लाल किले से यह घोषणा कर साफ कर दिया कि केंद्र सरकार टैक्स दरों में कमी की अगुवाई कर रही है। 2024 लोकसभा चुनावों में सीटें घटने के बाद एनडीए सरकार ने पहले इनकम टैक्स में राहत दी थी और अब जीएसटी में छूट देकर मिडल क्लास और कारोबारी वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। यह कदम राजनीतिक तौर पर भी एक तीर से कई निशाने साधता दिख रहा है।
निष्कर्ष
जीएसटी 2.0 सुधार केवल टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने की कवायद नहीं है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को खपत आधारित ग्रोथ की दिशा में ले जाने वाला कदम है। इससे मिडल क्लास को राहत, कारोबारियों को सहूलियत और सरकार को बढ़ा हुआ टैक्स बेस—all तीनों फायदे मिलने की संभावना है। अब निगाहें जीएसटी काउंसिल पर हैं कि वह केंद्र के प्रस्तावों पर क्या फैसला लेती है।
अगर सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो आने वाले महीनों में देशवासियों को सस्ती बीमा पॉलिसी, कम दाम वाले उपकरण और हल्की महंगाई का तोहफ़ा मिल सकता है। यह केवल आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से भी सरकार के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।