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पीएम मोदी बोले– कांग्रेस में युवा नेताओं की आवाज़ दबाई जाती है
राहुल गांधी का आरोप– “भारत मध्यकाल की ओर लौट रहा है”
पीएम मोदी ने कांग्रेस में युवा नेताओं की अनदेखी का आरोप लगाया, वहीं राहुल गांधी ने नए विधेयकों को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए सरकार पर निशाना साधा।
संसद का हंगामेदार सत्र और पीएम मोदी की टिप्पणी
दिल्ली में मानसून सत्र का समापन इस बार भी तीखे हमलों, विपक्षी नारों और सत्तारूढ़ गठबंधन की रणनीतिक चालों के बीच हुआ। लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इसके तुरंत बाद स्पीकर ने पारंपरिक “चाय मीटिंग” आयोजित की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए।
चाय मीटिंग में विपक्षी दलों का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था, यहाँ तक कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी नहीं पहुँचे। इसी मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा—
“कांग्रेस में कई युवा नेता बेहद प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें कभी बोलने का अवसर नहीं दिया जाता।”
राहुल गांधी का पलटवार: “लोकतंत्र को मध्यकाल की तरफ ले जा रहे हैं”
संसद में पेश हुए तीन नए विधेयकों पर राहुल गांधी ने सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा—
“हम मध्यकाल की तरफ लौट रहे हैं, जहाँ राजा अपनी मर्ज़ी से किसी को भी हटा देता था। अगर राजा को चेहरा पसंद नहीं आया तो ईडी से गिरफ्तार कराकर लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए नेता को 30 दिन में बाहर कर दिया जाएगा।”
उनका इशारा साफ था कि सरकार ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी दलों के खिलाफ कर रही है।
मोदी का तर्क: “सत्र फलदायी रहा, बड़े सुधार पास हुए”
पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष की लगातार अनुपस्थिति और शोरगुल के बावजूद संसद में कई अहम बिल पारित हुए। उन्होंने खासकर ऑनलाइन गेमिंग विधेयक का जिक्र किया, जिसे उन्होंने “जनता पर दूरगामी असर डालने वाला सुधार” बताया।
मोदी का आरोप था कि विपक्ष केवल व्यवधान पैदा करता है, बहस में शामिल नहीं होता। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि राहुल गांधी युवा और काबिल कांग्रेस नेताओं से असुरक्षित महसूस करते हैं।
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कौन से बिल बने विवाद का कारण?
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेश शासन संशोधन विधेयक, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पेश किए।
इन विधेयकों के तहत यह प्रावधान किया गया कि:
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री अगर किसी गंभीर अपराध (5 साल या अधिक सजा वाले) में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो 31वें दिन से वे स्वतः पद से हट जाएंगे।
हालांकि, जेल से बाहर आने के बाद उन्हें फिर से पद पर नियुक्त किया जा सकता है।
यह सीधा असर हालिया मामलों जैसे—दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की स्थिति पर भी पड़ता दिख रहा है।
विपक्ष का आरोप: “तानाशाही की तरफ कदम”
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को “तानाशाही कानून” बताते हुए विरोध किया। राहुल गांधी ने काली टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन भी किया।
उन्होंने कहा—
“यह संविधान पर हमला है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को कमजोर कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम हैं, जो इसे बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।”
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा कि जब अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री रहते गिरफ्तार हुए थे, क्या तब उन्होंने नैतिकता निभाई थी?
राजनीतिक संदेश और 2027 का परिप्रेक्ष्य
विश्लेषकों का मानना है कि मोदी की “युवा कांग्रेस नेताओं” वाली टिप्पणी एक रणनीतिक संदेश है। भाजपा यह संकेत देना चाहती है कि कांग्रेस का “नेतृत्व संकट” जारी है और राहुल गांधी अपने ही दल के भीतर नए चेहरे उभरने नहीं दे रहे।
वहीं राहुल गांधी और विपक्ष का मानना है कि सरकार संवैधानिक ढाँचे को बदलकर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। यह बहस सीधे-सीधे 2027 के आम चुनावों के राजनीतिक नैरेटिव से जुड़ती है।
नतीजा
मानसून सत्र भले ही हंगामे में खत्म हुआ हो, लेकिन इससे भारतीय राजनीति में एक और नया विमर्श जुड़ गया है—
क्या कांग्रेस सचमुच अपने युवा नेताओं को अवसर नहीं देती?
क्या सरकार लोकतंत्र को “कानूनी प्रावधानों” के नाम पर मध्यकालीन दौर की तरफ ले जा रही है?
दोनों ही सवाल 2027 की चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभाएँगे।