
Shah Times Fact Check: Rumours of Jammu Kashmir LG Manoj Sinha’s resignation denied by Rajbhawan and Home Ministry.
मनोज सिन्हा इस्तीफ़ा अफ़वाह, राजभवन ने नहीं की पुष्टि
राजभवन और गृह मंत्रालय ने मनोज सिन्हा इस्तीफ़ा ख़बर नकारा
Srinagar,( Shah Times ) । जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के इस्तीफ़े की खबर अफवाह निकली। राजभवन, गृह मंत्रालय या राष्ट्रपति सचिवालय ने कोई पुष्टि नहीं की।
सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ पोर्टल्स पर यह ख़बर चल रही है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। लेकिन शाह टाइम्स की पड़ताल में यह दावा अभी तक साबित नहीं हुआ है।
क्या कहा राजभवन और केंद्र?
जम्मू-कश्मीर राजभवन की ओर से कोई आधिकारिक विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है।
गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से भी इस्तीफ़े की पुष्टि नहीं की गई।
सरकारी वेबसाइट और विज्ञप्तियों में अब भी मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का कार्यरत उपराज्यपाल दर्शाया जा रहा है।
अफ़वाह कैसे फैली?
सोशल मीडिया पर कुछ वायरल पोस्ट में दावा किया गया कि मनोज सिन्हा ने प्रशासनिक कारणों से पद छोड़ा।
कुछ पोर्टल्स ने बिना आधिकारिक पुष्टि के इसे “ब्रेकिंग न्यूज़” बना दिया।
बाद में कई यूज़र्स ने इसे शेयर करना शुरू कर दिया, जिससे अफ़वाह और तेज़ी से फैल गई।
वास्तविक स्थिति
अब तक की आधिकारिक स्थिति यह है कि मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल पद पर कार्यरत हैं।
अगर इस्तीफ़ा होता है, तो इसकी पुष्टि सबसे पहले राजभवन, गृह मंत्रालय या राष्ट्रपति सचिवालय करेगा।
मनोज सिन्हा के इस्तीफ़े की ख़बर सिर्फ़ अफ़वाह है। शाह टाइम्स पाठकों से अपील करता है कि किसी भी ख़बर को आधिकारिक पुष्टि के बिना आगे न बढ़ाएँ।
मनोज सिन्हा अपनी सादगी, ईमानदारी और “गैर-विवादास्पद” छवि के लिए जाने जाते रहे हैं।
मनोज सिन्हा: सफ़र से सियासत तक
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले के मोहनपुरा गाँव से निकलकर दिल्ली और श्रीनगर तक पहुँचना कोई मामूली बात नहीं। आईआईटी बीएचयू से इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा पाने के बाद उनका रुझान राजनीति की तरफ़ हुआ। छात्र राजनीति से लोकसभा तक का सफ़र और फिर मोदी सरकार में मंत्री पद ने उन्हें एक ठोस पहचान दी।
2017 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए उनका नाम सबसे ऊपर चला, तो कयास यही थे कि उन्हें ही कुर्सी मिलेगी। लेकिन किस्मत योगी आदित्यनाथ के पक्ष में गई। हालाँकि, मोदी सरकार ने उन पर भरोसा जताते हुए 2020 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया। यह वह दौर था जब अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में हालात बेहद नाज़ुक थे।
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