
Income Tax Return Filing 2025-26 Deadline Mistakes to Avoid Shah Times
2025-26 ITR Filing: Deadline पर आम Taxpayer Mistakes और Expert Tips
आयकर रिटर्न फाइलिंग 2025-26: डेडलाइन से पहले जानिए आम गलतियां
ITR Filing 2025-26: 15 सितंबर की डेडलाइन करीब है। छोटी गलतियां रिफंड अटका सकती हैं और नोटिस बुला सकती हैं। बचने के उपाय जानिए।
New Delhi, (Shah Times)। आमदनी पर टैक्स अदा करना सिर्फ़ एक कानूनी फ़र्ज़ नहीं बल्कि देश का अनुशासन, व्यवस्था और सिस्टम का हिस्सा है। असैसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाख़िल करने की तारीख़ जैसे-जैसे क़रीब आती जा रही है, वैसी ही टेंशन टैक्सपेयर्स के बीच महसूस की जा रही है। अब सिर्फ़ चंद दिन बचे हैं और लाखों लोग पोर्टल पर लॉगइन कर अपने डाटा को अपडेट करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। मगर हक़ीक़त यह है कि हड़बड़ी और ग़लतियों की वजह से अक्सर टैक्स रिटर्न रिजेक्ट हो जाता है, रिफंड अटक जाता है या नोटिस आ जाता है।
आयकर रिटर्न का मौजूदा परिदृश्य
अब तक 4.66 करोड़ से ज़्यादा ITR फाइल किए जा चुके हैं, जिनमें से 3.23 करोड़ से ज़्यादा प्रोसेस भी हो चुके हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि लास्ट मिनट पर फाइलिंग से पोर्टल पर ट्रैफिक बढ़ जाता है और सिस्टम स्लो होने लगता है। इसका नतीजा कई बार “एरर मैसेज” और “फेल्ड सबमिशन” के तौर पर सामने आता है।
क़ानून साफ़ कहता है कि अगर किसी ने रिटर्न तो दाख़िल कर दिया लेकिन ई-वेरिफिकेशन 30 दिनों के अंदर नहीं किया तो वो इनवैलिड माना जाएगा। इसीलिए ITR-V acknowledgment form को डाउनलोड करके पैन, असेसमेंट ईयर और बैंक डिटेल से मैच करना ज़रूरी है।
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पाँच आम गलतियां जिनसे बचना ज़रूरी है
1. ग़लत ITR फॉर्म चुनना
कई लोग अपनी इनकम सोर्सेस का सही आकलन किए बिना ITR-1 चुन लेते हैं। जबकि अगर आपके पास multiple income sources, capital gains या foreign assets हैं तो ITR-2 या ITR-3 सही होगा। Wrong form चुनने पर आपका return reject हो सकता है।
2. विदेशी संपत्ति या इनकम छुपाना
अगर किसी के पास विदेश में bank account, shares या ESOPs हैं तो उसे disclose करना अनिवार्य है। इसे छुपाने पर न सिर्फ़ भारी penalty बल्कि prosecution तक हो सकता है।
3. Multiple Form-16 को ignore करना
Year के दौरान नौकरी बदलने वालों के पास अलग-अलग employers के Form-16 होते हैं। अगर आपने किसी एक का data छोड़ दिया तो under-reporting का risk है और income tax department notice भेज सकता है।
4. Tax-free income को न दिखाना
कई taxpayers सोचते हैं कि gratuity, leave encashment या PPF interest जैसे टैक्स-फ्री income को report करने की ज़रूरत नहीं। मगर IT dept data matching करता है। अगर आपकी AIS/TIS report में entry है और return में नहीं है तो mismatch पर notice आ सकता है।
5. AIS/TIS पर आंख मूंदकर भरोसा करना
कई बार pre-filled data में FD का interest, TDS entry या brokerage charges गलत या duplicate होते हैं। अगर आपने cross-check नहीं किया तो नुकसान आपका होगा।
Analysis: Tax Compliance और Digital Challenges
आज taxation पूरी तरह digital हो गया है। e-filing portal में pre-filled data, AIS और TIS reports से transparency आई है। मगर digitalization के साथ challenges भी हैं। Taxpayers अक्सर technology-driven platforms को superficial तरीके से use करते हैं।
कई experts मानते हैं कि आम आदमी को tax literacy की कमी है। जबकि developed nations में financial literacy school से सिखाई जाती है। भारत में majority taxpayers सिर्फ़ सालाना filing के वक्त professionals पर depend करते हैं। इस dependency की वजह से छोटी-सी clerical mistake भी बड़े नुकसान में बदल जाती है।
Counterpoints: Tax Department की तैयारी
Income Tax Department ने इस बार AI-driven scrutiny model लागू किया है। इससे duplicate data, suspicious entries और unverified bank accounts तुरंत flag हो जाते हैं। विभाग का दावा है कि transparency बढ़ी है और refund process तेज़ हुआ है।
मगर दूसरी तरफ़ taxpayers का कहना है कि portal कई बार glitch करता है, OTP देर से आता है, और grievance redressal system sluggish है। Experts का कहना है कि compliance के साथ-साथ facilitation भी उतना ही ज़रूरी है।
Smart Tips for Taxpayers
हर income source cross-check करें
Form 26AS, AIS और TIS को reconcile करें
सही ITR form चुनें
Bank details pre-validate करें
Filing में delay न करें
Refund status NSDL portal पर check करते रहें
निष्कर्ष
आयकर रिटर्न दाख़िल करना सिर्फ़ एक ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि अपने आर्थिक record को transparent रखने का ज़रिया भी है। deadline नज़दीक है और taxpayers को चाहिए कि जल्दबाज़ी से बचें, हर entry verify करें और सही form चुनें। छोटी लापरवाहियां न सिर्फ़ refund delay कर सकती हैं बल्कि unnecessary legal complications भी पैदा कर सकती हैं।
Tax compliance को आसान बनाने के लिए awareness और digital literacy दोनों बढ़ानी होंगी। तभी “Ease of Doing Taxes” वाकई ground reality बन सकेगा।