
Yogi Adityanath delivering directive on university and college recognition investigation in Uttar Pradesh – Shah Times
छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने को योगी सरकार का बड़ा कदम
विश्वविद्यालय और कॉलेज जांच से शिक्षा व्यवस्था में बदलाव
सीएम योगी ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की मान्यता व प्रवेश प्रक्रिया की जांच के आदेश दिए। छात्रों का भविष्य सुरक्षित करना प्राथमिकता।
शिक्षा और हुकूमत: उत्तर प्रदेश का बड़ा फैसला
Lucknow,(Shah Times)। लखनऊ की सरज़मीं से निकला ये पैग़ाम सिर्फ़ एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि National Education की बुनियाद को मज़बूत करने का ऐलान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ़ किया कि किसी भी छात्र का दाख़िला गैर-मान्यता प्राप्त कोर्स में नहीं होना चाहिए। इस ऐलान ने न सिर्फ़ अफ़रातफ़री मचाई बल्कि तालीमी ढांचे की कमज़ोर नसों पर उंगली रख दी।
तालीमी निज़ाम और उसकी बुनियादी कमज़ोरियाँ
बरसों से स्टूडेंट्स और वालिदैन ये शिकायत करते रहे हैं कि कई प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेज सिर्फ़ कारोबार का अड्डा बन चुके हैं। दाख़िले की दौड़, फ़ीस की वसूली और डिग्री का कारोबार—ये सब तालीम के अस्ल मक़सद को तबाह कर रहे हैं।
बहुत से कॉलेज ऐसे कोर्सेज चला रहे हैं जिन्हें न UGC से मंज़ूरी है, न ही किसी बोर्ड से।
अफ़सरशाही और पॉलिटिकल रसूख़ के बल पर इन्हें न रोका गया और न ही सुधारा गया।
नतीजा यह कि हज़ारों स्टूडेंट्स का करियर दांव पर लग गया।
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CM का आदेश और हुकूमती ज़िम्मेदारी
मुख्यमंत्री का कहना है कि अब कोई भी तालीमी इदारा अपने हिसाब से दाख़िला नहीं ले सकेगा। हर कोर्स की मान्यता अनिवार्य होगी। जिलों में जो जांच टीम बनेगी, उसमें प्रशासन, पुलिस और शिक्षा विभाग के अफ़सर शामिल होंगे। ये ग्राउंड लेवल पर जाकर कॉलेजों का जायज़ा लेंगे।
Students First: Governance का असल मक़सद
Good Governance का मतलब सिर्फ़ पॉलिसीज़ बनाना नहीं, बल्कि यह देखना है कि नीतियाँ स्टूडेंट्स और सोसाइटी के हक़ में काम कर रही हैं। CM योगी का ये क़दम उस सोच को दर्शाता है जिसमें “Students First” पॉलिसी है।
जांच टीम हर कॉलेज से शपथ पत्र लेगी।
सभी कोर्सेज की पूरी सूची और मान्यता पत्र जमा करने होंगे।
अवैध दाख़िलों और फ़र्जी कोर्सेज़ पर कड़ी कार्रवाई होगी।
शिक्षा या व्यापार?
इस मसले पर बड़ा सवाल यही है कि क्या तालीम अब सिर्फ़ एक बिज़नेस बनकर रह गई है? बहुत से निजी संस्थान “फ़ीस के बदले डिग्री” का धंधा कर रहे हैं। ऐसे में गवर्नमेंट की यह सख़्ती सही दिशा में उठाया गया कदम कहा जा सकता है।
Counterpoints और चुनौतियाँ
लेकिन दूसरी तरफ़ ये भी सच है कि:
प्राइवेट कॉलेजेज़ की संख्या ज़्यादा है और जांच इतनी आसान नहीं होगी।
सियासी दबाव और लोकल रसूख़ जांच टीम के लिए बड़ी चुनौती होगा।
Students का करियर बीच में फँस सकता है अगर कॉलेज अचानक बंद कर दिए जाएँ।
कुछ educationists का कहना है कि गवर्नमेंट को सुधार का मॉडल देना चाहिए, सिर्फ़ कार्रवाई नहीं। यानी ऐसे संस्थानों को एक वक़्त दिया जाए ताकि वो अपनी कमियों को सुधार सकें।
Education की नई सोच: Reform से Transformation तक
उत्तर प्रदेश के इस कदम को अगर लंबी अवधि में देखा जाए तो ये higher education की पूरी तस्वीर बदल सकता है।
Transparent admission system
Digital verification of courses
Accountability of private universities
Students को Legal protection
इस तरह का framework न सिर्फ़ UP बल्कि पूरे मुल्क़ में Higher Education Governance का नया model बन सकता है।
अंतरराष्ट्रीय पैमाना और India की स्थिति
अगर दुनिया के बड़े देशों को देखें—जैसे US, UK या Germany—तो वहां higher education का एक मज़बूत regulatory system है। हर degree की verification आसान होती है। जबकि भारत में अक़्सर “fake universities” और “illegal admissions” की ख़बरें सामने आती रहती हैं।
इसलिए योगी सरकार का यह कदम भारत की Global Education Ranking में सुधार ला सकता है।
Students की उम्मीदें
Students का कहना है कि अब उन्हें भरोसा होना चाहिए कि जिस degree के लिए वो मेहनत कर रहे हैं, वो वाक़ई क़ीमती है। उनका future secure रहेगा और उन्हें नौकरी या research में कोई रुकावट नहीं आएगी।
Conclusion: एक नई तालीमी सियासत
अख़बारों में आने वाली ये हेडलाइन्स सिर्फ़ एक सरकारी कार्रवाई नहीं, बल्कि तालीमी सियासत का अहम हिस्सा हैं। उत्तर प्रदेश का ये फ़ैसला इस बात का सबूत है कि education and governance अब साथ-साथ चलेंगे।
अगर ये पहल सही ढंग से लागू हो गई तो शायद वो दिन दूर नहीं जब यूपी को तालीम के नक़्शे पर एक मिसाल माना जाएगा।