
Indian government advisory for citizens against Russian army recruitment – Shah Times
भारतीय युवाओं को रूसी सेना से जुड़ने से रोकने की कोशिश तेज़
युद्ध में भारतीयों की भर्ती पर भारत-रूस रिश्तों में तनाव
विदेश मंत्रालय ने भारतीयों को चेताया कि वे रूसी सेना में भर्ती के झांसे में न आएं। यह कदम जानलेवा जोखिम से भरा बताया गया।
New Delhi, (Shah Times)। भारत सरकार ने हाल ही में एक अहम एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों को आगाह किया है कि वे किसी भी हाल में रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों से दूर रहें। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि ऐसे ऑफ़र्स न केवल धोखाधड़ी का हिस्सा हो सकते हैं बल्कि सीधे-सीधे ज़िंदगी को ख़तरे में डालने वाले साबित हो रहे हैं। खबरें आ रही थीं कि रूस ने अपनी युद्धक ज़रूरतें पूरी करने के लिए भारतीय युवाओं को भी भर्ती किया और उन्हें यूक्रेन फ्रंट पर तैनात किया।
इस पृष्ठभूमि में सवाल उठता है कि क्यों भारत जैसे देश के नागरिक इस तरह के झांसे में आते हैं? क्या यह आर्थिक असमानता है, ग्लोबल पॉलिटिक्स का दबाव है या फिर भर्ती एजेंट्स की चालाकी?
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब तीन साल से भी अधिक पुराना हो चुका है। इस दौरान रूस ने अपनी मिलिट्री स्ट्रेंथ बनाए रखने के लिए विदेशी नागरिकों की भी भर्ती की। कई देशों के लोग इसमें शामिल हुए, और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक वर्ष में कई भारतीय नागरिकों ने रूस का रुख किया और सेना में शामिल हो गए। कई को ऐसा दिखाया गया कि उन्हें “job opportunities” मिलेंगी, “handsome salary packages” मिलेंगे या “citizenship benefits” दिए जाएंगे। लेकिन हकीकत यह निकली कि उन्हें सीधे युद्धक्षेत्रों में भेज दिया गया।
रणधीर जायसवाल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, ने साफ कहा कि भारत सरकार इस तरह की घटनाओं को लेकर चिंतित है। भारत ने मॉस्को से स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस प्रैक्टिस को तुरंत रोके और पहले से भर्ती भारतीय नागरिकों को वापस भेजे।
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क्यों हो रही है भारतीयों की भर्ती?
रूस को लगातार manpower shortage का सामना करना पड़ रहा है।
developing देशों के नागरिकों को target कर उन्हें “contract based soldiers” बनाया जा रहा है।
एजेंट्स भारतीय युवाओं को better income और overseas opportunity का लालच देकर trap कर रहे हैं।
भारतीय समाज में इसका असर
भारत में unemployed युवाओं के लिए यह लालच भारी पड़ रहा है। कई परिवारों ने मीडिया को बताया कि उनके बेटे “job visa” के नाम पर रूस गए, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि वे सीधा युद्धभूमि में भेज दिए गए।
पलट-दलीलें (Counterpoints)
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक रिश्तों को देखते हुए इस विषय को केवल “risk advisory” के रूप में देखना पर्याप्त नहीं है।
रूस-भारत रिश्ते:
भारत और रूस दशकों से strategic partners रहे हैं। defense deals से लेकर energy sector तक दोनों देशों के बीच गहरे रिश्ते हैं। ऐसे में रूस की आलोचना करना कूटनीतिक संतुलन के लिहाज़ से संवेदनशील हो सकता है।
रूसी दृष्टिकोण:
रूस का कहना है कि जो भी विदेशी सेना में भर्ती होते हैं, वे “voluntary contract” sign करते हैं। रूस इसे वैधानिक मानता है।
लेकिन सवाल यह है कि अगर कोई नागरिक false promises या misrepresentation से sign करता है, तो क्या इसे voluntary कहा जा सकता है?
युवा आकर्षण:
unemployment, poverty और overseas charm भारतीय युवाओं को risk उठाने पर मजबूर करते हैं। कई मानते हैं कि “better to die in war than live in poverty.” यह विचारधारा भी recruitment को fuel कर रही है।
वैश्विक संदर्भ
यूक्रेन ने भी ऐसे ही कई reports जारी कीं कि foreign nationals को “mercenaries” की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने foreign recruitment को illegal कहा है और इसे “human trafficking linked with war profiteering” माना है।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने रूस से appeal की है कि वह developing देशों के युवाओं को battlefield से हटाए।
सरकार का स्टैंड और भविष्य की चुनौती
भारत सरकार ने कई बार अपने नागरिकों को advisory जारी की है। पहले भी जनवरी और अप्रैल 2025 में इसी तरह के warnings दिए गए थे। लेकिन ground reality यह है कि अभी भी recruitment networks सक्रिय हैं।
सरकार की चुनौतियाँ:
borderless recruitment networks को trace करना मुश्किल है।
online job platforms और dark web के ज़रिए कई ऑफ़र्स भेजे जा रहे हैं।
family pressure और lack of awareness युवाओं को trap कर देता है।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन भारतीयों को पहले से भर्ती किया गया है, उनके repatriation के लिए लगातार रूसी अधिकारियों से बातचीत चल रही है। कई भारतीय हाल ही में छुट्टी लेकर वापस लौट भी आए हैं।
निष्कर्ष
यह मुद्दा केवल “foreign recruitment” का नहीं बल्कि व्यापक “global labour exploitation” का है। भारत सरकार की advisory timely है, लेकिन ground level पर awareness campaign और diplomatic pressure दोनों की ज़रूरत है।
भारत के युवाओं को यह समझना होगा कि कोई भी quick-rich scheme या overseas offer बिना proper verification के स्वीकार करना जानलेवा हो सकता है।
भारत और रूस दोनों की ज़िम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता लाएं और युवाओं को ज़िंदगी से खेलने वाले जाल से बचाएं।