
District Magistrate inspecting landslide-affected zone in Nainital, heavy rain triggers cracks on hillsides. Shah Times exclusive coverage.
बरसात से नैनीताल में भूस्खलन का खतरा, प्रशासन ने कसी कमर
भूस्खलन संकट: DM वंदना सिंह ने बताई राहत रणनीति
नैनीताल में लगातार बारिश से भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ीं, सड़कें टूटीं, घरों में दरारें पड़ीं, लोग असुरक्षा में जी रहे हैं। प्रशासन ने तात्कालिक और दीर्घकालिक उपायों की घोषणा की।
✍️ रिपोर्ट : अफ़ज़ल हुसैन फ़ौजी
Nainital,(Shah Times)।बरसात का मौसम नैनीताल को जितनी खूबसूरती देता है, उतना ही खौफ़ भी ले आता है। पहाड़ों पर लगातार होती बारिश जब ढलानों को कमजोर कर देती है तो नतीजा सामने आता है भूस्खलन के रूप में। इस बार की बरसात ने नैनीताल की ज़मीन को जैसे हिला दिया है। शहर के कई इलाके संवेदनशील हो चुके हैं, सड़कों पर दरारें हैं, घरों की नींव खिसक रही है और लोग हर पल खतरे में जीने को मजबूर हैं।
आपदा का वर्तमान परिदृश्य
पिछले हफ्ते से लगातार बारिश के कारण नगर के सात नंबर क्षेत्र में भूमि धंसने और भूस्खलन की सूचना आई। यहाँ की ज़मीन धीरे-धीरे खिसक रही है। लोवर माल रोड पर गहरी दरारें दिखाई दीं। कई घरों में दरार पड़ गई है। प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से कुछ परिवारों को टेंट और सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर दिया है।
राजभवन क्षेत्र के पीछे निहाल नाले के पास का इलाका पहले से ही खतरे में माना जाता रहा है। यहाँ से संबंधित एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, लेकिन फंड मिलने का इंतज़ार है।
प्रशासनिक कार्रवाई
जिलाधिकारी वंदना सिंह ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कदम उठाए।
पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग और भू-वैज्ञानिकों की एक संयुक्त टीम गठित की गई।
इस टीम को तात्कालिक और दीर्घकालिक सुरक्षा उपाय सुझाने का निर्देश दिया गया।
ज़रूरी तात्कालिक उपाय जिला स्तर पर तुरंत लागू किए जाएँगे।
बड़े और स्थायी उपायों के लिए शासन से बजट और मंजूरी ली जाएगी।
डीएम ने कहा कि यह समय केवल तात्कालिक राहत का नहीं बल्कि भविष्य की रणनीति बनाने का भी है।
स्थानीय लोगों की स्थिति
गांव और शहर दोनों ही प्रभावित हैं। लोग हर पल अपने घरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
बच्चों की पढ़ाई बाधित है।
रोज़गार और पर्यटन पर सीधा असर पड़ा है।
लोग घर छोड़कर रिश्तेदारों और सुरक्षित ठिकानों पर जा रहे हैं।
मानसिक तनाव और पलायन की आशंका बढ़ रही है।
शहर का सबसे बड़ा सहारा पर्यटन भी ठप पड़ा है। होटल और रेस्टोरेंट खाली पड़े हैं।
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भूस्खलन के कारण
प्राकृतिक कारण:
लगातार बारिश से मिट्टी में नमी बढ़ना।
पहाड़ी ढलानों की प्राकृतिक कमजोरी।
भूकंपीय गतिविधियों का प्रभाव।
मानव निर्मित कारण:
अनियंत्रित निर्माण कार्य।
जंगलों की अंधाधुंध कटाई।
पर्यटन का बढ़ता दबाव।
ड्रेनेज और वाटर मैनेजमेंट की कमी।
आर्थिक असर:
होटल कारोबार ठप।
परिवहन बाधित।
स्थानीय रोजगार प्रभावित।
सामाजिक असर:
असुरक्षा का माहौल।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर।
मजबूरी में पलायन।
प्रतिपक्षीय दृष्टिकोण
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नैनीताल में आपदा पूरी तरह प्राकृतिक नहीं है। उनका कहना है कि योजनाबद्ध शहरीकरण, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और निर्माण नियंत्रण से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
वहीं, प्रशासन का कहना है कि पहाड़ी भूगोल इतना जटिल है कि भूस्खलन को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता।
संभावित समाधान
तात्कालिक कदम:
संवेदनशील जगहों पर चेतावनी संकेत।
अस्थायी शेल्टर और रिलीफ कैंप।
मलबा हटाने और सड़क मरम्मत के लिए त्वरित दल।
दीर्घकालिक कदम:
वैज्ञानिक आधार पर शहरी विकास।
ड्रेनेज और वाटर चैनल का सुधार।
पेड़ों का संरक्षण और पुनर्वनीकरण।
टूरिज़्म पॉलिसी में बदलाव।
निष्कर्ष
नैनीताल इस समय प्रकृति और मानवीय लापरवाही, दोनों की मार झेल रहा है। पहाड़ों की नींव को बचाना केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज, विशेषज्ञों और सरकार सबकी साझी जिम्मेदारी है। अल्पकालिक राहत तो ज़रूरी है, लेकिन अगर स्थायी उपाय नहीं किए गए तो आने वाले सालों में नैनीताल की पहचान खतरे में पड़ सकती है।
नैनीताल में लगातार बारिश से भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ीं, सड़कें टूटीं और घरों में दरारें पड़ीं। प्रशासन ने तात्कालिक व दीर्घकालिक सुरक्षा उपाय तय किए।







