
Congress leader Rahul Gandhi addressing on voter list deletion controversy, raising serious questions on Election Commission. | Shah Times
राहुल गांधी का बड़ा इल्ज़ाम: वोटर लिस्ट से नाम डिलीट कर लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर साधा निशाना, बीजेपी बोली- संवैधानिक संस्थाओं का अपमान
राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का गंभीर आरोप लगाया। बीजेपी ने पलटवार किया। क्या सचमुच वोट चोरी लोकतंत्र के लिए नया खतरा है?
लोकतंत्र पर उठते सवाल
भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताक़त उसकी मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रिया मानी जाती है। हर पांच साल पर होने वाले चुनाव करोड़ों लोगों की आवाज़ को संसद और विधानसभाओं तक पहुंचाते हैं। लेकिन जब इसी प्रक्रिया पर ही सवाल उठने लगें, तो लोकतंत्र की बुनियाद हिल जाती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में आरोप लगाया है कि देशभर में सुनियोजित तरीके से वोटरों के नाम डिलीट किए जा रहे हैं, ख़ास तौर पर दलित, अल्पसंख्यक और ओबीसी समुदाय को टारगेट किया जा रहा है।
यह आरोप महज़ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा सवाल है—क्या चुनावी प्रक्रिया अब निष्पक्ष नहीं रही?
राहुल गांधी का आरोप: “वोट चोरी का खेल”
राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे तौर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर आरोप लगाया। उनका दावा है कि:
लाखों वोटरों के नाम लिस्ट से हटाए जा रहे हैं।
कांग्रेस के गढ़ वाले इलाकों को टारगेट किया गया।
दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी वर्ग पर ख़ास तौर पर असर पड़ा।
वोट चोरी केंद्र से नियंत्रित और ऑटोमेटेड तरीके से हो रही है।
उन्होंने कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि यहाँ 6018 वोट डिलीट किए गए, जबकि यह कांग्रेस का मज़बूत गढ़ था।
राहुल का दावा है कि यह कोई तकनीकी गलती नहीं, बल्कि एक संगठित साज़िश है। उन्होंने कहा: “अब हमें चुनाव आयोग के भीतर से ही जानकारी मिल रही है। जिन लोगों का वोट डिलीट हुआ, उन्हें खुद पता तक नहीं।”
सबूत और उदाहरण: “ब्लैक एंड वाइट प्रूफ”
राहुल गांधी ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कई उदाहरण भी पेश किए:
गोदा बाई नाम की महिला के मोबाइल नंबर से 12 वोट डिलीट हुए।
सूर्यकांत नाम के व्यक्ति के नंबर से भी दर्जनों नाम हटाए गए।
महज़ 36 सेकेंड के भीतर दो फॉर्म भरे गए—जो प्रैक्टिकली असंभव है।
अलग-अलग राज्यों के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर वोट डिलीट करने की कोशिश की गई।
यह सबूत बताते हैं कि मामला किसी एक बीएलओ या स्थानीय स्तर का नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर तकनीकी छेड़छाड़ का है।
बीजेपी का पलटवार: “संविधान का अपमान”
राहुल गांधी के आरोपों पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि:
राहुल गांधी बार-बार देश की संवैधानिक संस्थाओं पर अविश्वास जता रहे हैं।
यह जनता का और संविधान का अपमान है।
अगर उनके पास सबूत हैं, तो औपचारिक शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
बीजेपी का तर्क है कि राहुल गांधी केवल राजनीतिक फायदे के लिए चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बताया निराधार
चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उन आरोपों को “ग़लत और निराधार” बताया, जिनमें उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर वोट डिलीट करने वालों को बचाने का आरोप लगाया था।
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं और चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई करने के बजाय दोषियों को संरक्षण दे रहा है।
आयोग की ओर से जारी कड़े बयान में कहा गया:
“श्री राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप ग़लत और निराधार हैं। कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन किसी भी वोट को डिलीट नहीं कर सकता, जैसा कि उन्होंने समझा है। मतदाता सूची से किसी नाम को हटाने के लिए विधिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है और प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई नाम हटाया नहीं जा सकता।”
राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट से जुड़ा मुद्दा उठाए जाने पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2023 में कुछ लोग मतदाता सूची से नाम हटाने का प्रयास ज़रूर कर रहे थे, लेकिन वे असफल रहे। इस मामले में आयोग ने स्वयं प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई थी ताकि जांच हो सके।
आयोग के सूत्रों ने यह भी कहा कि आलंद विधानसभा में हुए चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष रहे। वर्ष 2018 में यहां भाजपा के शुभद गुट्टेदार जीते थे, जबकि 2023 में कांग्रेस के बी.आर. पाटिल विजयी रहे। यह साफ है कि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसे ग़लतफ़हमी व राजनीतिक रंग देने की कोशिश करार दिया है।
चुनाव आयोग की भूमिका और चुनौती
भारतीय चुनाव आयोग को हमेशा से एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था माना गया है। लेकिन जब इसी संस्था पर सवाल उठने लगें, तो लोकतंत्र की नींव पर सीधा वार होता है।
अगर सचमुच वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हुई है, तो यह लोकतंत्र की सबसे बड़ी धोखाधड़ी होगी।
अगर आरोप झूठे हैं, तो यह विपक्ष की ओवर-पॉलिटिसाइज़ेशन (अत्यधिक राजनीतिकरण) का मामला है।
चुनाव आयोग के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है कि वह अपनी साख और पारदर्शिता को कैसे बनाए रखे।
सामाजिक असर: सबसे ज़्यादा प्रभावित कौन?
राहुल गांधी का दावा है कि जिनका वोट डिलीट किया जा रहा है, वे ज़्यादातर:
दलित
अल्पसंख्यक
आदिवासी
ओबीसी
वर्ग से आते हैं।
यानी सीधा असर उन समुदायों पर पड़ रहा है, जिनकी राजनीतिक आवाज़ पहले ही सीमित मानी जाती है। अगर ऐसा है, तो यह केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व पर हमला है।
राजनीतिक रणनीति: आरोप बनाम जवाब
इस पूरे विवाद को दो तरह से देखा जा सकता है:
कांग्रेस का दृष्टिकोण:
राहुल गांधी जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि बीजेपी सत्ता में बने रहने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को भी कमजोर कर रही है।
अल्पसंख्यक और हाशिए पर मौजूद वर्गों को टारगेट कर कांग्रेस अपनी कोर वोट बैंक राजनीति को मजबूत करना चाहती है।
बीजेपी का दृष्टिकोण:
यह एक और नेरेटिव बैटल है, जिसमें कांग्रेस चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर खुद को पीड़ित दिखाना चाहती है।
बीजेपी इसे राहुल गांधी की हताशा और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अविश्वास की रणनीति बताती है।
चुनाव आयोग को अल्टीमेटम
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि अगर आयोग ने सबूत और जानकारी सार्वजनिक नहीं की, तो यह साफ हो जाएगा कि वह वोट चोरी करने वालों को बचा रहा है।
उनका संदेश साफ था:
“अगर चुनाव आयोग चुप रहा, तो देश के युवा समझेंगे कि आयोग भी संविधान की हत्या करने वालों के साथ है।”
लोकतंत्र का असली इम्तिहान
भारत में लोकतंत्र केवल वोटिंग मशीन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मतदाता सूची, पारदर्शिता और भरोसा शामिल है।
अगर वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ हुई, तो यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा फ्रॉड है।
अगर यह महज़ राजनीतिक बयानबाज़ी है, तो यह भी गंभीर है क्योंकि इससे जनता का भरोसा संवैधानिक संस्थाओं पर कमज़ोर होता है।
इसलिए ज़रूरी है कि:
चुनाव आयोग तुरंत और पारदर्शी जांच करे।
अगर गड़बड़ी है, तो दोषियों को सज़ा मिले।
अगर आरोप झूठे हैं, तो कांग्रेस को भी अपने बयान की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
नतीजा
राहुल गांधी के आरोप और बीजेपी के जवाब के बीच सच्चाई कहाँ है, यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि भारतीय लोकतंत्र आज अपनी सबसे बड़ी परीक्षा से गुजर रहा है।
लोकतंत्र का असली इम्तिहान यही है—क्या हर वोटर का नाम लिस्ट में सुरक्षित है? क्या हर नागरिक की आवाज़ संसद तक पहुँच रही है? और क्या चुनाव आयोग सचमुच निष्पक्ष और स्वतंत्र है?
अगर इन सवालों के जवाब पारदर्शिता और ईमानदारी से नहीं दिए गए, तो लोकतंत्र की जड़ें खोखली होने लगेंगी।






