
Lawyers and political party supporters protest in West UP demanding a High Court bench
मानव श्रृंखला और प्रदर्शन से उठी न्यायिक सुधार की आवाज
राजनीतिक दलों का समर्थन, जन आंदोलन बनता वकीलों का संघर्ष
वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर वकीलों और राजनीतिक दलों ने मानव श्रृंखला व पैदल मार्च कर जोरदार प्रदर्शन किया।
लखनऊ,(Shah Times ) । वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग ने पिछले कुछ महीनों से जोर पकड़ लिया है। शनिवार को जिला मेरठ में बेगमपुल में वकीलों ने पैदल मार्च निकाला और मानव श्रृंखला बनाई। इस आंदोलन में कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी, बसपा और भीम आर्मी सहित कई राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला। वकीलों का कहना था कि उच्च न्यायालय की सुविधाओं का विस्तार स्थानीय लोगों के लिए न्याय की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
वेस्ट यूपी के कई जिलों में लोग न्याय पाने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं, जिससे समय और संसाधनों की भारी बर्बादी होती है। इसीलिए वकील और जनता एक साथ आकर सरकार से हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग कर रहे हैं।
वकीलों का तर्क है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में न्यायिक मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और शामली जैसे जिलों के लिए लखनऊ हाईकोर्ट तक पहुंचना मुश्किल है। स्थानीय स्तर पर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना से न केवल वकीलों का समय बचेगा बल्कि जनता को भी न्याय त्वरित मिलेगा।
केंद्रीय संघर्ष समिति ने 22 जनपदों में अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्य बंद करने की अपील की। इससे स्पष्ट हुआ कि यह केवल वकीलों का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की जनता का संवेदनशील मुद्दा है। मानव श्रृंखला और पैदल मार्च के माध्यम से आंदोलन ने सरकार और आम जनता के सामने यह संदेश दिया कि वेस्ट यूपी में न्याय की सुविधा में सुधार आवश्यक है।
वकीलों ने प्रशासन से आग्रह किया कि उच्च न्यायालय की सुविधाओं का विस्तार किया जाए, ताकि क्षेत्रीय लोगों को न्याय पाने में असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल वकीलों का नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों का हित है।











राजनीतिक और सामाजिक समर्थन
इस प्रदर्शन को कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी, बसपा और भीम आर्मी सहित कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिला। राजनीतिक दलों की भागीदारी से आंदोलन का स्वर और व्यापक हुआ।
मेरठ में पैदल मार्च और बेगमपुल पर मानव श्रृंखला ने प्रशासन के लिए स्पष्ट संदेश दिया। वकीलों और राजनीतिक दलों ने शहर के प्रमुख चौराहों और कचहरी क्षेत्रों में नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान जनता, व्यापारी और सामाजिक संगठन भी सक्रिय रहे।
हालांकि भाजपा के अधिकांश पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि शहर से बाहर थे, लेकिन एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज और महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने बेगमपुल में जाकर समर्थन दिया।
विरोधी दृष्टिकोण और चुनौतियाँ
इस मांग पर विरोध और चुनौतियाँ भी हैं। कुछ विश्लेषक कहते हैं कि हाईकोर्ट बेंच की स्थापना केवल न्याय की त्वरित सुविधा के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्हें लगता है कि न्यायिक प्रक्रिया में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग जरूरी है।
दूसरी ओर, सरकार के अधिकारी कहते हैं कि उच्च न्यायालय की बेंच स्थापित करने में वित्तीय और प्रशासनिक प्रक्रिया लंबी होती है। इसके लिए विस्तृत अध्यन और संसाधन आवंटन आवश्यक है।
इसलिए, आंदोलन और सरकार के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है। वकीलों और जनता की मांग वैध है, लेकिन इसे लागू करने के लिए समय और नीति निर्माण की आवश्यकता है।
वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग सिर्फ वकीलों की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के न्यायिक सुधार की आवश्यकता
वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग सिर्फ वकीलों की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के न्यायिक सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है। मानव श्रृंखला, पैदल मार्च और राजनीतिक दलों के समर्थन ने आंदोलन की गंभीरता को उजागर किया।
वकील, व्यापारी, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन मिलकर इस मुद्दे को जन आंदोलन का रूप दे रहे हैं। सरकार के लिए यह समय है कि न्याय की प्रक्रिया को तेजी से और स्थानीय स्तर पर सुलभ बनाने के लिए गंभीर कदम उठाए।
अगर वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच स्थापित हो जाती है, तो यह क्षेत्र के लोगों के लिए न्यायिक सुविधा की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।




