
Jamiat Ulama Gujarat and Rajasthan teams distributing relief in flood-hit Punjab and Jammu Kashmir
मौलाना अरशद मदनी की अपील पर जमीयत का व्यापक राहत कार्य
पंजाब, कश्मीर और हिमालयी इलाकों में जमीयत का राहत वितरण जारी
जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयाँ पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटी हैं। अहमदाबाद ने तीस लाख रुपये की राहत सामग्री फाजिल्का में वितरित की। राजस्थान प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू और उधमपुर में तबाह इलाकों तक पहुँचकर पीड़ितों को सीधी मदद पहुँचाई। मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि जमीयत इंसानियत के आधार पर हर ज़रूरतमंद की मदद करती है।
नई दिल्ली,(Shah Times)। इस साल की भीषण बारिश और बाढ़ ने उत्तर भारत के कई इलाक़ों को तबाह कर दिया। पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गाँवों और कस्बों में लोग घर, ज़मीन और परिवार तक खो बैठे। ऐसे हालात में जमीयत उलमा-ए-हिंद की सक्रियता इंसानियत का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई है।
प्राकृतिक आपदाओं और विनाशकारी बाढ़ ने भारत की कई रियासतों में लाखों लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। पंजाब,जम्मू-कश्मीर,हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में भारी जानी और माल नुकसान हुआ है। फसलें नष्ट हो चुकी हैं और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। अब भी बहुत से इलाके पानी में डूबे हुए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राहत और मदद के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की अपील पर शुरू से ही जमीयत की प्रांतीय और जिला इकाइयाँ तथा कार्यकर्ता सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और इस नेक काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
जमीयत उलमा मेवात और उत्तराखंड इकाईयों द्वारा पीड़ितों के बीच राहत बाँटने के बाद आज जमीयत उलमा अहमदाबाद और जमीयत उलमा राजस्थान के प्रतिनिधि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में राहत और पुनर्वास कार्यों में जुट गए हैं। जमीयत उलमा अहमदाबाद ने बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए आज तीस लाख रुपये की राहत सामग्री पंजाब के जिला फाजिल्का में वितरित की। इसमें महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के कपड़े (7000 जोड़े), साबुन और टूथपेस्ट किट (1300 किट), प्लास्टिक (1500 किग्रा), कंबल (1100 नग), दूध पाउडर (100 किग्रा), चप्पलें (1500 जोड़े), मच्छरदानियाँ (80 नग), बर्तन सेट (416 नग) और दुपट्टे (2000 नग) शामिल हैं।

यह प्रतिनिधिमंडल मुफ्ती मुनीर की अगुवाई में था। साथ में मौलाना जावेद, इस्माइल भाई, हाफिज़ सलमान मंसूरी, हाफिज़ फहद, हाफिज़ फ़ुरकान, उमर भाई, असलम भाई मोदन और रिज़वान भाई शामिल थे।
वहीं, दूसरी ओर जमीयत उलमा राजस्थान का तीन सदस्यीय दल मौलाना मदनी की हिदायत पर 12 सितम्बर से जम्मू के दौरे पर है। वहाँ उन्होंने राहत सामग्री और तरीक़े का जायज़ा लिया और उन इलाक़ों की पहचान की, जहाँ अब तक कोई मदद नहीं पहुँची थी। लैंडस्लाइड की वजह से कई जगह हाईवे बंद था। यह दल कभी पैदल और कभी बाइक से चलते हुए थर्ड पंचायत, बली नाला, चिनी और रेंगी बस्ट जैसे इलाक़ों तक पहुँचा। बली नाला और थर्ड पंचायत में 73 मकान पूरी तरह ढह गए थे, जिनमें से 32 मकान तो ज़मीन समेत खत्म हो गए थे। वहीं 41 मकानों की ज़मीन तो बची है लेकिन एक मस्जिद और कब्रिस्तान का कोई निशान बाकी नहीं रहा।
इसके बाद यह दल जिला उधमपुर की तहसील चेनानी पहुँचा, जहाँ दर्जनों मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त थे। चिनी से लगभग 12 किलोमीटर दूर रेंगी गाँव में ढाई दर्जन मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे। इनमें से लगभग एक दर्जन मकानों की जगह भी खत्म हो गई। हाईवे बंद होने की वजह से वहाँ अब तक कोई राहत नहीं पहुँची थी लेकिन अब जमीयत राजस्थान की अपील पर गाड़ियाँ लगातार राहत लेकर पहुँच रही हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राहत दल ने तत्काल राहत के तौर पर नकद राशि भी वितरित की।
इस प्रतिनिधिमंडल में मौलाना मोहम्मद राशिद (अध्यक्ष जमीयत उलमा राजस्थान), कारी शुऐब अहमद (जमीयत उलमा अलवर), हाफिज़ मोहम्मद सिद्दीक़ (जमीयत उलमा भरतपुर) और चेनानी के मदरसा बाबुल उलूम की टीम से हाजी मोहम्मद अय्यूब (प्रधानाध्यापक), मुफ्ती जिया उल हक़, मौलाना मोहम्मद अशफाक़ आदि शामिल थे। जमीयत उलमा राजस्थान ने इस क्षेत्र के गरीब लोगों के मकान बनाने की ज़िम्मेदारी ली है। इसी तरह जिला पुंछ की तहसील मेंढर के गाँव “काला बन” में 70 मकान ढह चुके हैं। वहाँ अस्थायी आवास के लिए प्लाई के मकान बनाने का भी संकल्प लिया गया है।
मौलाना मदनी के आदेश पर आज जमीयत उलमा पंजाब की प्रांतीय इकाई ने विभिन्न जिलों से कार्यकर्ताओं को लेकर पंजाब के सबसे प्रभावित इलाकों का दौरा किया और ज़रूरी राहत सामग्री वितरित की, जिसमें जानवरों के लिए चारा भी शामिल था। यह इलाक़ा ज़िला पठानकोट के आख़िर में जम्मू-कश्मीर सीमा और अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से सटा हुआ है। गाँव का नाम “कोलियां कथलौर” है, जो रावी नदी से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे बसा है।
इस गाँव में मुसलमान गुर्जर और हिंदुओं के लगभग 30 मकान थे (4 हिंदुओं के और 26 मुसलमान गुर्जरों के वहाँ मुसलमानों ने एक मस्जिद भी बनाई थी। ग्रामीणों ने बताया कि 29 अगस्त की रात अचानक रावी नदी का पानी तेज़ बहाव और ऊँचाई के साथ गाँव में घुस आया। लोग जान बचाने में तो सफल हो गए लेकिन घर, सामान और पशुओं को नहीं बचा सके।
इन घरों में एक परिवार बाग हुसैन ऐसा भी था जिसने न केवल अपना घर और सामान खोया बल्कि अपने तीन बच्चों 6 और 9 साल के बेटे और 12 साल की बेटी और 70 साल की माँ को भी खो दिया। बेटी और माँ की लाशें तो मिल गईं लेकिन दोनों बेटों की लाशें अब तक नहीं मिल पाई हैं।
जमीयत उलमा के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की और यह भरोसा दिलाया कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और कार्यकर्ता इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं और आगे घर बनाने से लेकर आर्थिक मदद तक हर स्तर पर सहयोग करेंगे।जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उन्हें यह देखकर संतोष हुआ है कि उनकी अपील पर जमीयत की विभिन्न राज्य इकाइयों के कार्यकर्ता और ज़िम्मेदार लोग अपने घरों से निकलकर पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यही कार्यकर्ता और इकाइयाँ जमीयत की असली ताक़त हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारे कार्यकर्ता कठिन से कठिन इलाकों तक पहुँचकर राहत पहुँचा रहे हैं। संकट की घड़ी में इंसानों की सेवा करना वास्तव में इंसानियत की सेवा करना है। जमीयत उलमा-ए-हिंद अपने बुजुर्गों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर शुरू से चलती आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जमीयत किसी की मदद करते समय धर्म नहीं पूछती, बल्कि केवल इंसानियत के आधार पर काम करती है। मौलाना ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद हर ज़रूरतमंद को इंसान मानकर मदद करती है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो।”
अंत में मौलाना मदनी ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जमीयत उलमा-ए-हिंद की राहत गतिविधियाँ तब तक जारी रहेंगी जब तक लोगों को इसकी आवश्यकता होगी।
भारत के आपदा प्रभावित इलाक़ों में इस समय जमीयत उलमा-ए-हिंद की गतिविधियाँ राहत की सबसे बड़ी उम्मीद हैं। यह संदेश साफ़ है—इंसानियत सबसे ऊपर है और संकट की घड़ी में मदद करना ही असली सेवा है।




