
Congress leaders at the historic Sadaqat Ashram, Patna, ahead of Bihar Assembly Election 2025 strategy
सदाक़त आश्रम से निकली बिहार चुनाव की रणनीति, पटना बना राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र
85 साल बाद इतिहास रचता सदाक़त आश्रम और कांग्रेस की चुनौती
पटना के ऐतिहासिक सदाक़त आश्रम में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक ने न केवल बिहार चुनाव 2025 की सियासत को नया मोड़ दिया है, बल्कि आज़ादी के दौर की यादों को भी ताज़ा किया है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत दिग्गज नेताओं की मौजूदगी से कांग्रेस अपने पुनरुत्थान का बिगुल फूंक रही है।
पटना की मिट्टी हमेशा से भारतीय लोकतंत्र और सियासत की गवाही देती रही है। गंगा किनारे बसे सदाक़त आश्रम की दीवारें उस दौर की गूँज से आज भी सराबोर हैं, जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की लौ जलाई थी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्र निर्माण का खाका खींचा था। अब वही जगह एक बार फिर सुर्ख़ियों में है—क्योंकि कांग्रेस ने Congress Working Committee (CWC) की बैठक यहाँ बुलाकर बिहार चुनाव 2025 से पहले बड़ा दाँव खेला है।
पटना के सदाक़त आश्रम से कांग्रेस की नई सियासी जंग की शुरुआत
पटना का सदाक़त आश्रम सिर्फ़ एक इमारत नहीं है, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की धड़कन रहा है। यही वह जगह है जहाँ महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पंडित नेहरू जैसे नेताओं ने स्वतंत्र भारत के सपनों की बुनियाद रखी थी। आज़ादी के बाद भी यह आश्रम कांग्रेस का केंद्र बना रहा। अब, 85 साल बाद, जब यहाँ कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हो रही है, तो यह महज़ एक राजनीतिक आयोजन नहीं बल्कि इतिहास और वर्तमान का संगम बन गया है।
सदाक़त आश्रम का इतिहास
1921 में मौलाना मजहरूल हक़ ने 21 एकड़ ज़मीन दान देकर इस आश्रम की नींव रखी। अरबी लफ़्ज़ ‘सदाक़त’ का मतलब है सच्चाई। गांधीजी और कस्तूरबा ने इसका शिलान्यास किया था। यहाँ से असहयोग, सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन की रणनीतियाँ बनीं।
उस दौर में सदाक़त आश्रम एक hub of resistance था। गांधीजी ने यहाँ चरखा काता, स्वदेशी का संदेश दिया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे nerve center of Indian nationalism कहा। बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस जगह की गूँज थी।
आज वही ऐतिहासिक परिसर फिर से कांग्रेस की नई जंग का गवाह बन रहा है।
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कांग्रेस की रणनीति और बिहार चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले कांग्रेस ने पटना में CWC बुलाकर बड़ा संकेत दिया है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सलमान खुर्शीद, सचिन पायलट जैसे नेता मौजूद हैं। सोनिया और प्रियंका गांधी भले न हों, लेकिन पार्टी का फ़ोकस साफ है—बिहार को चुनावी resurgence की प्रयोगशाला बनाना।
यहाँ चर्चा के मुख्य मुद्दे हैं:
आरक्षण की सीमा और caste census
बेरोज़गारी और migration
किसान संकट और बाढ़ प्रबंधन
लोकतंत्र और संविधान की रक्षा
NDA के भीतर contradictions
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने उद्घाटन भाषण में सीधा PM मोदी और NDA पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री जिनको मेरे दोस्त कहते हैं वही आज भारत को संकट में डाल रहे हैं।”
खड़गे ने voter list manipulation, unemployment, farmers’ distress, inequality, GST और नोटबंदी की विफलताओं को गिनाया। उनका लहजा साफ़ था—Congress is trying to reclaim the democratic narrative from Bihar।
बिहार का सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
बिहार हमेशा से epicenter of social justice politics रहा है। यहाँ की राजनीति caste equations और सामाजिक आंदोलनों से गहराई से जुड़ी रही है। OBC, EBC, SC-ST और minorities मिलकर यहाँ की लगभग 80% आबादी हैं।
Congress अब इस base को फिर से mobilize करने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी की Bharat Jodo Nyay Yatra ने जो narrative बनाया था, CWC उस narrative को consolidate कर रही है।
NDA और नीतीश-भाजपा equation
खड़गे ने अपने भाषण में साफ़ कहा कि NDA का “double engine” hollow साबित हुआ है। नीतीश कुमार और भाजपा का रिश्ता तनावपूर्ण है। भाजपा अब उन्हें बोझ मानने लगी है।
लोगों में perception ये है कि बिहार को promised special package नहीं मिला, industries revive नहीं हुईं, sugar mills बंद हैं और unemployment highest है। यही Congress के लिए बड़ा चुनावी weapon है।
बेरोज़गारी और पलायन
बिहार की सबसे बड़ी challenge unemployment है। हर साल लाखों युवा रोज़गार की तलाश में दिल्ली, मुंबई और Gulf countries migrate करते हैं।
“जब गाँव का होनहार लड़का पटना में भी नौकरी नहीं पाता और उसे दिल्ली या खाड़ी मुल्क जाना पड़ता है, तो ये failure of governance है।”— यही Congress बार-बार दोहरा रही है।
Recruitment scams और police की लाठीचार्ज वाली घटनाएँ युवाओं में ग़ुस्सा पैदा कर चुकी हैं।
किसान और बाढ़ की राजनीति
बिहार के किसान हर साल कोसी और गंडक की बाढ़ से जूझते हैं। crop loss, poor compensation और lack of flood management ने उन्हें निराश कर दिया है।
खड़गे ने कहा— “हर साल बाढ़ से नुकसान झेलने वाले किसानों के लिए सरकार ने कोई sustainable plan नहीं बनाया।”
यह narrative गाँव-गाँव में resonate कर रहा है।
कांग्रेस का फोकस: आरक्षण और जातीय जनगणना
Congress ने जातीय जनगणना और 65% आरक्षण को constitutional guarantee देने की माँग उठाई। खड़गे ने PM मोदी पर सीधा हमला करते हुए पूछा कि जब Tamil Nadu को 69% आरक्षण दिया जा सकता है तो बिहार को क्यों नहीं।
यह मुद्दा सीधा OBC, Dalit और minority communities को mobilize करता है।
राष्ट्रीय राजनीति से कनेक्शन
CWC की बैठक सिर्फ़ बिहार तक सीमित नहीं है। यह 2025 Assembly Election को 2029 Lok Sabha Election का testing ground मान रही है।
अगर Bihar में Congress ने momentum बनाया, तो इसका ripple effect UP, Jharkhand और पूरे Hindi belt में होगा।
कांग्रेस की चुनौतियाँ
हालाँकि Congress के सामने कई challenges भी हैं:
Local leadership का अभाव
RJD के साथ coordination
Organizational weakness
BJP’s strong social media machinery
लेकिन सदाक़त आश्रम से निकला message साफ़ है—Congress isn’t giving up. It wants to fight back.
जनता की उम्मीदें
Bihar की जनता अब सिर्फ़ caste-based politics नहीं चाहती। उन्हें रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और basic infrastructure चाहिए। Congress इसी aspiration को पकड़ने की कोशिश कर रही है।
खड़गे ने अंत में कहा— “हम सब मिलकर बिहार का पुनर्निर्माण करेंगे और ‘स्वर्णिम बिहार’ का सपना पूरा करेंगे।”
नतीजा
सदाक़त आश्रम की मिट्टी ने कभी आज़ादी की लड़ाई को दिशा दी थी। अब वही जगह Bihar election 2025 का नया मंच बन रही है।
इतिहास और वर्तमान का यह संगम Congress के लिए अवसर भी है और चुनौती भी। अगर इस बार पार्टी जनता की नब्ज़ पकड़ लेती है, तो शायद आने वाले चुनाव में Indian Politics का power balance बदल सकता है।