
Prime Minister Modi addressing GST reform and self-reliant India in Noida
आत्मनिर्भर भारत और विदेशी निवेश : राजनीतिक अर्थशास्त्र का नया दौर
उत्तर प्रदेश से दुनिया तक : निवेश, विकास और जीएसटी सुधार
📍 नोएडा | 25 सितम्बर 2025
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रदर्शनी में कहा कि जीएसटी सुधार भारत की आर्थिक मजबूती की नींव हैं। विपक्ष ने सरकार पर नाकामियों को छिपाने का आरोप लगाया। यह संपादकीय विश्लेषण बताता है कि राजनीतिक बहस से परे जाकर भारत की अर्थव्यवस्था किस ओर बढ़ रही है और इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका कितनी अहम है।
जीएसटी सुधार, आत्मनिर्भर भारत और निवेश की नई राहें
भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था इस समय ऐसे मुक़ाम पर है जहाँ हर फ़ैसला केवल आज का नहीं बल्कि आने वाले दशकों का भविष्य तय कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में नोएडा में आयोजित उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रदर्शनी में अपने संबोधन में जीएसटी सुधारों का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह सुधार केवल टैक्स सिस्टम को आसान बनाने का कदम नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक निवेश को आकर्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने साफ कहा कि 2014 से पहले टैक्स की लूट मची हुई थी। अलग–अलग टैक्स, उस पर भी टैक्स, और भ्रष्टाचार की जकड़न ने कारोबारियों को परेशान कर रखा था। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद से “वन नेशन, वन टैक्स” का रास्ता साफ हुआ और लोगों की जेब में राहत आई। उनका दावा है कि सरकार ने कर घटाकर और आय बढ़ाकर महँगाई को कम करने की कोशिश की है।
प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर आयकर मुक्त सीमा और जीएसटी सुधारों से होने वाले लाभ को जोड़ा जाए तो जनता के पास हर साल लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इसीलिए सरकार इसे “जीएसटी बचत उत्सव” कह रही है।
कांग्रेस और विपक्ष ने बताया राजनीतिक प्रचार
दूसरी तरफ़ विपक्ष ने इसे राजनीतिक प्रचार बताया। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का कहना है कि हकीकत में छोटे दुकानदार और मध्यम वर्ग अब भी संघर्ष कर रहे हैं। उनका आरोप है कि जीएसटी का बोझ छोटे व्यापारियों पर पड़ा है और सरकार अपनी नाकामियों को सुधारों के नाम पर छिपा रही है।
सवाल यह उठता है कि सच्चाई कहाँ है? क्या वास्तव में जीएसटी सुधारों ने आम नागरिक की ज़िंदगी आसान की है, या यह केवल सरकारी दावे हैं?
इस बहस को समझने के लिए हमें तीन स्तरों पर देखना होगा —
आम जनता और उपभोक्ता
कारोबारी वर्ग और निवेश माहौल
वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भारत की छवि
आम जनता की जेब
मोदी सरकार का दावा है कि टैक्स कम करने से जनता की बचत बढ़ी है। सही है कि टैक्स स्ट्रक्चर पहले से सरल हुआ है। लेकिन क्या हर छोटे दुकानदार या रेहड़ी वाले को इसका पूरा लाभ मिला? कई छोटे व्यापारी मानते हैं कि टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया अब भी कठिन है। डिजिटल इंडिया के युग में हर कोई ऑनलाइन रिटर्न भरने के लिए सक्षम नहीं। यह वह बिंदु है जहाँ विपक्ष की आलोचना वाजिब लगती है।
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कारोबारी वर्ग और निवेश
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि भारत और ख़ासकर उत्तर प्रदेश दुनिया की कंपनियों के लिए सबसे आकर्षक जगह है। यहाँ राजनीतिक स्थिरता, कुशल युवा आबादी और मज़बूत इन्फ्रास्ट्रक्चर है। आँकड़े भी इस दावे का समर्थन करते हैं — देश के 55% मोबाइल फोन उत्तर प्रदेश में बन रहे हैं। रक्षा उत्पादन से लेकर सेमीकंडक्टर तक, नई इंडस्ट्रीज़ यहाँ पैर पसार रही हैं।
यह स्थिति निश्चित ही निवेशकों को आकर्षित करती है। अगर कोई विदेशी कंपनी अपनी ग्रोथ को नई उड़ान देना चाहती है, तो भारत और विशेषकर उत्तर प्रदेश उसके लिए लाभकारी सौदा बन सकता है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
दुनिया भर में इस समय आर्थिक अस्थिरता, युद्ध और महँगाई जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं। इसके बावजूद भारत तेज़ी से बढ़ रहा है। मोदी सरकार का आत्मनिर्भर भारत मॉडल इसी पर बल देता है कि हमें अपनी ज़रूरतें खुद पूरी करनी होंगी। प्रधानमंत्री ने साफ कहा, “जो चीज़ हम बना सकते हैं, वह हमें भारत में ही बनानी होगी।”
यह दृष्टिकोण सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि लंबे समय की रणनीति है। आत्मनिर्भर भारत का मतलब केवल आयात घटाना नहीं बल्कि घरेलू उत्पादन को मज़बूत बनाना है। इसमें छोटे उद्योगों और एमएसएमई की भूमिका सबसे अहम है। यही कारण है कि यूपी को एक “मैन्यूफैक्चरिंग हब” बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
सामाजिक और डिजिटल आयाम
मोदी ने अपने भाषण में अंत्योदय और समावेशी विकास पर भी जोर दिया। यूपीआई जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अब ठेले वाले तक को ऋण मिल रहा है और छोटे दुकानदार सरकारी पोर्टल से सीधे अपना सामान बेच रहे हैं। यह बदलाव सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता की दिशा में अहम माना जा सकता है।
आलोचना और यथार्थ
फिर भी विपक्ष का यह सवाल अहम है कि क्या यह विकास केवल बड़े उद्योगों तक सीमित रह जाएगा या वास्तव में छोटे व्यापारी और आम किसान भी इसका लाभ पाएंगे? देश की आर्थिक नीतियों की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि विकास का लाभ सब तक पहुँचे।
नज़रिया
एक संपादकीय दृष्टि से देखें तो मोदी सरकार की जीएसटी सुधार नीति आर्थिक स्थिरता की तरफ़ कदम बढ़ाती है। निवेश के अवसर, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, वाकई भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर आगे ले जाने में सहायक हो सकते हैं। लेकिन विपक्ष की आलोचना को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना भी सही नहीं। छोटे व्यापारियों और आम जनता के अनुभव बताते हैं कि ज़मीनी स्तर पर सुधारों का असर एकसमान नहीं है।
इसलिए यह कहना उचित होगा कि जीएसटी सुधार और आत्मनिर्भर भारत की नीति भारत को नई दिशा दे रहे हैं, लेकिन इसकी असली सफलता तब होगी जब यह नीतियाँ केवल कागज़ों और मंचों तक न रहकर गाँव–कस्बों की गली–नुक्कड़ तक अपना असर दिखाएँगी।