
करूर में त्रासदी थलपति विजय की रैली में मौतें और सियासी सवाल
थलपति विजय रैली,तमिलनाडु में राजनीति बनाम स्टारडम की जंग
📍करूर| 27 सितम्बर 2025|आसिफ़ ख़ान
तमिलनाडु के करूर में विजय की रैली ने अचानक ट्रेजडी का रूप ले लिया। 30 से ज्यादा लोग दम घुटने से मारे गए। हादसे ने स्टारडम और पॉलिटिकल रियलिटी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार ‘थलपति’ विजय, जिनको साउथ सिनेमा में मसीहा की तरह देखा जाता है, अब पॉलिटिकल मैदान में अपनी नई पार्टी टीवीके (तमिलगा वेत्रि कझगम) के साथ क़दम रख चुके हैं। लेकिन करूर की रैली में हुआ हादसा सिर्फ़ तमिलनाडु ही नहीं, पूरे मुल्क में चर्चा का मुद्दा बन गया।
भीड़ में भगदड़, दम घुटने से 30 से ज्यादा मौतें और कई दर्जन घायल – ये सिर्फ़ एक tragic accident नहीं बल्कि पॉलिटिक्स और पॉपुलैरिटी के टकराव की मिसाल है। सवाल ये है कि क्या विजय का स्टारडम उन्हें सियासत में advantage देगा, या ये भीड़ उनके लिए liability साबित होगी?
करूर हादसा: जब जज़्बात बन गए ख़तरा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय की रैली में हजारों की तादाद में लोग उमड़े। भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि एंबुलेंस तक का रास्ता बंद हो गया। मंच से खुद विजय ने पानी की बोतलें भीड़ में फेंककर मदद करने की कोशिश की। ये तस्वीरें एक तरफ़ उनकी इंसानियत दिखाती हैं, लेकिन दूसरी तरफ़ ये सवाल भी उठाती हैं — इतनी बड़ी रैली में crowd management क्यों नहीं था?
तमिलनाडु सीएम एम.के. स्टालिन ने तुरंत मिनिस्टर्स और एडमिनिस्ट्रेशन को एक्टिवेट किया, लेकिन हादसे ने पॉलिटिकल रैलियों के ‘safety standards’ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विजय का स्टारडम और पॉलिटिकल कैलकुलेशन
तमिलनाडु की पॉलिटिक्स हमेशा से फ़िल्म स्टार्स के इर्द-गिर्द घूमती रही है। एमजीआर, जयललिता, विजयकांत और कमल हासन – सबने सियासत का रास्ता अपनाया। अब विजय उसी लिस्ट में खड़े हैं।
विजय का कहना है कि उनकी पार्टी ना तो DMK से गठबंधन करेगी और ना ही BJP से। वो खुद को clean alternative के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं। उन्होंने स्टालिन को करप्ट कहा और BJP पर तमिल कल्चर को डैमेज करने का इल्ज़ाम लगाया।
लेकिन सवाल ये है – क्या भीड़ वोट में बदल पाएगी?
भीड़ से वोट तक का सफ़र
विजय की रैलियों में भीड़ उमड़ना नई बात नहीं। लेकिन भीड़ का वोट में तब्दील होना हमेशा आसान नहीं होता। तमिलनाडु की पॉलिटिक्स में DMK और AIADMK का 70–80% वोट शेयर है। बाकी बचे 20–30% में विजय जैसी नई पार्टी एंट्री कर सकती है।
अगर वो सिर्फ़ 5–6% वोट भी खींच लेते हैं, तो DMK–AIADMK के इक्वेशन बिगड़ सकते हैं। और अगर हंग असेंबली बनी, तो विजय ‘kingmaker’ बन सकते हैं।
करूर हादसे का पॉलिटिकल असर
यह हादसा विजय की पॉलिटिकल जर्नी पर शुरुआती दाग की तरह रहेगा। विपक्ष सवाल करेगा कि क्या एक्टर भीड़ तो खींच सकता है, लेकिन उसे संभाल नहीं सकता? मीडिया में narrative बनेगा कि स्टारडम और लीडरशिप दो अलग चीज़ें हैं।
विजय को अब इस narrative से लड़ना होगा। उन्हें दिखाना होगा कि वो सिर्फ़ स्टार नहीं बल्कि ज़िम्मेदार लीडर भी हैं।
विजय बनाम DMK–BJP
विजय के निशाने पर एक तरफ़ DMK है, जिसे वो corrupt कहते हैं। दूसरी तरफ़ BJP है, जिसे वो तमिल identity और secular values का दुश्मन बताते हैं। उन्होंने खुद को MGR और विजयकांत की लाइन में खड़ा किया – स्टार्स जिन्होंने सियासत में अपनी जगह बनाई।
लेकिन विजय की सबसे बड़ी ताक़त है उनका pan-Tamil appeal। उनकी फ़ैन फॉलोइंग caste, class और religion से ऊपर जाती है। यही factor उनको DMK–AIADMK से अलग करता है।
सबक: स्टारडम vs लीडरशिप
करूर का हादसा इस बात का सबूत है कि पॉलिटिक्स सिर्फ़ भीड़ खींचने का नाम नहीं है। पॉलिटिक्स मतलब organization, strategy और जनता की safety। विजय अगर इस tragedy से सीखकर अपने campaign को professional बनाते हैं, तो उनका पॉलिटिकल सफ़र और मज़बूत हो सकता है।
वरना उनका स्टारडम सिर्फ़ फ़िल्मों तक सीमित रह जाएगा।