
बिहार विधानसभा चुनाव : नई वोटर लिस्ट के बाद बदलते राजनीतिक समीकरण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले 7.41 करोड़ मतदाता लिस्ट में शामिल।
📍 पटना, बिहार
🗓️ 30 सितंबर 2025
✍️ आसिफ़ ख़ान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। नई मतदाता सूची ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को नया मोड़ दे दिया है। 7.41 करोड़ से ज़्यादा वोटर्स के साथ इस बार का चुनाव और भी अहम हो गया है। सवाल यह है कि यह बढ़त किसके हक़ में जाएगी और राजनीतिक दल अपनी रणनीति कैसे बदलेंगे।
नई वोटर लिस्ट और इसकी अहमियत
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद अब राज्य में कुल 7,41,92,357 मतदाता हैं। इनमें 3,92,07,804 पुरुष, 3,49,82,828 महिलाएं और 1725 ट्रांसजेंडर शामिल हैं। 18-19 साल के नए मतदाताओं की संख्या 14,01,150 है, जबकि 85 साल से ऊपर के मतदाताओं की संख्या 4,03,985 है। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 7,20,709 है।
21,53,343 नए योग्य मतदाताओं को शामिल किया गया है। वहीं एक अगस्त से एक सितंबर 2025 के बीच दावा-आपत्ति अवधि में 3,66,742 अयोग्य मतदाताओं को हटा दिया गया। इससे पहले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में मृत मतदाताओं की संख्या 22,34,136 थी, दोहरी प्रविष्टि वाले वोटर्स 6,85,000 थे और स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता 36,44,939 हैं। कुल मिलाकर लगभग 65,64,075 मतदाताओं के नाम हटाए गए।
यह आंकड़ा सिर्फ़ संख्या नहीं है। यह राजनीतिक दलों के लिए संकेत है कि इस बार की रणनीति में नए मतदाताओं का गणित निर्णायक होगा। युवा मतदाता, महिलाएं, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग वोटर्स—सभी इस चुनाव के स्वरूप को प्रभावित करेंगे।
चुनाव आयोग की तैयारियां
चुनाव आयोग ने इस बार विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत हर विवरण पर कड़ी नजर रखी। 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी, 2,976 सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी, 77,895 BLO और वॉलेंटियर्स ने इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दी।
तीन अक्टूबर को दिल्ली में पर्यवेक्षकों की कॉन्फ्रेंस होगी, चार-पाँच अक्टूबर को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार बिहार दौरे पर आएंगे। इस दौरे में आयोग राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा। छह या सात अक्टूबर को ही चुनावी बिगुल बजने की संभावना है।
इस बार का चुनाव आयोग का संदेश स्पष्ट है: क्लीन और पारदर्शी वोटिंग सुनिश्चित करना। डुप्लीकेट और अयोग्य मतदाताओं को हटाकर आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को मजबूत बनाया है।
राजनीतिक दलों की चुनौती
बिहार की राजनीति जटिल है और नई वोटर लिस्ट ने दलों के लिए चुनौती बढ़ा दी है।
राजद और महागठबंधन – लालू यादव की पार्टी का मुख्य वोट बैंक ग्रामीण और पिछड़ा वर्ग है। लेकिन इस बार नए युवा मतदाता और डिजिटल मीडिया का असर बड़ा होगा।
भाजपा और NDA – शहरी इलाक़ों और युवा मतदाताओं पर ध्यान देंगे। सोशल मीडिया और डिजिटल अभियान उनकी रणनीति का अहम हिस्सा होगा।
कांग्रेस और लेफ़्ट – पिछले चुनावों की तरह अस्तित्व की लड़ाई में रहेंगे।
छोटे दल और नए खिलाड़ी – अक्सर इनकी भूमिका किंगमेकर की होती है। उनके वोट बैंक का असर बड़े गठबंधन पर सीधे पड़ सकता है।
चुनावी मुद्दे
इस बार के चुनाव में कई मुद्दे प्रमुख हैं।
बेरोज़गारी और रोजगार – युवा वर्ग की प्राथमिक चिंता।
महँगाई और आर्थिक स्थिति – शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में समान रूप से असर डालती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य – ग्रामीण और शहरी महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण।
क़ानून और व्यवस्था – सुरक्षा और सामाजिक संतुलन का मुद्दा।
बुनियादी ढांचा – सड़क, बिजली और पानी की उपलब्धता ग्रामीण इलाक़ों में वोटर्स को प्रभावित करेगी।
युवाओं की अपेक्षाएँ और डिजिटल मीडिया पर बढ़ता असर सियासी दलों के लिए नई चुनौती है।
मतदान का अंदाज़ और रणनीति
नई वोटर लिस्ट में शामिल युवा मतदाता सोशल मीडिया और डिजिटल अभियान से प्रभावित होंगे।
पारंपरिक जातीय गणित की बजाय अब मतदाताओं का व्यवहार नए नैरेटिव से प्रभावित होगा।
ट्रांसजेंडर और दिव्यांग वोटर्स का महत्व बढ़ गया है।
रैलियाँ, घोषणाएँ और सोशल मीडिया अभियानों का प्रभाव निर्णायक होगा।
राजनीतिक दलों को अब अपने पुराने चुनावी फार्मूले बदलने होंगे। जुबानी जंग, बयानबाज़ी और डिजिटल स्ट्रेटेजी अब चुनाव की कुंजी हैं।
सियासी माहौल
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। राजनीतिक दल अब पुराने वोट बैंक पर भरोसा कम कर रहे हैं। नई वोटर लिस्ट ने माहौल को और रोचक बना दिया है।
दल अब डिजिटल और पारंपरिक मीडिया दोनों पर ध्यान देंगे।
नए मतदाता राजनीतिक दलों को अपनी नीति और रणनीति बदलने के लिए मजबूर करेंगे।
नज़रिया
बिहार चुनाव 2025 अब केवल सीटों का गणित नहीं है। 7.41 करोड़ मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
युवा मतदाता, महिलाएं और ट्रांसजेंडर वोटर्स निर्णायक होंगे।
आने वाले हफ़्तों में चुनावी रैलियाँ, सोशल मीडिया अभियान और डिजिटल प्रचार निर्णायक होंगे।
राजनीतिक दलों की रणनीति और गठबंधन का असर चुनाव के नतीजों पर स्पष्ट दिखाई देगा।




