
शांति या संघर्ष? हमास के सामने आखिरी डेडलाइन
ट्रंप की 20-सूत्रीय योजना और गाज़ा की नई राह
📍वाशिंगटन, 3 अक्तूबर 2025 ✍️ Asif Khan
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमास को रविवार शाम 6 बजे तक शांति प्रस्ताव स्वीकार करने का अल्टीमेटम दिया। 20-सूत्रीय योजना में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और गाज़ा पर अस्थायी प्रशासन का ढाँचा शामिल है।
डोनाल्ड ट्रंप का यह अल्टीमेटम सिर्फ़ बयान नहीं बल्कि एक दबाव की रणनीति है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर रविवार शाम तक शांति प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ तो कार्रवाई ऐसी होगी जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा। यह भाषा बेहद सख़्त है और सीधे तौर पर हमास पर दबाव बनाने का प्रयास है।
ट्रंप की 20-सूत्रीय शांति योजना
इस योजना में तत्काल युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और गाज़ा में अस्थायी प्रशासनिक बोर्ड बनाने की बात है। यह बोर्ड अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के साथ बनेगा और अस्थायी रूप से गाज़ा की व्यवस्था संभालेगा। प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि किसी को ज़बरदस्ती गाज़ा में भेजा नहीं जाएगा।
हमास की दुविधा
हमास इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। लेकिन ऐतिहासिक रूप से वह हथियार छोड़ने और बाहरी नियंत्रण को स्वीकार करने से इंकार करता रहा है। यही कारण है कि यह डेडलाइन असल परीक्षा मानी जा रही है।
ट्रंप का बयान और चेतावनी
ट्रंप ने कहा कि हमास ने 7 अक्तूबर के हमले में निर्दोष बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों की हत्या कर दुनिया को हिला दिया था। इसके बाद अब तक हज़ारों हमास लड़ाके मारे जा चुके हैं। उन्होंने नागरिकों से गाज़ा के सुरक्षित क्षेत्रों में जाने की अपील की और कहा कि बाकी हमास को “ढूंढकर मार दिया जाएगा।”
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मानवीय संकट
गाज़ा में बुनियादी ढाँचा लगभग तबाह हो चुका है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। भोजन और दवाइयों की भारी कमी है। किसी भी बड़ी सैन्य कार्रवाई का असर सीधा आम नागरिकों पर पड़ेगा। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस अल्टीमेटम को लेकर गंभीर चिंता जता रहा है।
कूटनीतिक और राजनीतिक मायने
यह प्रस्ताव अमेरिका और इज़रायल के संयुक्त दबाव को दर्शाता है। इसका उद्देश्य शांति स्थापित करना है लेकिन सवाल उठता है कि क्या ज़बरदस्ती लाया गया समझौता टिक पाएगा। अगर हमास मान जाता है तो अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन अगर इंकार करता है तो संघर्ष और तेज़ हो सकता है।
संभावित परिदृश्य
अगर प्रस्ताव मान लिया गया तो बंधक रिहा होंगे और राहत पहुँच सकेगी।
अगर आंशिक रूप से स्वीकार हुआ तो लंबी बातचीत चलेगी और अस्थायी संघर्षविराम संभव होगा।
अगर प्रस्ताव ठुकरा दिया गया तो व्यापक सैन्य कार्रवाई और क्षेत्रीय संकट गहराएगा।
नज़रिया
ट्रंप का अल्टीमेटम इस समय निर्णायक मोड़ है। लेकिन शांति केवल आदेश से नहीं आती। स्थायी समाधान के लिए स्थानीय राजनीतिक इच्छाशक्ति, मानवीय राहत और क्षेत्रीय सहयोग ज़रूरी है। अगर ये तत्व साथ नहीं आए तो यह प्रस्ताव भी सिर्फ़ कागज़ी दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा। असली सवाल यह है कि गाज़ा के लोग कब तक इस युद्ध का भार उठाते रहेंगे।