
भल्लू पुल के पास बरठीं में भूस्खलन से बस खड्ड में गिरी
3 बच्चे सुरक्षित, राहत कार्य जारी
📍बिलासपुर, | 7 अक्टूबर 2025
✍️ आसिफ़ ख़ान
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में भूस्खलन की वजह से एक निजी बस खड्ड में गिर गई। हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन बच्चे सुरक्षित निकाले गए। राहत कार्य जारी है। यह घटना पहाड़ी इलाक़ों की सड़क सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की कमज़ोरियों को उजागर करती है।
हादसे अक्सर सिर्फ़ एक न्यूज़ हेडलाइन नहीं होते, बल्कि ज़िंदगी और मौत के बीच लटकती हक़ीक़त का आईना होते हैं। बिलासपुर के बरठीं इलाक़े में हुआ यह हादसा कई सवाल छोड़ गया है।
बस मरोतन से घुमारवीं की तरफ़ जा रही थी। रास्ता पहाड़ी था, संकरा था, और अचानक बारिश से ढीली हुई मिट्टी ने बस को अपनी गिरफ़्त में ले लिया। पल भर में हंसी-खुशी सफ़र कर रहे यात्री मलबे और मौत की चपेट में आ गए। 35 यात्रियों में से 18 की जान चली गई। तीन छोटे बच्चे ज़िंदा बचाए गए, लेकिन उनमें से एक बच्ची ने अपनी मां को इस मलबे में खो दिया।
ये सिर्फ़ एक हादसा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है।
पहाड़ी इलाक़ों की सड़कें वैसे ही संकरी और ख़तरनाक होती हैं। बरसात में लैंडस्लाइड का ख़तरा हमेशा मंडराता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या हमारी सरकार, प्रशासन और इंजीनियरिंग टीमें इन रास्तों को सुरक्षित बनाने के लिए गंभीर हैं?
सड़क सुरक्षा और आपदा प्रबंधन
यह हादसा साफ़ इशारा करता है कि रोड सेफ़्टी महज़ ट्रैफ़िक पुलिस का मसला नहीं, बल्कि यह डिज़ास्टर मैनेजमेंट का अहम हिस्सा है। पहाड़ों में हर बरसात के मौसम में सड़कें जानलेवा बन जाती हैं।
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सरकार की तरफ़ से राहत कार्यों का ऐलान हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, और गृह मंत्री अमित शाह ने शोक जताया। मुआवज़े का ऐलान हुआ। लेकिन सवाल वही है—क्या यह मुआवज़ा ज़िंदगियों के नुकसान की भरपाई कर सकता है? मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन तेज़ करने के आदेश दिए। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी दशहरा कार्यक्रम छोड़कर हादसा स्थल पहुँचे।
बिलासपुर हादसे पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी ने जताया शोक
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में भूस्खलन से बस हादसे पर कांग्रेस ने गहरा दुख व्यक्त किया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि बड़ी संख्या में यात्रियों की मृत्यु और कई के घायल होने का समाचार अत्यंत दुखद है।
दिवंगतों के लिए प्रार्थना
प्रियंका गांधी ने कहा कि ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और शोक-संतप्त परिवारों को इस कठिन समय में संबल मिले। साथ ही उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की।
पीड़ितों के साथ कांग्रेस सरकार
प्रियंका गांधी ने आश्वस्त किया कि संकट की इस घड़ी में राज्य की कांग्रेस सरकार पूरी तरह से प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि हर संभव मदद और राहत कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं, ताकि प्रभावित लोगों को तात्कालिक सहायता मिल सके।
मानवीय पहलू
हादसे की सबसे बड़ी त्रासदी सिर्फ़ मौत का आँकड़ा नहीं, बल्कि उन परिवारों की कहानी है जो पल भर में उजड़ गए। सोचिए, एक बच्ची जो बच गई, लेकिन माँ को खो चुकी है। या फिर वो पिता, जिसका पूरा परिवार एक ही सफ़र में ख़त्म हो गया।
“कहीं घर में इंतज़ार करती आँखें अब कभी किसी का चेहरा नहीं देखेंगी।”
यही वो दर्द है जो न्यूज़ रिपोर्ट से ज़्यादा दिलों में उतरता है।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
राजनीतिक दलों ने संवेदना जताई। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, जयराम ठाकुर, डॉ. राजीव बिंदल समेत कई नेताओं ने बयान दिए। लेकिन आम आदमी अब भी यही पूछता है—बयान और संवेदना से सड़कें सुरक्षित होंगी क्या?
त्रासदी से सीखना
यह हादसा एक चेतावनी है कि पहाड़ी इलाक़ों में इन्फ्रास्ट्रक्चर मज़बूत किया जाए।
Early warning systems को मज़बूत किया जाए।
रोड इंजीनियरिंग में बेहतर टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल हो।
बस ऑपरेटरों को मॉनसून सीज़न में वैकल्पिक रूट्स की जानकारी हो।
लोकल कम्युनिटी को ट्रेन किया जाए कि इमरजेंसी में कैसे मदद करनी है।
यह महज़ एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। अगर आज सबक नहीं सीखा गया, तो कल एक और त्रासदी होगी।
जमीनी स्तर
हिमाचल की ख़ूबसूरती हर साल लाखों सैलानियों को खींचती है, लेकिन यही पहाड़ कभी-कभी मौत का गड्ढा भी बन जाते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि सड़कें महज़ सफ़र का ज़रिया न रहें, बल्कि लोगों के लिए सुरक्षित रास्ता बनें।





