
Prime Minister Narendra Modi virtually inaugurated the fish field unit of IB Group in Amethi, attended by Union Ministers and thousands of fish farmers.
फिश फील्ड प्लांट से अमेठी बनेगा ग्रामीण प्रोटीन हब: मोदी ने किया शिलान्यास
प्रधानमंत्री मोदी का विज़न साकार: आईबी ग्रुप का फिश यूनिट बना आत्मनिर्भर भारत की मिसाल
📍इन्हौना, अमेठी 🗓️ 12 अक्टूबर 2025✍️राम धीरज यादव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले के इन्हौना क्षेत्र में स्थित नौखेड़ा गाँव में देश की अग्रणी प्रोटीन उत्पादक कंपनी एबिस फ्रूट एंड प्रोटीस प्राइवेट लिमिटेड (IB Group) के फिश फील्ड यूनिट का शिलान्यास किया।
यह यूनिट देश में मत्स्यपालन क्षेत्र को मजबूती देने के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करेगी।
कार्यक्रम में 6000 से अधिक मत्स्यपालक, व्यापारी और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईबी ग्रुप के फिश फील्ड यूनिट का वर्चुअल शिलान्यास कर राष्ट्र को किया समर्पित
अमेठी की मिट्टी ने राजनीति से लेकर उद्योग तक अनेक कहानियाँ लिखी हैं। पर 12 अक्टूबर 2025 का दिन इस ज़िले के इतिहास में विकास की नई इबारत के रूप में याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने करकमलों से वर्चुअल माध्यम से आईबी ग्रुप के फिश फील्ड यूनिट का शिलान्यास किया। यह आयोजन ‘प्रधानमंत्री धन्य धान्य कृषि योजना’ के तहत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण उत्पादन को सशक्त बनाना और कृषि से जुड़े क्षेत्रों को आधुनिक तकनीक से जोड़ना है।
🌾 कृषि से प्रोटीन तक की यात्रा
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को न केवल ‘अनाज में आत्मनिर्भर’ बनना है, बल्कि ‘प्रोटीन आत्मनिर्भरता’ की दिशा में भी कदम बढ़ाने होंगे।
उन्होंने कहा,
“फिश फार्मिंग अब सिर्फ़ एक जीविका नहीं, बल्कि पोषण और आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम है।”
इस बयान के साथ उन्होंने संकेत दिया कि ग्रामीण भारत की नई अर्थव्यवस्था का केंद्र अब सिर्फ खेती नहीं, बल्कि कृषि-संबद्ध उद्योग (Agro Allied Industries) होंगे — जिनमें फिश फीड उत्पादन सबसे अग्रणी क्षेत्र होगा।
आईबी ग्रुप — भारत की प्रोटीन क्रांति का नेतृत्व
देश की सबसे बड़ी प्रोटीन उत्पादक कंपनियों में शामिल एबिस फ्रूट एंड प्रोटीस प्राइवेट लिमिटेड (IB Group) ने इन्हौना क्षेत्र के नौखेड़ा गाँव में इस फिश फील्ड प्लांट की स्थापना की है।
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर बहादुर अली ने कार्यक्रम के दौरान कहा,
“यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार की सक्रिय नीतियों और प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न का परिणाम है। हमने यह प्लांट इसलिए लगाया ताकि मत्स्यपालकों को विश्व स्तरीय तकनीक और समर्थन मिल सके।”
आईबी ग्रुप का यह प्लांट 600 टन प्रतिदिन फिश फीड (TDP) उत्पादन की क्षमता रखता है, जो उत्तर भारत की मछली उत्पादन आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।
तकनीक और प्रशिक्षण का संगम
कार्यक्रम में कंपनी की ओर से डॉ. मोहम्मद आसिफ़ कुरैशी, जो फिश फील्ड बिजनेस हेड हैं, ने विस्तार से बताया कि यह यूनिट मत्स्य किसानों को आधुनिक तकनीक, उच्च गुणवत्ता वाली फीड, और वैज्ञानिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने कहा कि कंपनी केवल उत्पाद नहीं बेचेगी, बल्कि किसानों को तकनीकी साझेदार बनाएगी ताकि उत्पादन में निरंतरता और गुणवत्ता बनी रहे।
यह मॉडल “Partnership with Farmers” के सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ कंपनी किसान को भागीदार मानती है, ग्राहक नहीं।
नीति और नीयत का संगम
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह), और केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री भागीरथ चौधरी इस अवसर पर मौजूद रहे।
इन तीनों मंत्रियों की उपस्थिति इस परियोजना के महत्व को रेखांकित करती है — यह केवल एक औद्योगिक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा,
“मत्स्यपालन क्षेत्र में निवेश, रोजगार और तकनीक का ऐसा संगम पहली बार दिख रहा है। यह ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।”
अमेठी — राजनीति से उत्पादन तक का रूपांतरण
अमेठी की पहचान लंबे समय तक केवल एक राजनीतिक गढ़ के रूप में रही है।
लेकिन यह प्रोजेक्ट इस छवि को बदल रहा है।
अब यह ज़िला उद्योग और उत्पादन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहा है।
आईबी ग्रुप की यह यूनिट यहाँ रोज़गार, प्रशिक्षण, और स्थानीय उद्यमिता के नए अवसर पैदा करेगी।
डीडीओ चंद्रभान सिंह, पशुपालन अधिकारी जी. के. शुक्ला, और तिलोई के एसडीएम अमित कुमार सिंह ने कहा कि यह प्लांट क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में जान फूंक देगा और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोज़गार उपलब्ध कराएगा।
फिश इकॉनमी — भविष्य का भारत
भारत विश्व के सबसे बड़े मत्स्य उत्पादक देशों में से एक है, लेकिन घरेलू स्तर पर फिश फीड उत्पादन हमेशा सीमित रहा है।
आईबी ग्रुप की यह यूनिट इस कमी को पूरा करेगी और उत्तर भारत में फिश सप्लाई चेन को सशक्त बनाएगी।
इससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन फीड, सस्ती कीमत पर स्थानीय स्तर पर मिलेगा।
यह कदम भारत को “Protein Self-Sufficient Nation” बनाने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन है।
सरकार–उद्योग–किसान का गठबंधन
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बार-बार इस बात को रेखांकित किया कि
“विकास तभी संभव है जब नीति, पूंजी और परिश्रम तीनों मिलकर काम करें।”
यह प्लांट इसी तिकड़ी का प्रत्यक्ष उदाहरण है —
केंद्र सरकार की नीति, आईबी ग्रुप की पूंजी और मत्स्य किसानों का परिश्रम।
अगर इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी दोहराया गया, तो यह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक पुनर्जागरण (Rural Industrial Renaissance) की शुरुआत हो सकती है।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग का सम्मान कार्यक्रम
इसी समारोह के दौरान पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा अमेठी जिले के 23 पशु मित्रों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
इनमें अवधेश कुमार वर्मा, जो इन्हौना पशु चिकित्सालय में पैरावेट के रूप में कार्यरत हैं, को पशु स्वास्थ्य सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान के लिए विशेष सम्मान मिला।
पशुपालन मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि ये पशु मित्र गांव-गांव में स्वास्थ्य और सेवा के प्रतीक हैं।
उन्होंने बताया कि यह पहल ग्रामीण युवाओं को प्रेरित करेगी और उन्हें पशुपालन क्षेत्र में नई संभावनाओं से जोड़ेगी।
रोज़गार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अमेठी का यह प्रोजेक्ट सीधे तौर पर 500 से अधिक स्थानीय युवाओं को रोजगार देगा, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों लोगों को इससे लाभ मिलेगा।
फिश फीड उत्पादन बढ़ने से मछली पालन उद्योग को कच्चे माल की निर्भरता घटेगी और किसानों की आय में स्थायी वृद्धि होगी।
उपजिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने कहा,
“यह ऐतिहासिक कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा। मत्स्यपालन और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में अब सम्मानजनक रोज़गार मिल रहा है।”
नज़रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह शिलान्यास मात्र एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था।
यह एक विचार का उद्घाटन था —
वह विचार जिसमें गाँव अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक बनेंगे।
अमेठी में आईबी ग्रुप की यह पहल “ग्रामीण भारत से वैश्विक भारत” की यात्रा की शुरुआत है।
यह दिखाती है कि विकास अब केवल महानगरों का अधिकार नहीं रहा, बल्कि गाँवों की मिट्टी से भी औद्योगिक क्रांति की खुशबू उठ सकती है।भारत का भविष्य अब खेत और फैक्ट्री दोनों से निकलेगा —
और यही विकसित भारत 2047 का असली दर्शन है।