
विदेशी नीति एक्सपर्ट ऐश्ले टेलिस पर जासूसी का आरोप, FBI ने गिरफ़्तार किया
अमेरिका में भारतवंशी नीति विशेषज्ञ ऐश्ले टेलिस चीन लिंक में गिरफ़्तार
📍वॉशिंगटन डीसी | 🗓️ 15 अक्टूबर 2025✍️ Asif Khan
अमेरिकी विदेश नीति के जाने-माने भारतीय मूल के विशेषज्ञ ऐश्ले टेलिस पर चीनी अधिकारियों से गोपनीय सूचनाएं साझा करने और राष्ट्रीय रक्षा दस्तावेज़ों को अवैध रूप से रखने का आरोप लगा है। यह मामला केवल जासूसी तक सीमित नहीं — बल्कि वॉशिंगटन की रणनीतिक सोच, भारत-अमेरिका संबंधों और चीन की छिपी कूटनीतिक चालों तक जुड़ा है।
🔍 जब भरोसे पर शक हुआ
अमेरिका के अंदरूनी सुरक्षा तंत्र में जब किसी भारतीय मूल के अधिकारी पर जासूसी का आरोप लगता है, तो यह सिर्फ एक “स्पाई केस” नहीं रहता — यह सिस्टम के भीतर की कमज़ोरी और ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पॉलिटिक्स के टकराव का आईना बन जाता है।
एश्ले टेलिस, जिन्हें कभी वॉशिंगटन का “इंडिया हैंड” कहा जाता था, अब उसी शहर में “चाइना लिंक” के शक में हैं।
एफबीआई की रिपोर्ट बताती है कि टेलिस ने 2023 से चीनी अधिकारियों के साथ अनधिकृत संपर्क बनाए रखे।
सोचिए — जो व्यक्ति अमेरिका-भारत परमाणु समझौते के मुख्य आर्किटेक्ट में से एक रहा हो, वही व्यक्ति अब चीनी राजनयिकों से “रेड गिफ्ट बैग” लेते हुए देखा जाए, तो मामला साधारण नहीं हो सकता।
🕵️♂️ एफबीआई की छापेमारी और बरामद दस्तावेज़
11 अक्टूबर को एफबीआई एजेंट्स ने वर्जीनिया के वियना स्थित उनके घर की तलाशी ली।
बेसमेंट ऑफिस से तीन काले बैगों में 1000 से ज़्यादा टॉप सीक्रेट और सीक्रेट फाइलें मिलीं।
एक फाइल का नाम था — “US Air Force Tactics – Econ Reform”, जो कि एक झूठे शीर्षक के तहत सेव की गई थी।
एफबीआई के अनुसार, यह वही पैटर्न है जो क्लासिक “इंटेलिजेंस स्मगलिंग” में देखा जाता है —
सूचनाओं को बदले नाम से सेव करना, प्रिंट करना, और फिर फाइल डिलीट कर देना।
🧾 अदालत में हलफनामा और आरोपों की गंभीरता
वर्जीनिया डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर एफिडेविट में कहा गया है कि टेलिस ने 2022 से 2025 तक
गोपनीय राष्ट्रीय रक्षा सूचनाओं को अपने कब्जे में रखा और उन्हें साझा करने की कोशिश की।
ये आरोप “Espionage Act” के तहत आते हैं — जिसकी सज़ा 10 साल तक हो सकती है।
एफबीआई का दावा है कि टेलिस को वीडियो फुटेज में सुरक्षित फैसिलिटी से नोटपैड में दस्तावेज़ छिपाकर बाहर निकलते हुए देखा गया।
सवाल ये है कि इतने अनुभवी अधिकारी को यह जोखिम उठाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
🇨🇳 चीन की चाल या अमेरिकी राजनीति का खेल?
यहां सवाल उठता है — क्या टेलिस वाकई चीनी इंटेलिजेंस के टारगेट बने या
अमेरिका के अंदर की “पॉलिटिकल राइवलरी” का शिकार हुए?
टेलिस हमेशा से अमेरिकी नीति में “India-friendly voice” माने जाते रहे हैं।
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि अमेरिका के भीतर चीन से मुकाबले में भारत की भूमिका बढ़ाने के उनके प्रयास कुछ हलकों को असहज करते थे।
ऐसे में यह गिरफ्तारी सिर्फ एक कानूनी केस नहीं, बल्कि पॉलिटिकल सिग्नल भी हो सकता है।
🏛️ ऐश्ले टेलिस का बैकग्राउंड
मुंबई में जन्मे टेलिस ने सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज और मुंबई विश्वविद्यालय से पढ़ाई की,
फिर University of Chicago से Political Science में PhD की।
उन्होंने George W. Bush Administration में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में
Special Assistant और South Asia Director के रूप में काम किया।
वे अमेरिका-भारत सिविल न्यूक्लियर डील के मुख्य आर्किटेक्ट माने जाते हैं।
वर्तमान में वे Carnegie Endowment for International Peace में Senior Fellow हैं
और Department of Defense में Office of Net Assessment के लिए सलाहकार भी रहे हैं।
✈️ गिरफ्तारी से पहले की योजना
रिपोर्ट के मुताबिक, टेलिस 11 अक्टूबर की शाम अपने परिवार के साथ रोम के लिए रवाना होने वाले थे।
एफबीआई ने उसी दिन उनके घर पर छापा मारा — जैसे किसी ने आखिरी मिनट पर
“एक इंटरनल अलर्ट” पास किया हो।
यह सवाल यहां से उठता है —
क्या अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पहले से टेलिस की ट्रैवल प्लानिंग का पता था?
और अगर हाँ, तो क्या उन्हें “फ्लाइट रिस्क” मानकर रोका गया?
🧠 ग्लोबल पॉलिटिक्स का साया
इस केस के गहरे निहितार्थ हैं।
चीन और अमेरिका के बीच पहले से चल रहा टेक वॉर अब इंटेलिजेंस फ्रंट पर आ गया है।
भारत के लिए भी यह मामला संवेदनशील है —
क्योंकि टेलिस लंबे समय तक भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के थिंक-टैंक रहे हैं।
अगर चीन ने सच में अमेरिकी सिस्टम में इतनी गहराई तक पहुंच बना ली है,
तो यह सिर्फ “स्पाई गेम” नहीं, बल्कि “पॉलिसी इनफिल्ट्रेशन” का संकेत है।
और अगर यह आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं,
तो यह अमेरिका की “फ्रीडम और जस्टिस” वाली इमेज पर गहरी चोट है।
🧭 Alternative Perspective
कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि “espionage” की यह कहानी उतनी सीधी नहीं जितनी दिखती है।
कई बार उच्चस्तरीय थिंक-टैंक या डिफेंस एनालिस्ट,
ग्लोबल पॉवर प्ले में “सूचना-साझा” और “इंटेलिजेंस एक्सचेंज” की ग्रे जोन में काम करते हैं।
कौन सी मुलाकात राजनयिक थी और कौन सी गुप्त — यह रेखा अक्सर धुंधली होती है।
टेलिस जैसे व्यक्ति, जो दो संस्कृतियों — भारतीय और अमेरिकी — दोनों को समझते हैं,
अक्सर ऐसी क्रॉस-डिप्लोमैटिक सीमाओं पर चलते हैं।
शायद यही उनकी ताकत थी, और अब वही उनकी कमज़ोरी बन गई।
🕯️ Bottom Line – भरोसे का संकट
यह केस केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं,
बल्कि उस “Trust Deficit” का संकेत है जो आज अमेरिका और उसके रणनीतिक सहयोगियों में बढ़ रहा है।
जब थिंक-टैंक और नीतिनिर्माता खुद जाँच के घेरे में आएं,
तो लोकतंत्र और पारदर्शिता के दावे कमजोर पड़ने लगते हैं।