
The excitement at Perth Stadium is at its peak with the presence of Virat Kohli and Rohit Sharma.
विराट कोहली और रोहित शर्मा का पर्थ में आखिरी मुकाबला?
📍पर्थ 🗓️15 अक्टूबर 2025 ✍️ आसिफ़ ख़ान
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आगामी वनडे श्रृंखला केवल एक क्रिकेट प्रतियोगिता नहीं, बल्कि खेल की भावनाओं, सम्मान और पीढ़ियों के बदलाव की कहानी है। पैट कमिंस की अनुपस्थिति, मिचेल मार्श की कप्तानी, और विराट-रोहित की संभावित आखिरी उपस्थिति इसे ऐतिहासिक बनाती है।
क्रिकेट के मैदान पर कुछ पल ऐसे होते हैं जो केवल खेल नहीं, बल्कि इतिहास बन जाते हैं। पर्थ का वाका ग्राउंड एक बार फिर ऐसे ही पलों का गवाह बनने जा रहा है। जब भारत और ऑस्ट्रेलिया आमने-सामने होंगे, तो केवल रन और विकेट नहीं गिनें जाएंगे, बल्कि बीते पंद्रह वर्षों का क्रिकेटीय युग याद किया जाएगा — वह युग, जिसमें विराट कोहली और रोहित शर्मा ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस की चोट इस श्रृंखला के लिए निराशाजनक ख़बर रही। लेकिन उन्होंने जिस भावनात्मक अंदाज़ में इसे ‘खास सीरीज़’ कहा, वह इस बात को और गहराई देता है कि क्रिकेट केवल खेल नहीं, एक भावना है। उन्होंने कहा कि यह शायद ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों के लिए आखिरी अवसर होगा जब वे विराट और रोहित को अपने देश में खेलते देख पाएंगे।
यह कथन केवल एक खिलाड़ी का बयान नहीं, बल्कि एक युग का संकेत है — एक ऐसा युग जो धीरे-धीरे अपने आख़िरी पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। विराट और रोहित, जो पिछले डेढ़ दशक से भारतीय क्रिकेट की रीढ़ रहे हैं, अब उस मोड़ पर खड़े हैं जहां अगली पीढ़ी को मशाल सौंपनी है।
पर्थ से शुरू होने वाली यह तीन मैचों की वनडे श्रृंखला 19 अक्टूबर से शुरू होगी। इसके बाद एडिलेड और सिडनी में भी मुकाबले होंगे। यह केवल टीमों की भिड़ंत नहीं, बल्कि विचारों और दृष्टिकोणों की टक्कर होगी — अनुभव बनाम ऊर्जा, धैर्य बनाम प्रयोग, और विरासत बनाम नवाचार।
मिचेल मार्श, जिन्हें कप्तानी सौंपी गई है, उनके लिए यह अवसर आत्म-विश्वास की परीक्षा जैसा है। पैट कमिंस की गैरमौजूदगी न केवल गेंदबाज़ी आक्रमण को प्रभावित करेगी बल्कि टीम के नेतृत्व के स्वरूप को भी बदलेगी। मार्श के सामने चुनौती यह होगी कि वे खिलाड़ियों को संयम और रणनीति के साथ मैदान पर उतारें।
ऑस्ट्रेलियाई टीम हमेशा से अपनी आक्रामक मानसिकता के लिए जानी जाती है। वहीं भारतीय टीम की ताक़त उसकी स्थिरता और धैर्य में है। यह विरोधाभास ही दोनों देशों के क्रिकेट को जीवंत बनाता है। पर्थ की पिच तेज़ गेंदबाज़ों के लिए जानी जाती है — उछाल, स्विंग और गति यहां की पहचान हैं। वहीं भारत के बल्लेबाज़ों के पास अनुभव है कि कैसे इस चुनौती को अवसर में बदला जाए।
विराट कोहली और रोहित शर्मा के अनुभव का असर केवल बल्लेबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा। मैदान पर उनकी उपस्थिति युवा खिलाड़ियों के लिए आत्मविश्वास का स्रोत बनेगी। शुभमन गिल, ईशान किशन, और शार्दुल ठाकुर जैसे खिलाड़ी इस श्रृंखला में खुद को साबित करने की कोशिश करेंगे।
क्रिकेट के जानकार मानते हैं कि यह श्रृंखला भारतीय टीम के लिए वर्ल्ड कप की तैयारी जैसी होगी। रणनीति, संयोजन और टीम स्पिरिट की परीक्षा यहां होगी। वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए यह घरेलू मैदान पर अपनी साख बचाने का मौका है।
कमिंस ने जिस ईमानदारी से कहा कि “भारत जैसी बड़ी टीम के खिलाफ सीरीज़ मिस करना निराशाजनक है,” वह बात यह बताती है कि आज भारत के खिलाफ खेलना हर टीम के लिए गर्व की बात है। भारतीय क्रिकेट अब सिर्फ एक टीम नहीं, बल्कि एक ब्रांड बन चुका है — पेशेवर, अनुशासित और भावनात्मक रूप से परिपक्व।
मिचेल स्टार्क के हालिया संन्यास ने भी ऑस्ट्रेलियाई टीम में एक शून्य पैदा किया है। तेज़ गेंदबाज़ों की यह पीढ़ी धीरे-धीरे अपने उत्तराधिकारियों को जगह दे रही है। स्टार्क, हैज़लवुड और कमिंस जैसे खिलाड़ियों ने पिछले दशक में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को मजबूती दी, और अब यह जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ी को दी जा रही है।
भारत की ओर से भी स्थिति कुछ वैसी ही है। रोहित और कोहली अपने अनुभव से टीम को दिशा दे रहे हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे वे भी युवा खिलाड़ियों को जिम्मेदारी सौंप रहे हैं। यह बदलाव हर खेल में ज़रूरी होता है — और शायद यही इस श्रृंखला का भावनात्मक केंद्र है।
क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि पर्थ का पहला मुकाबला टोन सेट करेगा। अगर भारत शुरुआती मैच जीत लेता है, तो श्रृंखला में मनोवैज्ञानिक बढ़त उसे मिलेगी। वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए यह श्रृंखला अपने घरेलू मैदान पर संतुलन और आत्मविश्वास दोबारा पाने का अवसर है।
कई पुराने क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह श्रृंखला नॉस्टैल्जिया का स्रोत भी है। उन्हें 2016 और 2019 की भारत-ऑस्ट्रेलिया श्रृंखलाएं याद आती हैं, जब कोहली और रोहित ने अपनी शानदार पारियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया था। अब शायद यह आखिरी बार होगा जब वही जादू फिर से देखा जाएगा।
कमिंस ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया में विराट और रोहित के लिए जो दीवानगी है, वह किसी स्थानीय खिलाड़ी से कम नहीं। भीड़ जब उनका नाम पुकारती है, तो पूरा स्टेडियम गूंज उठता है। यह बताता है कि क्रिकेट केवल सीमाओं का नहीं, दिलों का खेल है।
भारत की ओर से गेंदबाज़ी विभाग में जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। तेज़ ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर उनकी गेंदबाज़ी भारत को बढ़त दिला सकती है। वहीं स्पिन विभाग में कुलदीप यादव और अक्षर पटेल से टीम को उम्मीदें होंगी।
ऑस्ट्रेलिया की टीम में ट्रैविस हेड, डेविड वॉर्नर, और स्टीव स्मिथ जैसे अनुभवी बल्लेबाज़ हैं, जो किसी भी स्थिति में मैच का रुख बदल सकते हैं। लेकिन अगर भारत शुरुआती विकेट निकाल लेता है, तो ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बन सकता है।
यह श्रृंखला केवल रन या विकेट का नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती का भी खेल होगी। जो टीम अपने संयम को बनाए रखेगी, वही आगे बढ़ेगी।
अंततः, यह सीरीज़ एक कहानी है — खेल की, भावनाओं की, और बदलाव की। जब पर्थ के मैदान पर पहली गेंद फेंकी जाएगी, तो केवल एक मैच शुरू नहीं होगा, बल्कि एक अध्याय समाप्त भी होगा — उस पीढ़ी का, जिसने क्रिकेट को वैश्विक पहचान दी।
क्रिकेट के प्रशंसक, चाहे भारत में हों या ऑस्ट्रेलिया में, इस सीरीज़ को एक स्मृति के रूप में संजोएंगे। यह सिर्फ एक वनडे श्रृंखला नहीं, बल्कि उस समय का प्रतिबिंब है जब दो महान खिलाड़ी — विराट कोहली और रोहित शर्मा — एक आखिरी बार ऑस्ट्रेलियाई धरती पर अपने बल्ले से इतिहास लिखेंगे।