
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की मौजूदगी में केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद,
17 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, ऊखीमठ में होगी पूजा-अर्चना।
ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस वर्ष रिकॉर्ड 17 लाख 68 हज़ार 795 श्रद्धालु पहुंचे। बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कहा—“शीतकाल में भी बाबा केदार की आराधना ऊखीमठ में जारी रहेगी।”
📍केदारनाथ 🗓️ 23 अक्टूबर 2025 ✍️आलम अंसारी
केदारनाथ धाम, हिमालय की गोद में बसा वह पवित्र स्थल, जहाँ हर सांस के साथ “हर हर महादेव” की गूंज सुनाई देती है।
गुरुवार सुबह जब सूरज की पहली किरण मंदिर के शिखर पर पड़ी, सेना के बैंड की भक्ति धुनें वातावरण में गूंज उठीं, और “जय बाबा केदार” के नारे के साथ कपाट बंदी की प्रक्रिया शुरू हुई।
ठंडी हवाओं के बीच यह क्षण हर भक्त की आंखों में भक्ति और भावनाओं का संगम था।
कपाट बंदी की परंपरा में भक्ति और अनुशासन
सुबह 8:30 बजे ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस अवसर पर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी,
जिलाधिकारी प्रतीक जैन,
पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे,
बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी/कार्यपालक मजिस्ट्रेट विजय प्रसाद थपलियाल,
केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी,
बीकेटीसी सदस्य महेंद्र शर्मा, प्रह्लाद पुष्पवान, राजेंद्र प्रसाद डिमरी, देवी प्रसाद देवली, डॉ. विनीत पोस्ती, दिनेश डोभाल, और प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान सहित
भाजपा जिलाध्यक्ष भारत भूषण कुकरेती,
नैनीताल जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट,
भाजपा नेता विनय उनियाल,
कृषि विपणन बोर्ड अध्यक्ष अनिल डब्बू,
बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और विजय कप्रवाण,
एनडीआरएफ व एसडीआरएफ अधिकारी और जवान बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
सभी ने बाबा केदारनाथ के समक्ष सामूहिक प्रार्थना की और यात्रा की सफलता के लिए आभार व्यक्त किया।
पूजन विधि और समाधि पूजा की प्रक्रिया
कपाट बंद होने से पहले पुजारी बागेश लिंग और आचार्यगणों ने ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया।
अखंड ज्योति के दर्शन के बाद समाधि पूजा आरंभ हुई।
भगवान केदारनाथ के स्वंयभू शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों — कुमजा, बुकला, राख, ब्रह्मकमल और शुष्क पत्तों से ढक दिया गया।
इसके बाद मंदिर के पूर्वी और दक्षिण द्वार को विधिवत रूप से बंद किया गया।
पूरे परिसर में “जय बाबा केदार”, “हर हर महादेव” और “ऊं नमः शिवाय” के जयघोष गूंज उठे।
मंदिर को हजारों फूलों से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने भंडारा आयोजित किया और सेना के बैंड की धुनों पर भक्ति गीत गाए। लगभग 10,000 श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।
बाबा केदार की पंचमुखी डोली का प्रस्थान
कपाट बंदी के बाद बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली सेना के बैंड की मधुर धुनों और जयघोषों के बीच पहले पड़ाव रामपुर के लिए रवाना हुई।
मुख्यमंत्री धामी ने स्वयं डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना किया।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि
24 अक्टूबर को डोली रामपुर से गुप्तकाशी स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर पहुँचेगी, जहाँ रात विश्राम होगा।
25 अक्टूबर को पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुँचेगी, जहाँ बाबा केदार की पूजा पूरे सर्दियों में होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश
मुख्यमंत्री धामी ने बाबा केदार के समक्ष मत्था टेकने के बाद कहा,
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप ‘भव्य और दिव्य केदारपुरी’ का निर्माण आज साकार रूप में हमारे सामने है।
इस वर्ष चारधाम यात्रा में 50 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे — यह उत्तराखंड की धार्मिक-पर्यटन क्षमता का प्रमाण है।”
उन्होंने आगे कहा,
“अब हमारा फोकस शीतकालीन पूजा स्थलों पर होगा ताकि श्रद्धालु सर्दियों में भी देवभूमि की भक्ति यात्रा का हिस्सा बन सकें।
प्रशासन ने पूरी यात्रा के दौरान जो सेवा की है, उसके लिए मैं सबका आभार व्यक्त करता हूँ।”





बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी का बयान
हेमंत द्विवेदी ने बताया कि,
“मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में इस वर्ष की यात्रा बेहद सफल और सुरक्षित रही।
कपाट बंदी तक 17,68,795 श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं, जो पिछले वर्ष 16,52,076 से लगभग सवा लाख अधिक हैं।
यात्रा में कोई बड़ी आपदा नहीं आई, जिससे व्यवस्थाएं सुचारु रहीं।”
उन्होंने कहा कि शीतकाल में भी बाबा केदार की पूजा ऊखीमठ में पूरी भव्यता से होगी।
साथ ही राज्य सरकार ने सुरक्षा, सड़क और आवास की तैयारियां पूरी कर ली हैं।
प्रशासन और सुरक्षा की सराहनीय भूमिका
डीएम प्रतीक जैन और एसपी अक्षय प्रह्लाद कोंडे की निगरानी में प्रशासन ने कपाट बंदी प्रक्रिया को शांतिपूर्वक संपन्न कराया।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात रहीं।
मंदिर समिति, पुलिस प्रशासन और स्थानीय हकहकूकधारियों ने यात्रियों के लिए भंडारा, आवास और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की।
मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने कहा कि
“हमने हर श्रद्धालु की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। मौसम कठिन था, लेकिन व्यवस्था सुदृढ़ थी।”
भक्ति का मौसम कभी खत्म नहीं होता
कपाट बंद होना एक धार्मिक परंपरा है, मगर इसका अर्थ ‘अंत’ नहीं बल्कि ‘नए आरंभ’ का संकेत है।
जब ऊखीमठ में बाबा केदार की पूजा होती है, तो ऐसा लगता है मानो हिमालय की चुप्पी में भी भगवान शिव की उपस्थिति बनी हुई है।
शीतकाल में भी श्रद्धालु बाबा केदार की गद्दीस्थली ऊखीमठ पहुँचकर वही शांति और शक्ति अनुभव करते हैं।




