
Cyclone Montha approaching Andhra and Odisha coasts with dark clouds and heavy winds.
आंध्र-ओडिशा के तटों पर मंडरा रहा मोंथा चक्रवात का साया
समंदर में मचने वाला कहर: मोंथा तूफ़ान का सम्पूर्ण विश्लेषण
IMD अलर्ट: मोंथा चक्रवात बन सकता है गंभीर तूफ़ान आज रात
📍नई दिल्ली 🗓️ 27 अक्टूबर 2025✍️आसिफ़ ख़ान
बंगाल की खाड़ी में बना गहरा निम्न दबाव अब “मोंथा” नामक चक्रवात में बदलने की ओर है। मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि यह 28 अक्टूबर की रात तक आंध्र प्रदेश के तटीय इलाक़ों को पार करेगा। हवा की रफ़्तार 100 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है। ओडिशा, आंध्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। सेना और NDRF की टीमें अलर्ट पर हैं।
मोंथा चक्रवात की दस्तक
बंगाल की खाड़ी का मौसम एक बार फिर उफान पर है।
समंदर की लहरें बेचैन हैं, और आसमान में उमड़ते बादल किसी नए इम्तहान की आहट दे रहे हैं।
इसी बेचैनी से जन्म लिया है — चक्रवात “मोंथा” ने।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के ताज़ा अपडेट के मुताबिक, यह सिस्टम अब “गंभीर चक्रवाती तूफान” में बदलने की ओर अग्रसर है।
इसके रास्ते में हैं — आंध्र प्रदेश के तटीय इलाक़े, फिर ओडिशा के ज़िले, और आसपास के राज्य जहाँ बारिश का सिलसिला तेज़ होने वाला है।
कहाँ है अभी मोंथा?
IMD की सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि मोंथा फिलहाल चेन्नई से 600 किमी दक्षिण-पूर्व में है, जबकि
काकिनाडा से 680 किमी, विशाखापट्टनम से 710 किमी, और गोपालपुर (ओडिशा) से लगभग 850 किमी दक्षिण में स्थित है।
यह धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और 28 अक्टूबर की रात को काकिनाडा तट से टकराने की आशंका है।
किन इलाक़ों पर होगा असर?
IMD के अनुसार, तूफान के असर से
आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, और छत्तीसगढ़ में 27 से 30 अक्टूबर तक
भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है।
आंध्र प्रदेश के काकिनाडा, विशाखापट्टनम और मछलीपट्टनम,
ओडिशा के गोपालपुर और रायगढ़ा,
जबकि तमिलनाडु में चेन्नई से लेकर नागपट्टिनम तक के इलाक़े हाई अलर्ट पर हैं।
मछुआरों को स्पष्ट हिदायत दी गई है कि वे 29 अक्टूबर तक समुद्र में न उतरें।
पुडुचेरी, केरल और कर्नाटक के तटीय हिस्सों में भी तेज़ हवाओं और ऊँची लहरों की चेतावनी दी गई है।
ओडिशा की तैयारी: 128 टीमें तैनात
ओडिशा प्रशासन ने किसी भी आपदा से पहले मैदान में उतरने की रणनीति अपनाई है।
राज्य सरकार ने 8 जिलों में 128 NDRF और ODRAF टीमें तैनात कर दी हैं।
संवेदनशील इलाक़ों — मलकांगिरी, कोरापुट, नबरंगपुर, रायगढ़ा, गंजाम, कंधमाल, गजपति और कालाहांडी में
‘रेड अलर्ट’ जारी है।
सरकारी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र 30 अक्टूबर तक बंद रहेंगे।
लोगों को निचले इलाकों से सुरक्षित स्थलों पर शिफ्ट किया जा रहा है।
सैनिक और नेवी के हेलीकॉप्टर तैयार हैं, राहत सामग्री स्टॉक कर ली गई है।
बारिश का पैटर्न और संभावित नुकसान
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मोंथा का केंद्र भले आंध्र प्रदेश में टकराए,
पर इसका विस्तृत प्रभाव ओडिशा के 15 जिलों तक जाएगा।
तेज़ हवाओं से पेड़ उखड़ सकते हैं, बिजली आपूर्ति प्रभावित होगी,
और तटीय गांवों में जलभराव की स्थिति बन सकती है।
तेलंगाना में भी 28-29 अक्टूबर को भारी बारिश और
छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्सों में आंधी के साथ गरज-चमक के आसार हैं।
क्या जलवायु परिवर्तन बढ़ा रहा है चक्रवातों की आवृत्ति?
यह सवाल हर बार उठता है और इस बार भी उठना चाहिए।
पिछले पाँच वर्षों में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवातों की संख्या और तीव्रता दोनों बढ़ी हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि समुद्र सतह का तापमान बढ़ना,
मौसमी हवा के पैटर्न में बदलाव,
और एल नीनो जैसे समुद्री प्रभाव,
इन तूफानों को और ताक़तवर बना रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की बात नहीं,
बल्कि हमारे तटीय जीवन का हिस्सा बन चुका है।
हर नया चक्रवात इस सच्चाई की एक और याद दिलाता है।
क्या सरकारें और एजेंसियाँ तैयार हैं?
कागज़ों पर हाँ, पर ज़मीनी स्तर पर तैयारी की परीक्षा तूफ़ान ही लेगा।
IMD की चेतावनियाँ सटीक हैं,
लेकिन ग्रामीण इलाकों में सूचना का प्रसार,
और स्थानीय प्रशासन की तत्परता अब भी बड़ी चुनौती है।
ओडिशा का डिज़ास्टर मैनेजमेंट मॉडल अक्सर उदाहरण के रूप में दिया जाता है,
पर आंध्र प्रदेश को भी उसी तरह सक्रिय रहना होगा।
एक चूक, और नुकसान कई गुना बढ़ सकता है।
सबक़ जो नहीं भूले जाने चाहिए
हर चक्रवात हमें यह याद दिलाता है कि
हमारी विकास योजनाओं को प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
समंदर के किनारे उभरते इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स,
और कोस्टल अर्बनाइज़ेशन की रफ़्तार,
अगर पर्यावरण संतुलन के बिना आगे बढ़े,
तो मोंथा जैसे तूफान सिर्फ़ मौसमीय नहीं,
बल्कि मानवजनित त्रासदी बन जाएंगे।
तूफ़ान रुक नहीं सकता,
पर नुकसान को कम किया जा सकता है —
योजना, जागरूकता और अनुशासन से।
मोंथा एक चेतावनी है, केवल ख़बर नहीं
यह चक्रवात आने वाला है, जाएगा भी,
पर सवाल यह है — क्या हम उससे कुछ सीखेंगे?
भारत के पूर्वी तट के लिए यह सिर्फ़ मौसम नहीं,
बल्कि एक टेस्ट ऑफ़ प्रिपेयर्डनेस है।
यदि हम चेतावनियों को गंभीरता से लें,
स्थानीय प्रशासन सक्रिय रहे,
तो मोंथा सिर्फ़ एक मौसमीय घटना रह जाएगा,
किसी आपदा का नाम नहीं बनेगा।





