
सुभारती विश्वविद्यालय में मनाया जाएगा अखंड भारत का स्वतंत्रता दिवस
सरदार पटेल की जयंती पर लौह पुरुष की प्रतिमा का अनावरण
नेताजी की आज़ाद हिंद सरकार से प्रेरित सुभारती का आयोजन
सुभारती विश्वविद्यालय में अखंड भारत का स्वतंत्रता दिवस और सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती एक साथ मनाई जाएंगी। इस अवसर पर सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण और वर्षभर चलने वाले राष्ट्र निर्माण कार्यक्रमों की शुरुआत होगी।
📍मेरठ 🗓️ 30 अक्टूबर 2025 ✍️ आसिफ़ ख़ान
मेरठ का सुभारती विश्वविद्यालय एक बार फिर इतिहास और वर्तमान को जोड़ने जा रहा है। 30 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में दो महत्त्वपूर्ण तिथियाँ — अखंड भारत का स्वतंत्रता दिवस और सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती — एक साथ मनाई जाएंगी। यह केवल एक उत्सव नहीं बल्कि एक विचार, एक भावना और एक वचन है, जो आज भी भारत के युवाओं को याद दिलाता है कि देश की असली ताक़त उसकी एकता और अखंडता में है।
अखंड भारत की परिकल्पना और नेताजी का स्वप्न
1943 में जब सिंगापुर से नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने “आज़ाद हिंद सरकार” की घोषणा की थी, तब उनका सपना सिर्फ़ ब्रिटिश राज से आज़ादी का नहीं था, बल्कि “अखंड भारत” की उस परिकल्पना का था जिसमें कोई विभाजन नहीं, कोई भेदभाव नहीं।
उनका यह विचार उस दौर के लिए भी क्रांतिकारी था और आज के समय में भी बेहद प्रासंगिक है। अखंड भारत का अर्थ केवल भूगोल नहीं बल्कि मानसिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता भी है।
सुभारती विश्वविद्यालय इस विचार को जीवित रखता आया है। हर साल 21 अक्टूबर को नेताजी की घोषणा के दिन को “अखंड भारत स्वतंत्रता दिवस” के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इस बार विश्वविद्यालय ने इसे सरदार पटेल की जयंती के साथ जोड़कर एक नया आयाम दिया है — जहां नेताजी का स्वप्न और पटेल का संकल्प एक सूत्र में पिरोए गए हैं।
सरदार पटेल — एकता के लौह पुरुष
सरदार वल्लभभाई पटेल ने जिस भारत को एक सूत्र में पिरोया, वह असंभव लगने वाला कार्य था। सैकड़ों रियासतों को एक राष्ट्र में मिलाने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की नींव रखी।
पटेल का व्यक्तित्व इस बात का प्रतीक है कि नेतृत्व केवल शक्ति से नहीं, बल्कि सत्य, निष्ठा और धैर्य से आता है।
उनकी मूर्ति का सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल लॉ कॉलेज में अनावरण, युवाओं को याद दिलाएगा कि राष्ट्र निर्माण केवल इतिहास का अध्याय नहीं, बल्कि वर्तमान की ज़िम्मेदारी भी है।
शिक्षा से राष्ट्र निर्माण तक
सुभारती विश्वविद्यालय ने इस अवसर को केवल औपचारिक उत्सव न बनाकर एक शैक्षणिक आंदोलन का रूप दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की है कि अक्टूबर 2025 से अक्टूबर 2026 तक पूरे वर्षभर देशभर के विद्यालयों और महाविद्यालयों में “अखंड भारत और राष्ट्रीय एकता” पर गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।
यह पहल युवाओं में इतिहास की समझ और समर्पण की भावना पैदा करेगी। जब विद्यार्थी समझेंगे कि अखंड भारत का विचार सिर्फ़ भौगोलिक नहीं बल्कि मानसिक स्वतंत्रता का प्रतीक है, तभी वे सच में स्वतंत्र नागरिक बन पाएंगे।
इतिहास से सीख और आज का सन्दर्भ
आज जब समाज जाति, धर्म और भाषा के नाम पर बंटता नज़र आता है, तब अखंड भारत का विचार फिर से हमें आत्मावलोकन की ओर ले जाता है।
क्या हम सचमुच आज़ाद हैं, अगर हम एक-दूसरे से नफ़रत करते हैं?
नेताजी और पटेल का संदेश यही था — “राष्ट्र पहले, बाकी सब बाद में।”
सुभारती विश्वविद्यालय इस विचार को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत कर रहा है।
यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक बौद्धिक संवाद भी होगा — जहाँ इतिहास के सबक़ से भविष्य की दिशा तय की जाएगी।
सेवा, संस्कार और संवेदना का संगम
सुभारती समूह का मानना है कि शिक्षा तभी सार्थक है जब वह समाज में संवेदना जगाए। यही कारण है कि अखंड भारत दिवस के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्व और सामूहिक सेवा की भावना भी कार्यक्रम का हिस्सा है।
इस दौरान कई जागरूकता अभियान, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, और देशभक्ति गीतों के माध्यम से छात्रों में राष्ट्रीय चेतना जगाई जाएगी।
समारोह की झलक और विशेष अतिथि
इस वर्ष समारोह में मुख्य अतिथि होंगे 101 वर्षीय भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी लेफ़्टिनेंट आर. माधवन पिल्लई, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय सेना के स्वर्णिम काल को देखा है।
उनकी उपस्थिति इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाएगी। उनके सम्मान के साथ यह आयोजन राष्ट्र सेवा की भावना को और गहरा करेगा।
सुभारती विश्वविद्यालय का यह प्रयास बताता है कि राष्ट्र निर्माण केवल राजनीति का विषय नहीं बल्कि शिक्षा का उद्देश्य भी होना चाहिए।
अखंड भारत की परिकल्पना और सरदार पटेल का योगदान हमें याद दिलाता है कि सच्चा देशभक्त वह है जो देश को जोड़ता है, तोड़ता नहीं।
आज जब युवाओं में “कैसे आगे बढ़ें” का प्रश्न है, तो उत्तर नेताजी और पटेल दोनों देते हैं — “देश के लिए सोचो, बाकी सब आसान हो जाएगा।”




